पिघलते है युही अक्सर
तेरे आगोश में हम भी
सुलगकर राख होते है
कभी ज्यादा कभी कम भी
युही जब सर्द मौसम में
तन्हाई सताती है
झुलस जाते है अन्दर तक
छू जाए जो शबनम भी
तेरे नज़दीक होने से
गुनगुनाती है मेरी धड़कन
नए से सुर उमड़ते है
कुछ तीव्र कुछ मध्यम भी
छाए हो आकाश में बादल
तेरे आने की आहट हो
सिहर उठते है दस्तक से
मेरे दर भी और दामन भी
तेरे आने की आहट हो
ReplyDeleteसिहर उठते है दस्तक से
मेरे दर भी और दामन भी
एक सच्चे, ईमानदार कवि के मनोभावों का वर्णन। बधाई। बहुत अच्छी कविता।
फ़ुरसत में .. कुल्हड़ की चाय, “मनोज” पर, ... आमंत्रित हैं!
ओए होए ..गज़ब...माधुर्य सा घुल गया पढकर. बहुत सुन्दर कविता.
ReplyDeleteछाए हो आकाश में बादल
ReplyDeleteतेरे आने की आहट हो
सिहर उठते है दस्तक से
बहुत ही सुन्दर।
नए से सुर उमड़ते है
ReplyDeleteकुछ तीव्र कुछ मध्यम भी
छाए हो आकाश में बादल
तेरे आने की आहट हो
सिहर उठते है दस्तक से
मेरे दर भी और दामन भी........ bahut achhi lagi!! mere blog par bhi swagat hai !!
Jai HO MANGALMAY Ho
क्या बात है ....बहुत रूमानी सी नज़्म ...सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteप्रेम बना विवाह,
ReplyDeleteकलह ही कलह, आह ही आह,
बचाते फिरते स्वयं को, उनके गुस्से से, बर्तन से,
जो भाग्य साथ, से बच जाते है बेलन भी !
आपकी रचना को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है, बस कभी कभी यूँ ही कुछ सूझ जाता है.
बदिया शब्द चयन, और प्रभावशाली अभिव्यक्ति ...
सचमुच प्रेम
ReplyDeleteक्या नहीं सीखा देता है
प्रेम प्रकृति के करीब ले जाता है
सबसे बड़ी बात प्रेम जीना सीखा देता है
रचना बहुत ही शानदार है
सुन्दर , बस जैसे शब्द भावों की तरह छलकते जा रहे हों ।
ReplyDeleteछाए हो आकाश में बादल..तेरे आने की आहट हो
ReplyDeleteसिहर उठते है दस्तक से..मेरे दर भी और दामन भी..
भावों का अनवरत प्रवाह लिए, बहुत सुन्दर रचना..
सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeletesundar....
ReplyDeletebahut hi lajawab rachna....
झुलस जाते है अन्दर तक
ReplyDeleteछू जाए जो शबनम भी
तेरे नज़दीक होने से
गुनगुनाती है मेरी धड़कन
नए से सुर उमड़ते है
कुछ तीव्र कुछ मध्यम भी
छाए हो आकाश में बादल
तेरे आने की आहट हो
सिहर उठते है दस्तक से
मेरे दर भी और दामन भी
बहुत ही भावपूर्ण रचना.....
मेरी ग़ज़ल:
मुझको कैसा दिन दिखाया ज़िन्दगी ने
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteमूल ध्यान गुरु रूप है, मूल पूजा गुरु पाँव ।
मूल नाम गुरु वचन है, मूल सत्य सतभाव ॥
हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।
आप यूं फासलों से गुज़रते रहे,
ReplyDeleteदिल से कदमों की आवाज़ आती रही,
आहटों से अंधेरे चमकते रहे,
रात आती रही रात जाती रही,
आप यूं फासलों से गुज़रते रहे...
जय हिंद...
रसमय रचना ।
ReplyDeleteतेरे नज़दीक होने से
ReplyDeleteगुनगुनाती है मेरी धड़कन
नए से सुर उमड़ते है
कुछ तीव्र कुछ मध्यम भी
छाए हो आकाश में बादल
तेरे आने की आहट हो ...
उनके आ जाने से चेहरे पे आ जाती है रौनक .....
किसी की खुश्बू ये एहसास करा जाती है ... बहुत अच्छा लिखा है ...
जन्मदिन की शुभकामनाएं सोनल जी!
ReplyDeleteसोनल जी
ReplyDelete!!!!^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!
जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !!
!!!!^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आदरणीया सोनल रस्तोगी जी
ReplyDeleteआपकी रचनाओं में एक ज़ादू का - सा एहसास होता है
तेरे नज़दीक होने से
गुनगुनाती है मेरी धड़कन !
नए से सुर उमड़ते है ,
कुछ तीव्र … कुछ मध्यम भी …
सहज संप्रेषणीय शब्दावली के साथ
कसा हुआ शिल्प
और मन में सीधे असर करने वाले कोमल जज़बात
कहने के लिए कुछ बचता ही नहीं …
… अद्भुत !
… लाजवाब !
… वाह वाऽऽह !
जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !! !!!!^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!^^^^!!!!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आपके ब्लॉग का तसल्ली से चक्कर काट कर आ रहा हूँ. जितनी खूबसूरती से आपने अपने भावो को शब्दों में पिरो कर कविताये लिखी है उतने ही सुन्दर आपके भाव है. मेरी बधाई स्वीकार करे. फर्क मात्र इतना है की आप अपने भावो से कविता लिखती है और मै गुफ्तगू करता हूँ. आपका भी मेरी गुफ्तगू में स्वागत है.
ReplyDeleteगुफ्तगू परिवार की और से जन्मदिन दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाये और ढेरो बधाई.
सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeletejanm din ki bahut bahut badhai evam shubh-kaamnaayen
Happy B'day Sonal ji... badhiya kavita aur jaan ke khushi hui ki aap bhi siptambariya hain hamari tarah..
ReplyDeleteसोनल जी,
ReplyDeleteआरज़ू चाँद सी निखर जाए, ज़िंदगी रौशनी से भर जाए।
बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की, जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
………….
साँप काटने पर क्या करें, क्या न करें?
sonal pahle to belated happy bday.. :)
ReplyDeletebaaki shuruaat hi umda hai..पिघलते है युही अक्सर
तेरे आगोश में हम भी
सुलगकर राख होते है..beautiful1
पूर्णतः प्रेमभाव में रची-बसी सुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
चन्द्र मोहन गुप्त
SUNDER RCHNA ,,,SONAL JI BADHAYEE..
ReplyDeletemanmohak rachana. badhai.
ReplyDeleteसुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeletemere blo par phool ki fariyaad zaroor dekhen....