बहुत काम है मुझको
लाल सूरज उगाना है
नया सा राग गाना है
सितारे बाँध रख छोड़े
ओस बिंदु उठाना है
संवरने की कहाँ फुर्सत
अभी दिन भी सजाना है
जुगनू को सुलाना है
कलियों को जगाना है
भोर से रूठ छिप बैठी
उसे अब खींच लाना है
तुम्हारे जागने से
पहले
दुनिया को सजाना है
यह तो एक परी कथा ही हुई !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
और यह बताना तो भूल ही गई आप कि यह रोज़ का सिलसिला है ... केवल किसी एक दिन का नहीं |
ReplyDeleteखिला सा मन तो खिल उठे जीवन ....
ReplyDeleteवाह...इतने सारे सुन्दर सुन्दर काम......
ReplyDeleteजगते ही दीवाना बना दोगी उसको ????
:-)
अनु
बहुत सुंदर भाव.
ReplyDeleteयहाँ भी पधारिए
http://iwillrocknow.blogspot.in/
खुद को भी जागा ही दीजिये :)
ReplyDeleteइतना सब कुछ - वाह वाह
ReplyDeleteSunder Sonal :)
ReplyDeleteSo... Nal.. Bhavon ke.. one sonal. always great
ReplyDeleteवाह क्या बात! बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteइसी मोड़ से गुज़रा है फिर कोई नौजवाँ और कुछ नहीं
भाव मय ... करने की ठान लो तो जरूर पूरी होती है ...
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