थी कल की शाम रूमानी
छलकता जाम रूमानी
निगाहे थी निगाहों तक
नज़र की प्यास रूमानी
सहेजा भी संभाला भी
सीने से दिल निकाला भी
नहीं था सुर्ख इतना कुछ
जली फिर रात रूमानी
अजब हालात थे शायद
मेरे जज्बात थे शायद
ना तुम बोले ना मैं बोली
चुपी ना रात रूमानी
कहें कैसे सुनें कैसे
ये किस्से प्यार वाले है
बहुत मीठे है गुड जैसे
यहाँ जितने निवाले है
तुम्हे पाया तो पा बैठी
मैं ये सौगात रूमानी
छलकता जाम रूमानी
निगाहे थी निगाहों तक
नज़र की प्यास रूमानी
सहेजा भी संभाला भी
सीने से दिल निकाला भी
नहीं था सुर्ख इतना कुछ
जली फिर रात रूमानी
अजब हालात थे शायद
मेरे जज्बात थे शायद
ना तुम बोले ना मैं बोली
चुपी ना रात रूमानी
कहें कैसे सुनें कैसे
ये किस्से प्यार वाले है
बहुत मीठे है गुड जैसे
यहाँ जितने निवाले है
तुम्हे पाया तो पा बैठी
मैं ये सौगात रूमानी
ये किस्से प्यार वाले है
ReplyDeleteबहुत मीठे है गुड जैसे
क्या बात है ..कविता भी है एकदम गुड़ जैसी ही ..
ohh....
ReplyDeleteye rumaniyat...
khubsurat ehsaas...:)
नमस्कार...
ReplyDeleteकही जो तुमने बातें हैं...
लगी हर बात रूमानी...
तेरी कविता हमेशा ही..
लगी सौगात रूमानी..
तेरा जो प्रेम है उनसे.
अलग सा सारा दिखता है..
तेरे हर शब्द से झलके...
तेरे जज़्बात रूमानी...
सुन्दर अहसास....
दीपक...
मेरे ब्लॉग पर पढ़ें...."प्रेम दिवस"...
www.deepakjyoti.blogspot.com
बहुत सुन्दर !!!
ReplyDeleteबढियां बढियां ...कविता इमोशनल झटके दे रही है....
ReplyDelete"सहेजा भी संभाला भी
ReplyDeleteसीने से दिल निकाला भी
नहीं था सुर्ख इतना कुछ
जली फिर रात रूमानी "
बहुत सुन्दर कविता
''मिलिए रेखाओं के अप्रतिम जादूगर से.....'
ये तो ग़ज़ल और कविता का मिला जुला रूप हुआ..
ReplyDeleteखैर जो भी हो.. पढ़ते हुए रिदम ज़रूर बनती है..
ekdam jhakas ... lovely...
ReplyDeleteअच्छा हैंग ओवर है!!
ReplyDeleteप्रेमपूर्ण एहसास।
ReplyDeleteतुम्हे पाया तो पा बैठी
ReplyDeleteमैं ये सौगात रूमानी
सुंदर भावों की उत्तम अभिव्यक्ति।
बहुत सुन्दर !!!
ReplyDeleteकिसी के sath beete pal हमेशा rumaani hote हैं ... bahut lajawab रचना है ....
ReplyDeleteBahut sunder
ReplyDeleteek hi sans me sab badh liya.
meethi meethi kavita
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteकहें कैसे सुनें कैसे
ये किस्से प्यार वाले है
बहुत मीठे है गुड जैसे
यहाँ जितने निवाले है
बहुत मिठास है इन बोलों में.
आपकी कलम को सलाम
अब रूमानियत मे थोड़े यथार्थ की भी ज़रूरत है ।
ReplyDeleteयह तो बहुत सुन्दर लिखा आपने....बधाई.
ReplyDelete______________________________
'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !
bahut hi sunder likha hai apne
ReplyDeletekabhi mere blog per bhi aakar dekhiyein
ReplyDeleteरूमानियत की अभिव्यक्ति में बह जाने का ख़तरा रहता है,मगर यहां संतुलन है।
ReplyDeleteबहुत खूब !!! ज़रा मेरा ब्लाग भी देखने की कृपा करें ।
ReplyDeletehttp://hinditeachers.blogspot.com
sabhi rachnayein bahut hi sunder hain
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