(१)
किसी का खरीदूं
अपना बेच दूं
ज़मीर का सौदा
इतना आसान है क्या
(२)
सारे बड़े सम्मानित
उद्योगपति नेता अभिनेता
पहले आइये पहले पाइए
नया पता "तिहाड़"
(३)
भगवा हो या सफ़ेद हो
भ्रष्ट हो या नेक हो
खून पसीना तो
हमारा ही बहाते है
पाँव रखते है
हमारे शीश पर
स्वयं शिखर पर
चढ़ जाते है
(४)
हे स्विस बैंक
अकाउंट धारी
सौ तालो में बंद
सम्पति तुम्हारी
नीद भूख प्यास
सब तुमने हारी
(५)
हाय धरती पुत्र
कैसे चैन से सोते हो
खुले आकाश के नीचे
छोड़कर अपनी सारी सम्पति
जो तुमने कमाई है
हड्डियां जलाकर अपनी
किसी का खरीदूं
अपना बेच दूं
ज़मीर का सौदा
इतना आसान है क्या
(२)
सारे बड़े सम्मानित
उद्योगपति नेता अभिनेता
पहले आइये पहले पाइए
नया पता "तिहाड़"
(३)
भगवा हो या सफ़ेद हो
भ्रष्ट हो या नेक हो
खून पसीना तो
हमारा ही बहाते है
पाँव रखते है
हमारे शीश पर
स्वयं शिखर पर
चढ़ जाते है
(४)
हे स्विस बैंक
अकाउंट धारी
सौ तालो में बंद
सम्पति तुम्हारी
नीद भूख प्यास
सब तुमने हारी
(५)
हाय धरती पुत्र
कैसे चैन से सोते हो
खुले आकाश के नीचे
छोड़कर अपनी सारी सम्पति
जो तुमने कमाई है
हड्डियां जलाकर अपनी
वाह वाह एक से बड़ कर एक ... जय हो सोनल जी ... लगी रहिये !!
ReplyDeleteतीसरा पैरा बहुत प्रभावपूर्ण है.
ReplyDeleteसादर
bahut hi achhi kshanikayen ...arthpurn
ReplyDeletewaah waah sab ek se badh kar ek hain sach likha hai bahut khub behtreen
ReplyDeleteसारी क्षणिकाएं बिलकुल सामयिक और सटीक हैं...
ReplyDeleteबहुत बढिया
ReplyDeleteकिसी का खरीद लूं
अपना बेच दूं
जमीर का सौदा
इतना आसान है क्या
क्या बात है
पहली वाली ने दिल ले लिया...
ReplyDeleteबाकी भी सटीक हैं.
bahut khoob Sonal ji
ReplyDeleteaap bhi aaiye
http://mridula-naazneen.blogspot.com/
http://abhivyakti-naaz.blogspot.com/
abhaar
all are good but first one is the best...
ReplyDeletekya baat hai... lovely
ReplyDeleteमेरी ओर से सिर्फ तालियाँ, तालियाँ और तालियाँ!!!
ReplyDeleteशानदार है, क्या कहने..... सारी बातें अच्छी है तिहाड़ वाली बहुत सटीक बात लिखी है। बधाई स्वीकार कीजिए।
ReplyDeletesonal ji hamare blog par bhi aaye aur hume apne wicharo se avgat karaye
ReplyDeleteसोनल जी, जवाब नहीं अपका। सचमुच, बहुत संदर।
ReplyDelete---------
बाबूजी, न लो इतने मज़े...
चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।
bahut badiya....behtreen bhavabhivyakti...sadhuwaad
ReplyDeleteबिलकुल सटीक हैं सारी क्षणिकाएं ..... सोनल जी
ReplyDeleteKYA SUNDER KATAKSH HAI .
ReplyDeleteUTTAM
RACHANA
बढ़िया क्षणिकाएं जबरदस्त कटाक्ष करती उम्दा प्रस्तुति. शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबहुत सटीक और पैनी....
ReplyDeleteवाह सोनल जी वाह. बहुत तीखा वार शब्दों से.
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
सच कह रही हैं आप ...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
कौड़ियों के भाव अब तो,
ReplyDeleteबिक रहा अपना जमीर
सोचता हूँ स्विस-लाकर
में इसे भी सेट कर दूँ ||
बढ़िया कविता...
ReplyDeleteekdum satik rachna.
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteवह, क्या गजब का लिखा है आपने.हर तीर निशाने पर!
ReplyDeleteघुघूती बासूती
सोनल जी!
ReplyDeleteआपकी क्षणिकाओं में युगबोध है...एक नवीन प्रकार का शोध है।
=====================
’व्यंग्य’ उस पर्दे को हटाता है
जिसके पीछे भ्रष्टाचार आराम फरमाता है।
=====================
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
mob.09336089753
सब बहुत ही अच्छी...वह! मज़ा आ गया
ReplyDeleteसब की सब बहुत ही बढ़िया,
ReplyDeleteसादर- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सारी क्षणिकाएँ सटीक मार करती हुई ..
ReplyDeleteसभी क्षणिकायें बहुत सटीक और प्रभावपूर्ण...
ReplyDeleteकिसे छोडें किसकी तारीफ करें, सबकी सब प्रशंसनीय.
ReplyDeleteबस वाह...
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच
लाजवाब व्यंगात्मक अभिव्यक्ति है इन क्षणिकाओं के माध्यम से ....
ReplyDeletevery interesting...
ReplyDeleteसटीक क्षणिकाएं
ReplyDeletebeautiful poem
ReplyDeleteसुन्दर विचार कणिकाएं .आप बहुत अच्छा काम कर रहीं हैं .शहर छोटा और बड़ा नहीं होता और अब गुडगाँव तो माल -हब है ,मल्तिनेशंल्स का गढ़ है ,काल सेंटर्स का पब है .
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