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Tuesday, November 30, 2010

तेरी बाते जामुन जामुन

कुछ तुम  पागल 
कुछ मैं पागल 
 साथ बटोरें
चल  कुछ बादल
कभी तुम अंधड़
कभी मैं बिजली
कहीं तुम गरजे
कहीं मैं तड़की
जब तुम रूठे
कुछ तुम बरसे
जब मैं बिगड़ी  
कुछ  मैं पिघली
तेरी बाते
जामुन जामुन 
मेरी बाते
इमली इमली
दिन बीता
तुझे मनाते
रूठी रूठी
रात भी छिटकी
आओ अब तो 
साथ निभाओ
कहती है
पाँव की चुटकी

31 comments:

  1. @ सोनल जी..
    आप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
    बधाई.

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  2. hamesha ki tarah....kuch kash ahsas aapki pangtiyo m dikhe...swagat hai...!!


    mere nyi post "Dhyan ka mahatv" paden or pratikriya dain..

    Jai Ho Mangalmay HO

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  3. कुछ तुम पागल
    कुछ मैं पागल

    यह भी ठीक है ...

    अच्छी रचना.

    ---
    मनोज खत्री
    यूनिवर्सिटी का टीचर'स हॉस्टल-अंतिम भाग

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  4. झूम जाने का मन कर रहा है.. बहुत सुन्दर .. बहुत रोमांटिक ..

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  5. भाई वाह !

    अति सुंदर कविता........
    कुछ नया सा...

    बधाई दे दी जाए ..
    बधाई हो.

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  6. वाह वाह ! मन के भावों का सुन्दर समन्वय्।

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  7. तेरी बाते
    जामुन जामुन
    मेरी बाते
    इमली इमली

    vah vah kya baat hai

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  8. जब तुम रूठे
    कुछ तुम बरसे
    जब मैं बिगड़ी
    कुछ मैं पिघली
    ....bahut sundar jitani bhi taarif ho kam hai.

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  9. वाह... जामुन-इमली का साथ होगा
    तब तो जरूर खट्टा-मीठा हर लम्हा होगा...

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  10. कहानी लिखने वाले भावुक मन में जब शब्‍दों की सीमाओं में अभिव्‍यक्ति तड़फती है तब ऐसी कविता जनमती है, इस कथाकारा को मेरा सलाम. कहते हैं पद्य, गद्य की कसौटी है, धन्‍यवाद इस सुन्‍दर कविता के लिए.

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  11. जब तुम रूठे
    कुछ तुम बरसे
    जब मैं बिगड़ी
    कुछ मैं पिघली
    samayojan ka achha chitran ,badhai

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  12. ये पागल ही ऐसी रूमानी बातें कर सकते हैं अब की दुनिया में

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  13. जामुन सुनकर जामुन खाने का मन कर आया
    क्‍योंकि ये फल डायबिटीज में लाभदायक है।

    आपने जामुन की प्रशंसा में गीत लिखकर
    अंगूरी पसंद करने वालों के कलेजे पर
    नश्‍तर चला दिया होगा
    ऐसा सोच रहा हूं
    क्‍योंकि मुझे अंगूरी नहीं
    भाते अंगूर हैं
    पर डायबिटीज के कारण
    मैं खाता जामुन हूं।
    बेबस बेकसूर ब्‍लूलाइन बसें कोई इन बसों की सुनो

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  14. कहां कहां से चुनकर चुनकर लायी हैं आप!!सब कि सब नायाब!

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  15. अच्छी कविता है.

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  16. By chance aaj hi imli khaai hai ....wo bhi Lal waai....aapki jamuni kavita achchi lagi

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  17. wah! man moh liya aapki rachna ne. fursat me baaki bhi padhugi.

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  18. chhitki chhitki si nazm, bohot bohot khoobsurat nazm hai, hamesha ki tarah

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  19. बहुत ही बेहतरीन रचना है... दिल को छू गई.. बहुत खूब!

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  20. तेरी बाते
    जामुन जामुन
    मेरी बाते
    इमली इमली


    वाह..! वाह..! वाह..!

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  21. तेरी बाते
    जामुन जामुन
    मेरी बाते
    इमली इमली

    वाह..! वाह..! वाह..!

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  22. सोनल जी

    कुछ तुम पागल !
    कुछ मैं पागल !!


    अहा ! बहुत ख़ूबसूरत रूमानी रचना है …

    तीसरी बार पढ़ने आया हूं , जामुन-इमली जो मन पर छा गए थे , देख रहा हूं … बहुतों को सम्मोहित कर चुके …

    आओ अब तो
    साथ निभाओ
    कहती है
    पाँव की चुटकी

    मैं तो वैसे भी शुरू से आख़िर तक की पंक्ति के ज़ादू से बंधा ही हूं … बहुत ख़ूब !!

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  23. मोहतरमा,
    इरादा क्या है?
    पागलपन पर हमारा कॉपीराईट है! केस कर देंगे बता रहे हैं!
    सोनल,
    खूबसूरत! और क्या?
    आशीष
    --
    नौकरी इज़ नौकरी!

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  24. आदरणीय सोनल जी
    आपकी कविता गहरे अर्थ संप्रेषित करती है ...बहुत बढ़िया लिखती है आप ...अपने भावों को यूँ ही अभिव्यक्ति देते रहें ...और ब्लॉग जगत को समृद्ध करते रहें .......

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  25. waah! kitni pyaari si rachna ban padi hai... jaamun ki mithaaas aur imli ki khattas dono kaaa mazaa ek saath de gayi...

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