Pages

Monday, December 6, 2010

टीवी मेरी तौबा

आज बहुत फुर्सत में थे तो सोचा कुछ समय का खून किया जाए ,आखिर कितना भी सदुपयोग करे एक दिन तो टाइम पूरा होना ही है ..तो बस अपने हांथो में रिमोट थमा और शुरू हो गए ..बाप रे भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा, सारी दुनिया उलट पुलट हो गई ..और हमको अपने आप पर इतनी शर्म आई की क्या कहे ..हमको तो पता ही नहीं क्या क्या हो रहा है हमारे देश में बाल विवाह ,सतीप्रथा,अग्नि परीक्षा ,गंगा की धीज... इसमें से कुछ तो हमने सुना था इतिहास में दर्ज है पर भला हो टीवी का जो हम आज जान पाए पर डर भी लगा कही मेरी सासू मां गर यही देखती हुई और कहा "ज़रा अंगारों पर चल कर या नदी में डूब कर पवित्रता साबित कर फिर "


घबरा कर चैनल बदल दिया सारा मौसम गुलाबी हो गया खूबसूरत सी नायिका अकडू सा हीरो एक दुसरे को प्यार से देखते हुए ..गुदगुदी तो हमारे भी दिल में हुई ..पर ये गुदगुदी धीरे धीरे खीज में बदलने लगी क्या करते ...पूरा ३ मिनट २२ सेकेण्ड एक दुसरे को घूरते रहे और ठंडी आहें भरते रहे ..हमको विशवास हो गया पेमेंट ना मिलने से dialog लेखक बीच में भाग गया है ...

फिर थोड़ी -थोड़ी देर में हर तरफ वही नज़ारा भारी साड़िया,कुंदन के जेवर दिल फुंक कर रह गया जहाँ हम सारा दिन ऑफिस से घर की चक्की में पिसे रहते है वहीँ ये महँ देवियाँ आराम से घर में नौकरों को किसी न किसी त्यौहार की तैयारी के लिए बनने वाली मिठाई की लिस्ट समझा रही होती है ...

बहुत सुन रहे थे की आजकल रेअल्टी शोज़ में सच्चाई दिखाते है तो बस इसी उम्मीद में एक चर्चित कार्यक्रम देखने बैठ गए ..शुक्र है अकेले थे अगर परिवार साथ में होता तो शायद तुरंत चैनल बदलते और कहीं छोटे बच्चे होते तो वो हर बीप पर मतलब पूछ कर बैठना मुहाल कर देते.. हमारे बचपन में ११ बजे के बाद दूरदर्शन पर आने वाली फिल्मे भी इनके प्राइम टाइम status को छू नहीं सकती ...

न्यूज चैनल लगाने की हिम्मत की तो कहीं "मुन्नी के बदनाम होने की चर्चा " ,तो कहीं "शीला की जवानी पर गोष्ठी" देख हमको अपने तुच्छ होने का एहसास हुआ और हम अपना सा मुह लेकर वापस लैपटॉप पर आ गए,और फैसला किया जब तक हम इतनी समझ नहीं पैदा कर ले, रिमोट हाँथ में नहीं लेंगे और अगर लेंगे भी तो बस dusting के लिए ...

13 comments:

  1. हा हा हा!! यही होता है!हमारि दुनिया फिर भी अच्छी है! सोनल जी बहुत अच्छा किया!

    ReplyDelete
  2. हमारे यहाँ तो कार्टून चैनल ही चलता है और उस पर भी आजकल इतनी अश्लीलता परोसी जा रही है और साथ ही बदतमीजियाँ भी कि हद है, अब परिवार के साथ देखने के लिये ये बुद्धू बक्सा नहीं रहा है।

    पर dusting का आईडिया सही लगा। :)

    ReplyDelete
  3. आपके अनुभव से लाभान्वित हो लेते हैं, रिमोट उठायेंगे ही नहीं।

    ReplyDelete
  4. ... vaise discovery channel kaa lutf bhi kabhee kabhee in haalaaton men liyaa jaa saktaa hai ... !!!

    ReplyDelete
  5. अपनी पसंद का खुद खोज सकते है, इन्टरनेट जिंदाबाद, अंकल गूगल जिंदाबाद !

    आज तो कविताई को ठेंगा, पद्य की जगह गद्य ! चलिए बदलाव भी अच्छा है, लिखते रहिये ....

    ReplyDelete
  6. i tell u....kya likha hai aapne...sach...tv dekhkar jo kuch main kehna chaahti hoon, vo sab likh diya aapne....toooooooooooo good.....luvvv u for this...mmuuaahhhhh

    chaliye yahan to dikkat nahin, apne vanas'pati'dev ke saath akeli rehti hoon, tv nahin dekhni, to nahin dekhi. jab sasuraal jaati hoon, to main unse pareshaan ho jaati hoon, vo mujhse....arey meri saasu maa aur jethaani saahiba....main unke 800 watt tv se pareshaan, aur vo meri salaah se...ke ye mat dekho, mat dekho, kyun apna dimaag phoonkte ho.

    par unhone ab sahi tareeka nikaal liya ai, jethaani saahiba mujhe saare ghar ke bartan thama jaati hai, bade pyaar se kehti he ke behna, tu inhe maanj de, main aur kaam sambhalti hoon.....

    aur kaam kya hain, samajh gayi hongi aap ;)

    god bless u for giving words to my frustration ;)

    ReplyDelete
  7. हा हा हा। सही बात है तभी तो हमे ब्लागिन्ग का नशा लगा है। अच्छी पोस्ट। बधाई।

    ReplyDelete
  8. पेमेंट ना मिलने से dialog लेखक बीच में भाग गया है ...

    मस्त लिखेला है..

    ReplyDelete
  9. achhi post...reality so ki sachmuch yahi reality hai....blogging hi achhaa hai.

    ReplyDelete
  10. reality शो का सच ...बढ़िया लगा ..

    ReplyDelete