सखि बसंत मादक अधिक ,करू मैं कौन उपाय
जिन कारण मैं बावरी ,वो मोहे मिल जाए
उपवन में उत्सव रचा, आवो जी ऋतुराज
करूँ श्रृंगार मैं सुमन का ,बने बिगड़े काज
नयनन ने सुन लीन्ह नयन नयन की बात
री सखि मारक बहुत कामदेव की घात
प्रेमपगी ऋतू बसंत है ,सजन नहीं है पास
भाग्य भया विपरीत मम रही ना कोई आस
दमकू मैं कनक सम रवि मलिन पड़ जाए
@पीरी चुनर ओढ़कर ऐसा करूँ श्रृंगार
ReplyDeleteदमकू मैं कनक सम रवि मलिन पड़ जाए।
बहुत सुंदर बन पड़ी है ये पंक्तियाँ।
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
हां!ताईवान में भी बसंत आ गया है :)
क्या बात है जी.... बड़े बसंती दोहे सुनाये आपने तो आज ....
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही खूब ।
ReplyDeleteबसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.
ReplyDelete.
सादर
यकीन नहीं हो रहा ये आपने लिखा है ? अति सुन्दर सोनल !!!
ReplyDeleteपीरी चुनर ओढ़कर ऐसा करूँ श्रृंगार
ReplyDeleteदमकू मैं कनक सम रवि मलिन पड़ जाए
bilkul, malin hona hi hai
सखि बसंत मादक अधिक ,करू मैं कौन उपाय
ReplyDeleteजिन कारण मैं बावरी ,वो मोहे मिल जाए
....vah...great....bahut badhiya.
बहुत सुन्दर्।बसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteइस कविता से अधिक मादकता बसंत भी नहीं ला सकता है।
ReplyDeleteसखि बसंत मादक अधिक.." बसंत का पूरी तरह से आभास कराती रचना है आपकी. मेरी बधाई स्वीकारें- अवनीश सिंह चौहान
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को बसंत पंचमी पर हार्दिक शुभकामनाएं.
सादर
समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/
सुन्दर्
ReplyDeleteबसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं
sonal ji
ReplyDeletekya likhu ,mai to bas aapki rachna padh kar hi abhibhut ho gai. us par chun-chun kar shabdo ka prayog ati -uttam.bahut hi khoobsurat lagi aapki basanti kavita.
bahut bahut badhai
poonam
सुन्दर है ! बहुत ही सुन्दर है !!
ReplyDeleteबसंत आ गया !!!
पवन में उत्सव रचा, आवो जी ऋतुराज
ReplyDeleteकरूँ श्रृंगार मैं सुमन का ,बने बिगड़े काज
bahut badiya.. vasantpanchmi kee haardik shubhkamna
बसंत का पूरी तरह से आभास कराती है आपकी रचना|
ReplyDeleteबसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं|
रंग दिया बसंती!!
ReplyDeleteमाशा अल्लाह .
ReplyDeleteइस बसंत की बढ़िया रचनाओं में से एक.
शुभ कामनाएं.
very sweet lines....
ReplyDeleteसुंदर वासंतिक रचना ........बसंतोत्सव की शुभकामनायें
ReplyDeleteबड़ी ही उन्मत्त दोहे-सी रचना...मात्राओं की कमोबेश को छोड़ दिया जाए तो मस्त भाव लिए है....
ReplyDeleteवसंत पंचमी की शुभकामना....
bohot bohot bohot sundar likha hai di....kya baat hai...mann jhoom utha...mathura ki kunj galin mein... ;) braj bhasha ka swaad hi alag hota hai na....bohot meethi boli hoti hai. aur uspar apne kya mast likha hai...maza aa gaya :)
ReplyDeletemaine bhi ek koshish ki thi braj mein likne ki...dekhna...
http://insearchofsaanjh.blogspot.com/2010/10/blog-post_08.html
wait....i think its 'gokul ki kunj galin mein'...haina
ReplyDelete;)
oopsie
बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteवसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
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समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
प्रकृति की सूक्ष्म हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।
भावपूर्ण पंक्ियां...सुन्दर छंद
ReplyDeleteलाजवाब.............बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteपवन में उत्सव रचा, आवो जी ऋतुराज
ReplyDeleteकरूँ श्रृंगार मैं सुमन का ,बने बिगड़े काज
भावातिरेक पक्तिया
सोनल जी कृपया आप अपनी मेल आई डी देने की कृपा करे ताकि आपको कानपुर ब्लागर्स असोसिएसन में लेखक की श्रेणी में शामिल किया जा सके
धन्यवाद
डॉ पवन कुमार मिश्र
bahut sundar ...
ReplyDeletebasant panchami ki shubhkamnayen
ReplyDeletebasant ka manohari chitran kiya hai
ReplyDeleteनयनन ने सुन लीन्ह नयन नयन की बात
ReplyDeleteरी सखि मारक बहुत कामदेव की घात
प्रेम श्रृंगार और भी सारे रस उमड़ रहे हैं इस रचनामें ... बहुत ही मधुर ..