मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
सूरज कुछनाराज़ हैधुंध लपेटेचुप पड़ा हैबड़ा बिगड़ानवाब हैसच जाड़ा आते ही बड़ा बिगड़ा नबाब बन जाता है...बड़े नखरे हैं सूरज महाराज के
ji bilkul...aajkalsuraj maraj kuch jyada hi bhaw kha rhe hai....!! happy winter ...Jai HO Mangalmay HO
kuch zyada hi naraaz hai ...
सूरज तो गर्मी में नाराज हो जाते हैं।
क्या बात है!सूरज देवता कुछ समय और ऐसे ही नाराज़ रहेंगे.......................'सी.एम.ऑडियो क्विज़' हर रविवार प्रातः 10 बजे
... kyaa baat hai ... bahut badhiyaa !!!!
sundar panktiyan
सूरज की नाराजगी अपनी जगह सही है
कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
सूरज कुछनाराज़ हैधुंध लपेटेचुप पड़ा हैबड़ा बिगड़ानवाब हैबहुत सुन्दर...
chup pade pade hi har roj har insaan ka ek din qatl kar deta hai. itni shakti hai is suraj mein
सूरज को परवाह नहीं हैसब बैठे अगवानी में,जी करता है आग लगा देंसूरज की मनमानी में.खुद सोया है ओढ़ के चादरहम बैठे हैं पानी में!!
wah kya baat hai........saamyik rachana........aabhar
behad pasand aayi hai yah rachna ...
ये छोटी सी नज़्म तो बहुत ही प्यारी है ..सचमुच
मतलब ठण्ड शुरू हो गयी वहां, पैकिंग में स्वेटर बाधा लेते हैं लौटते वक़्त !!!!
सूरज कुछ
ReplyDeleteनाराज़ है
धुंध लपेटे
चुप पड़ा है
बड़ा बिगड़ा
नवाब है
सच जाड़ा आते ही बड़ा बिगड़ा नबाब बन जाता है...बड़े नखरे हैं सूरज महाराज के
ji bilkul...aajkalsuraj maraj kuch jyada hi bhaw kha rhe hai....!! happy winter ...
ReplyDeleteJai HO Mangalmay HO
kuch zyada hi naraaz hai ...
ReplyDeleteसूरज तो गर्मी में नाराज हो जाते हैं।
ReplyDeleteक्या बात है!
ReplyDeleteसूरज देवता कुछ समय और ऐसे ही नाराज़ रहेंगे.
......................
'सी.एम.ऑडियो क्विज़'
हर रविवार प्रातः 10 बजे
... kyaa baat hai ... bahut badhiyaa !!!!
ReplyDeletesundar panktiyan
ReplyDeleteसूरज की नाराजगी अपनी जगह सही है
ReplyDeleteकुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
ReplyDeleteसूरज कुछ
ReplyDeleteनाराज़ है
धुंध लपेटे
चुप पड़ा है
बड़ा बिगड़ा
नवाब है
बहुत सुन्दर...
chup pade pade hi har roj har insaan ka ek din qatl kar deta hai. itni shakti hai is suraj mein
ReplyDeleteसूरज को परवाह नहीं है
ReplyDeleteसब बैठे अगवानी में,
जी करता है आग लगा दें
सूरज की मनमानी में.
खुद सोया है ओढ़ के चादर
हम बैठे हैं पानी में!!
wah kya baat hai........
ReplyDeletesaamyik rachana........
aabhar
behad pasand aayi hai yah rachna ...
ReplyDeleteये छोटी सी नज़्म तो बहुत ही प्यारी है ..सचमुच
ReplyDeleteमतलब ठण्ड शुरू हो गयी वहां, पैकिंग में स्वेटर बाधा लेते हैं लौटते वक़्त !!!!
ReplyDelete