कई साल पहले ...लिखी थी ये ..किसी ख़ास के लिए
एक रोज़ मैंने सोचा तुमको एक rose दूं मैं
पर दिल मेरा बोला क्यों रोज़ rose दूं मैं
एक रोज़ rose लेकर तुम ज़िन्दगी में आओ
मैं तो चाहू हर रोज़ rose लाओ
पर आज rose day है मेरा है तुमसे कहना
मेरी ज़िन्दगी में हर रोज़ फ्रेश rose बनकर रहना ....
वो खास अब कहाँ है इम्पोर्टेंट ये है.. :)
ReplyDeleteगुलाब सा खिले जीवन प्रतिदिन।
ReplyDeleteएक बेहतरीन रचना ।
ReplyDeleteकाबिले तारीफ़ शव्द संयोजन ।
बेहतरीन अनूठी कल्पना भावाव्यक्ति
bhagwan kare roj aapko ROSE mile...:)
ReplyDeletebahut khub!!
वाह, रोज और rose का बढिया प्रयोग किया है
ReplyDeleteउम्दा कविता
बहुत ही सुन्दर ...।
ReplyDeleteawwwwww....shoo shweeeeeet ;)
ReplyDeleteवो भी क्या दिन थे, जब पसीना गुलाब था...
ReplyDeleteकोमल भावों से सजी ..
ReplyDelete..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
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ReplyDelete’गुलाब दिवस’ पर गुलाब जैसी महकती शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत खूब सोनल जी.
ReplyDeleteशुभ कामनाएं.
सादर
Happy Rose Day...
ReplyDeleteईश्वर से प्रार्थना है कि आपका हर दिन रोज़ डे हो और आपके और आपके उस ख़ास के बीच गुलाबकी ख़ुशबू हो काँटे कभी न हों!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावाव्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeleteआप को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|
बहुत ही सुन्दर.
ReplyDeleteसलाम.
ये रोज तुम्हें रोज रोज मिले :)
ReplyDeleteये तो आपने कविता को बिलकुल अलंकृत कर दिया.....मालूम नहेन्न. यमक है या शेष.....लेकिन जो भी है अच्छा है....
ReplyDeleteयहाँ आया मन गुलाबी हो गया |आपकी कविता पढे तो मन गुलाबी हो गया |बहुत बढियां पोस्ट है बधाई सोनल जी |
ReplyDeleteयहाँ आया तो यहीं पर खो गया |आपकी कविता बसंती मन गुलाबी हो गया |सोनल जी बहुत बढ़िया लिखा है आपने |बहुत बहुत बधाई |
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