आज फिर मैं वही सवाल पूछूंगी
जानती हूँ जवाब क्या आएगा
नए जबाब की चाहत में
वही साल दर साल पूछूंगी
मैं नहीं थकूंगी मांगने से
ना मांगू तो क्या पा जाउंगी
रीती थी तब भी मैं
अब भी रीती रह जाउंगी
सजदा सुबह शाम करो
तो माथे पर भी निशा पड़ते है
टूटते है जितने ख्वाब
सब मेरे तलवो पे आके गड़ते हैं
ना सजाऊं अगर ख्वाब नए
क्या लहूलुहान होने से बच जाउंगी
जो पाना है वो बहुत मुश्किल है
पर ज़माने को आसानी से हासिल है
लगता है इस बार की कोशिश में
अपनी चाहत पा जाउंगी
zarur ... sazde mein pade nishaan vyarth nahi honge
ReplyDeleteSUDNAR PRASTUTI,
ReplyDelete5 TH line "thukungi ya chukungi"
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही सुन्दर ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.
ReplyDeleteसादर
कोशिश जारी रखिये ख्वाब जरूर पूरा होगा।
ReplyDeleteअनसुलझे सवालों का नाम ही जिंदगी है.. अच्छा लिखा
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteदिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
न भी पाया तो कोई बात नहीं... कभी कभी हार कर भी इंसान जीत जाता है.. खोकर भी सबकुछ पा लेता है!!
ReplyDeleteसुंदर भाव।
ReplyDeleteकश-म-कश । बहुत सुन्दर ।
ReplyDeletebeautifully written...
ReplyDeleteHi..
ReplyDeleteKoshish man se agar karogi..
Kadmon main wo aayega..
Jiski khatir khwab hain tere..
Khud wo tujh tak aayega..
Aur duayen hum sabki bhi..
Alisa asar dkhayengi..
Man main hasrat, khwab hain jo bhi..
Aap swatah paa jayengi..
Sundar bhav..
Deepak..
बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteसजदा सुबह शाम करो
तो माथे पर भी निशा पड़ते है
टूटते है जितने ख्वाब
सब मेरे तलवो पे आके गड़ते हैं
शुभ कामनाएं.
सजदा सुबह शाम करो
ReplyDeleteतो माथे पर भी निशा पड़ते है
टूटते है जितने ख्वाब
सब मेरे तलवो पे आके गड़ते हैं
wahhh........kya baat hai...bas kamaal....bohot bohot khoob kaha
vaise inne udaash kyun di...cheer up :)
क्या बात है...अच्छा लिखा है.
ReplyDeleteमन की कश्मकश को भावपूर्ण शब्दों में लिखा है ..
ReplyDeleteमन पर असर करती हुई दमदार रचना है -
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है .-
खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजो पाना है वो बहुत मुश्किल है
ReplyDeleteपर ज़माने को आसानी से हासिल है
लगता है इस बार की कोशिश में
अपनी चाहत पा जाउंगी
आमीन ! आप अपनी चाहत ज़रूर पायें यही दुआ है ! एक अत्यंत भावभीनी कोमल रचना ! बहुत ही सुन्दर !
बहुत बढ़िया....भावभीनी कोमल अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअंतिम छंद में व्यक्त आशावादिता मुख्य संबल है. इसी के बल पर हार को जीत में बदला जा सकता है.
ReplyDeleteकोशिश ख़त्म हो जाए तो जीवन कहाँ रह पाता है ...
ReplyDeleteजो पाना है वो बहुत मुश्किल है
ReplyDeleteपर ज़माने को आसानी से हासिल है
लगता है इस बार की कोशिश में
अपनी चाहत पा जाउंगी .....
आशा जगाती भावपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।
वाह ...बहुत ही सुन्दर ।
ReplyDeleteभावपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।
sonal bahut hi philosphical aur gahre arth waali kavita hai ... kya kahun shbd kam padh gaye hai ...
ReplyDeleteबधाई
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मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय
ना सजाऊं अगर ख्वाब नए
ReplyDeleteक्या लहूलुहान होने से बच जाउंगी
बहुत ही सटीक बात कही है.....
सार्थक अभिव्यक्ति
कोशिश व्यर्थ नहीं जाती है।
ReplyDeleteबढ़िया रचना लगी,बधाई
ReplyDeleteनारी स्वतंत्रता के मायने