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Tuesday, November 6, 2012

आईने में अक्स




आईने में अक्स जिसका  है 
मुझसे  इसका एक रिश्ता है 
देखकर अक्सर मुस्कुराता है
किसकी सूरत से मिलता है ?

रोक देता है सरेराह मुझको 
आप बनता कभी बिगड़ता है 
सामने बैठो तो वादे हज़ार 
वरना  पहचान से मुकरता है .

मासूम ऐसा शक ना हो ज़रा 
सांस की आंच से पिघलता है 
संग फिरता है हमसाया होकर 
मुझे तो मुझ सा ही लगता है .

22 comments:

  1. मासूम ऐसा शक ना हो ज़रा
    सांस की आंच से पिघलता है
    संग फिरता है हमसाया होकर
    मुझे तो मुझ सा ही लगता है .बेहतरीन पंक्तियाँ सोनल जी आईना कभी झूठ नहीं बोलता :)

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  2. bahut sundar संग फिरता है हमसाया होकर
    मुझे तो मुझ सा ही लगता है .

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  3. संग फिरता है हमसाया होकर
    मुझे तो मुझ सा ही लगता है .
    वाह ... बहुत खूब।

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  4. जो शक्स मुझसा है
    उसकी बात ही जुदा है ...

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  5. कभी-२ आईना हमारी आँखें और अक्स किसी दूसरे का होता है...

    मासूम ऐसा शक ना हो ज़रा
    सांस की आंच से पिघलता है
    संग फिरता है हमसाया होकर
    मुझे तो मुझ सा ही लगता है...

    खूबसूरत पंक्तियाँ... :)

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  6. कभी तो पहचान में ही नहीं आता है..

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  7. वाह यह भी खूब रही ... :)

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  8. कभी कभी कितना अनजाना भी तो लगता है...नहीं???

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ...
    अनु

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  9. आपको देख कह उठता है "आई--ना " |

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  10. mujhe to bilkul tum sa hi lag raha hai ...sundar.

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  11. आपकी उम्दा पोस्ट बुधवार (07-11-12) को चर्चा मंच पर | जरूर पधारें |
    सूचनार्थ |

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  12. मासूम ऐसा शक ना हो ज़रा
    सांस की आंच से पिघलता है
    संग फिरता है हमसाया होकर
    मुझे तो मुझ सा ही लगता है .

    वाह वाह ...क्या बात है आपकी ये पोस्ट बेहद अच्छी लगी.

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत हैं...
    http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/11/blog-post_6.html

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  13. आइना न देखें हुज़ूर अभी
    हो जाए न ये चूर कहीं
    ..... सुन्दर रचना सोनल जी!

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  14. सोनल जी खूबसूरत रचना है दिल में उतर गई

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  15. सामने बैठो तो वादे हज़ार
    वरना पहचान से मुकरता है .
    क्या बात है! कहने का अंदाज़ एकदम अलग! बहुत अच्छी रचना। अच्छा लगा आपके ब्लाग पर आकर।

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  16. आईने में अक्स जिसका है
    मुझसे इसका एक रिश्ता है
    देखकर अक्सर मुस्कुराता है
    किसकी सूरत से मिलता है ?


    बहुत सुंदर सोनल जी !
    तस्वीर भी आकर्षक है …
    आप ही हैं ?
    माशाअल्लाऽऽह्…

    अच्छा लगा लिखा हुआ

    मां सरस्वती और श्रेष्ठ सृजन कराए …
    शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  17. ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
    ♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
    ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
    सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
    लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान

    **♥**♥**♥**●राजेन्द्र स्वर्णकार●**♥**♥**♥**
    ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ

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  18. कनफर्म्ड आप ही हैं!
    आईने की किस्मत से रश्क है मुझे!

    --
    द स्पिरिचुअल कनेक्ट: ए ट्रिब्यूट टू मम्मी

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  19. शब्दों की जीवंत भावनाएं.सुन्दर चित्रांकन,पोस्ट दिल को छू गयी..कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब.
    बहुत सुंदर भावनायें और शब्द पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने...बहुत खूब.आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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  20. फोटू और कविता दूनो चकाचक हैं।

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