मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
Wednesday, December 22, 2010
ये दरवाजे !!
मुझे कहानिया बहुत पसंद है ..सड़क पर चलती कहानिया ,पालने में पलती कहानिया सब बेहद लुभाती है ...किसी से कहूं तो पागल कहेगा पर हर चीज़ मुझसे बात करती है ..सबके पास कहने को बहुतकुछ है ...पर मेरे पास वक़्त कम रहता है ..कल नाराज़ होकर घर के दरवाजे ने रोक लिया ...कितनी जल्दी में रहती हो ..दो पल तो रुक जाया करो ... मेरा जुड़ाव है तुझसे वरना कभी नहीं कहता तुझे ..जब तेरी माँ गोद में लेकर तुझे घर के अन्दर आई थी तबसे ... अब क्या करती ठहर गई ..हीर वही कहानी सुनने का शौक ....हाँथ लगते ही एहसास हुआ जब दादी अंतिम यात्रा पर जा रही थी तब इसी दरवाजे को पकड़ कर कितना रोई थी इसने ही तो सहारा दिया था ..
भाभी जब दुलहन बन आई थी तब सारे नेग रस्में इसी दरवाजे के सामने हुए ...सब बातों का गवाह है ये ...जब भाई नाराज़ होकर घर छोड़ कर गया तो पापा ने गुस्से में यही दरवाजा कितनी डोर से बंद किया था ..फिर आधे घंटे बाद से फिर दरवाजे पर उसके आने का इंतज़ार .....
उफ़ ....पर इसी दरवाजे से मेरा हाँथ भी तो दबा था और मैंने कितना मारा था इस दरवाजे को ...माँ गोद में लेकर घंटों बहलाती रही थी मुझे ..अरे वो दर्द तो फिर से ज़िंदा हो गया ....
ये दरवाजा गवाह है हर आगमन और प्रस्थान का.. चाहे अनचाहे हर मेहमान का ....जितना ये घर के अन्दर की बातें जानता है उतनी बहार की दुनिया की असलियत भी ...अन्दर होने वाली महाभारत को छिपा जाता है ....पैसे की तंगी ...मनमुटाव सब छिपे रहते है ...सिहर गई ये सोच् अगर ये दरवाजे ना होते तो ........
Labels:
कहानी,
लघुकथा,
हिन्दी कहानी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
ये दरवाजा गवाह है हर आगमन और प्रस्थान का.. aur yahi mann se baaten karta hai, jisne suna wahi to likhta hai...
ReplyDeleteकोमल भावो का सुन्दर संग्रह्।
ReplyDeleteसच में इन दरवाजों के भीतर ही तो हम सुरक्षित महसूस करते हैं।
ReplyDeleteघर की महाभारत, पैसे की तंगी, मनमुटाव सब छिपा जाता है।
बढिया अभिव्यक्ति
प्रणाम
सच , यदि दरवाज़े न होते तो ...बहुत गहन सोच ..
ReplyDeleteदरवाजे कितना कुछ बताते हैं और कितना कुछ छिपाते हैं।
ReplyDeleteअगर ये दरवाजे ना होते तो ..
ReplyDeleteतो घुटन बढ़ जाती , साँसें अवरुद्ध हो जातीं .... अच्छी रचना
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (23/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
... bahut khoob ... saarthak charchaa !!!
ReplyDeleteदरवाजे को कहिए धन्यवाद और आगे लिखते चलिए , हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं ।
ReplyDeleteदरबाजे की अहमियत, बहुत खूब बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति...लिखने की लगन कहां-कहां तक ले जाती है। बहुत खूब
ReplyDeleteदरवाजा जो सिर्फ दूसरों से पिटता है...........और आप ने उसकी शान में इतनें कशीदें पढ़ दिए.... वाकई बहुत ही सुंदर . बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteसृजन शिखर पर -- इंतजार
बहुत सुन्दर, बेहतरीन रचना !
ReplyDeleteमुझे तो लगता है पूरी ज़िन्दगी ही इन दरवज़ों के नाम है। जो हमने भी नही देखा वो दरवाजों ने देखा है। बहुत सुन्दर भावव मय प्रस्तुति है। बधाई।
ReplyDeleteचिन्तन के पट दरवाजों के पट पर खूब जाकर टिके हैं । बधाई उत्तम प्रस्तुति के लिये...
ReplyDelete
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - पराजित होती भावनाएं और जीतते तर्क - सब बदल गए - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
मन पर बिछ गयीं ये पंक्तियाँ...
ReplyDeleteये दरवाजा गवाह है हर आगमन और प्रस्थान का.. चाहे अनचाहे हर मेहमान का ....जितना ये घर के अन्दर की बातें जानता है उतनी बहार की दुनिया की असलियत भी ...अन्दर होने वाली महाभारत को छिपा जाता है ....पैसे की तंगी ...मनमुटाव सब छिपे रहते है ...सिहर गई ये सोच् अगर ये दरवाजे ना होते तो ........
क्या लिखती हैं आप...उफ़ !!!!
बेजोड़ !!!
दरवाज़े पर सार्थक चिंतन!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteदरवाज़े पर सार्थक चिंतन!
ReplyDeleteअभी आप विचारों के दरवाज़े पर खड़ी हैं ..निरंतर प्रयास रत रहें ।
ReplyDeletebeautiful thoughts...
ReplyDelete"ये दरवाजा गवाह है हर आगमन और प्रस्थान का.. चाहे अनचाहे हर मेहमान का ....जितना ये घर के अन्दर की बातें जानता है उतनी बहार की दुनिया की असलियत भी ...अन्दर होने वाली महाभारत को छिपा जाता है ....पैसे की तंगी ...मनमुटाव सब छिपे रहते है ...सिहर गई ये सोच् अगर ये दरवाजे ना होते तो ..."
ReplyDeleteaah ...
kitna sundar likha hai aapne
kayi baar padha
bahut achha
aabhar / shubh kamnayen
Bahut Khubsurat.
ReplyDeleteAtyant sundar. Har darwaza kuchh kahta hai... :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteआपको नया साल बहुत-बहुत मुबारक हो...
द्वार - रास्ता देते भी हैं, और रोकते भी।
ReplyDelete