उसकी उदासी बेहद संक्रामक है ,वो गहरी उदास आँखों वाला लड़का जब भी क्लास में अपनी सीट लेता ,उसकी आँखों की उदासी मेरी भी आँखों में भी उतर आती ,जब मुस्कुराता होगा तो कैसा दिखता होगा ये सवाल मुझे और जाने किस किस को परेशान करता होगा ,हिम्मत भी नहीं होती की सामने जाकर पूछ लूं ,पर कुछ तो है उन उदास आँखों में जो खुद से जुदा नहीं होने देती,नहीं नहीं अगर आप सोच रहे हो मुझे उससे प्यार है तो आप गलत हो मेरी ये बेचैनी प्यार की नहीं बल्कि उत्सुकता की है ..किसी रहस्य को जानने की ,ऐसा क्या है जीने उसके चेहरे पर सदा के लिए अपना मकान बना लिया है .......
उसका कोई दोस्त भी नहीं जो कुछ पता चले ,जब निगाह मिलती है तो उनमें इस कदर अजनबीपन पसरा रहता है की मेरी निगाह कतरा कर वहाँ से लौट आती है,एक दो बार आवाज़ सुनी है उसकी ,मीठी है बार कम बोलता है ना तो उससे भी अंदाजा लगाना मुश्किल है,मैंने कितनी कहानियों को उसके इर्द-गिर्द बुन लिया ,या अपनी कहानियों में उसे ले जाकर फिट करने की कोशिश की पर कहानी का अंत क्या करू ..एकतरफा अंत करना अन्याय नहीं होगा क्या किरदार के साथ ,अब आपको फिर लगने लगा मुझे उससे प्यार है ,अरे नहीं भाई ,वो मेरी कहानी का एक पात्र है अब उस पर निगाह नहीं रखूंगी तो कहानी के साथ न्याय कैसे करूंगी ...
आज कई दिन क्र बाद वो वापस क्लास में आया है अजीब सा लग रहा है ....अजीब हाँ उसके चेहरे पर चमक और मुस्कान दोनों है हाँथ में मिठाई का डिब्बा सब आश्चर्य से देख रहे है उसको पहली बार खुश देखा है ,उसकी मंगेतर एक साल पहले कोमा में चली गई थी दुर्घटना के बाद आज होश में आई है ..उसकी आँखों में उदासी दूर दूर तक नहीं है चमक है ...
मिठाई मुह में रखते ही अचानक अपनी आँखे कुछ गर्म सी लगने लगी आइना देखा तो ....आँखों में कुछ था ... मैंने कहा था ना उसकी उदासी संक्रामक है ..
उसका कोई दोस्त भी नहीं जो कुछ पता चले ,जब निगाह मिलती है तो उनमें इस कदर अजनबीपन पसरा रहता है की मेरी निगाह कतरा कर वहाँ से लौट आती है,एक दो बार आवाज़ सुनी है उसकी ,मीठी है बार कम बोलता है ना तो उससे भी अंदाजा लगाना मुश्किल है,मैंने कितनी कहानियों को उसके इर्द-गिर्द बुन लिया ,या अपनी कहानियों में उसे ले जाकर फिट करने की कोशिश की पर कहानी का अंत क्या करू ..एकतरफा अंत करना अन्याय नहीं होगा क्या किरदार के साथ ,अब आपको फिर लगने लगा मुझे उससे प्यार है ,अरे नहीं भाई ,वो मेरी कहानी का एक पात्र है अब उस पर निगाह नहीं रखूंगी तो कहानी के साथ न्याय कैसे करूंगी ...
आज कई दिन क्र बाद वो वापस क्लास में आया है अजीब सा लग रहा है ....अजीब हाँ उसके चेहरे पर चमक और मुस्कान दोनों है हाँथ में मिठाई का डिब्बा सब आश्चर्य से देख रहे है उसको पहली बार खुश देखा है ,उसकी मंगेतर एक साल पहले कोमा में चली गई थी दुर्घटना के बाद आज होश में आई है ..उसकी आँखों में उदासी दूर दूर तक नहीं है चमक है ...
मिठाई मुह में रखते ही अचानक अपनी आँखे कुछ गर्म सी लगने लगी आइना देखा तो ....आँखों में कुछ था ... मैंने कहा था ना उसकी उदासी संक्रामक है ..
bahut badhiyaa
ReplyDeleteउदासी
ReplyDeleteअच्छी-खासी
प्यास है |
एक आभास है --
कि कुछ हो गया है
कि कुछ खो गया है
कोई भिगो गया है
आकर रो गया है
रोकर वो गया है
बुझेगी गर प्यास
रहेंगे न उदास ||
कृपया बर्दाश्त करिए ये थोड़ी ------ ||
Sonal Rastogi
ReplyDeleteAbout Me
I am a small town girl with poet heart, Who love to read -------
तो आइये न --
लिंक:http://dcgpthravikar.blogspot.com/
http://dineshkidillagi.blogspot.com/
http://neemnimbouri.blogspot.com/
http://terahsatrah.blogspot.com/
ओह!!..तुम्हारी कहानियां हों या नज्मे...मीठा सा कसक दे जाती हैं...
ReplyDeleteउफ़....कितने मोड हैं इस छोटी सी कहानी में.
ReplyDeleteऔर हाँ दोस्ती का एंटीबायोटिक साथ रखा करो उदासी का संक्रमण नहीं लगेगा :)
वाह …………इसके अलावा कोई शब्द इस कहानी के लिये समझ नही आ रहा………गहरी चोट की है ना कहानी ने।
ReplyDeleteबहुत और सुन्दर ह्रदय स्पर्शी रचना|
ReplyDeletevery touching story feel good to read it
ReplyDeleteसोनल जी, उदासी वाक़ई संक्रामक होती है, लेकिन ऐसे लोग कहाँ जो संक्रमित हो पाएँ.. समाज में वैसे भी इस तरह के संक्रमण से बचने के हज़ार रास्ते मौजूद हैं!!... आप्की कविताओं की तरह संजीदा घटना/लघुकथा..
ReplyDeleteपुनश्च: वर्तनी/टाईपिंग की बहुत अशुद्धियाँ हैं (जल्दी में लिखी पोस्ट होने के कारण शायद), जो अखरती हैं.
अंत बहुत दमदार था, आँखों में छिपे दर्द का पता ही नहीं चलता है।
ReplyDeleteकुछ ही पंक्तियों में इतना सब कुछ - लघु कथा के माइने सार्थक करती अत्यंत प्रभावशाली प्रस्तुति और समापन तो झिन्जोड़ कर रख देता है - हार्दिक बधाई
ReplyDeleteदोस्ती का एंटीबायटिक...
ReplyDeleteअच्छी सलाह...
वाह, बहुत सुन्दर! मेरे पास भी उसी लडके की एक पैरेलल सी कहानी है ।
ReplyDeleteक मेचुरटी दिख रही है तुम्हारे लिखने में ...सतही भावुकता से इतर...उम्मीद है बरकरार रखोगी....
ReplyDeletelove u r post...
bahut khub sonal ji aise hi likhti rahe
ReplyDeleteउम्दा लेखन....छूता है.
ReplyDeleteawesome Sonal :)
ReplyDelete@....अरे नहीं भाई ,वो मेरी कहानी का एक पात्र है अब उस पर निगाह नहीं रखूंगी तो कहानी के साथ न्याय कैसे करूंगी ...
ReplyDelete-- यह किसी भी कथाकार का दायित्व है, किसी भी कथा के नायक ही नहीं बल्कि खलनायक पात्र के साथ भी पूर्ण न्याय को निबाहना। पर भारत में महाभारत के अतिरिक्त ऐसा उदाहरण बहुत कम मिलता है, हां पाश्चात्य उपन्यासों(विशेषतः रूसी)में अधिक है।
@....मैंने कहा था ना उसकी उदासी संक्रामक है ..
-- इस संदर्भ में टी. एस. इलियट का ‘निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत’ देखियेगा।
आभार!!
उदासी संक्रामक है'
ReplyDeleteसुन्दर और बेहतरीन पात्र/कथा ...
behtreen aur umda
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर.. कहानी तो बहुत छोटी सी है, लेकिन इस कहानी के सफर में इतने घुमावदार रास्ते हैं, कि पहली बार तो रास्ता ही भूल गया। दुबारा पढ़नी पड़ी।
ReplyDeleteआभार.
आँखें बोलती हैं ... संक्रमण फैला रही हैं ... चोरी सी कहानी कितनी लंबी है ...
ReplyDeleteकहानी बेहद उत्कृष्ट है . आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें .
ReplyDeleteआँखे बहुत कुछ कह जाती हैं ! शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteaccha laga.
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