इंसा पैदा हुए थे हम
हुए ना जाने कब विषधर
किसी अंधियारे कोने में
केंचुली छोड़ आयें
चलो कुछ भूल जाएँ ......
हुए ना जाने कब विषधर
किसी अंधियारे कोने में
केंचुली छोड़ आयें
चलो कुछ भूल जाएँ ......
उम्र बीती जिरह करते
जब भी उगला ज़हर उगला
किसी गुमनाम पीर पर
ज़हर का तोड़ पाए
चलो कुछ भूल जाएँ ..........
युग बदले ना तू बदला
रहा उथले का तू उथला
किसी गंगा में यूँ डूबें
के मुक्ति पा ही जाए
चलो कुछ भूल जाएँ............
रहा उथले का तू उथला
किसी गंगा में यूँ डूबें
के मुक्ति पा ही जाए
चलो कुछ भूल जाएँ............
बड़ी रंजिश सहेजी हैं
तुमने अपनी किताबों में
किसी पार्क की बेंच पर
इरादतन छोड़ आयें
चलो कुछ भूल जाएँ ....
तुमने अपनी किताबों में
किसी पार्क की बेंच पर
इरादतन छोड़ आयें
चलो कुछ भूल जाएँ ....
मनभर बोझ लेकर
सफ़र कैसे करोगे तय
मंजिल पास में ही है
अंत आसाँ बनाये
चलो सब भूल जाएँ ....
सफ़र कैसे करोगे तय
मंजिल पास में ही है
अंत आसाँ बनाये
चलो सब भूल जाएँ ....
न भूले अब कुछ हम तो चलना आसान नहीं होगा
ReplyDeleteघिर जाएँ दीवारों के बीच
उससे पहले चलो ....
excellent....excellent....
ReplyDeleteबड़ी रंजिश सहेजी हैं
तुमने अपनी किताबों में
किसी पार्क की बेंच पर
इरादतन छोड़ आयें
चलो कुछ भूल जाएँ ..
बहुत खूबसूरत नज़्म.....
लाजवाब!!!
अनु
काश कि इतना आसान होता भूलना.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव.--
उड़ने के लिये हल्का होना आवश्यक है।
ReplyDeleteभूलना आसान नहीं है ...कोशिश तो की जा सकती है ...सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteचलो सब भूल जाएँ
ReplyDeleteकाश!!!
सुंदर प्रस्तुति!
किसी पार्क की बेंच पर
ReplyDeleteइरादतन छोड़ आयें ...
Kaash k bhul jana aasan hota.. :(
Kash hum sab kuch Bhool paate.....
ReplyDeleteहाँ कुछ तो भुलाया जा सकता है।
ReplyDeleteभूलाया तो जा सकता है, पर विषधर बनना नहीं भूलना चाहिए…… मनुर्भव: इंसान बनने की ओर लौटना चाहिए…………… अच्छी प्रस्तुति ………आभार
ReplyDeleteजाने इस आसान अंत तक कब पाहुचेगा काफिला....
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...
सादर।
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया....बहुत बेहतरीन प्रस्तुति...!
ReplyDeleteकाश ऐसा कर पायें,
ReplyDeleteचलो सब भूल जाएँ ....
वाह ...बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteइंसा पैदा हुए थे हम
ReplyDeleteहुए ना जाने कब विषधर
किसी अंधियारे कोने में
केंचुली छोड़ आयें
चलो कुछ भूल जाएँ ......
काश भुलाने से सब कुछ ठीक हो पाता. बहुत सुंदर विचारों को पेश करती खूबसूरत कविता.
बड़ी रंजिश सहेजी हैं
ReplyDeleteतुमने अपनी किताबों में ...
इस रंजिश को यूं छोड़ना आसान नहीं होता ... पर अहगर छोड़ दिया तो जीवन आसान भी हो जाता है ... बहुत लाजवाब रचना ..