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Thursday, July 14, 2011

गूंगे बहरे लोग !!!


जाओ चेहरा धोकर 
शांत हो जाओ
तुम्हारा भी  लहू
नालियों में ही बहेगा
 २
नाक पर रखकर रूमाल
पार कर लो वो गली
जहाँ मांस के जलने की
सडांध अभी ज़िंदा है
आखिर अपने अन्दर
की सडन के साथ भी तो
जी ही रहे हो ना

नहीं सुने मैंने कोई धमाके कल रात
कई सदियों से मुझे  कुछ सुनाई नहीं देता
नहीं चीखे ना आहें ना रुदन ना कलपना
मेरी आँखों को दर्द दिखाई नहीं देता
४ 
नसे अब फड़कती नहीं
जवानियाँ  आई नहीं कौम पर
पत्थर से जड़ हो चुके है
तालिया बजा देते है मौन पर

पीढ़ी
दर पीढ़ी रीढ़ की हड्डी
गिरवी रखते रखते
देखो नई नस्ल
बिना इसके पैदा होने लगी

31 comments:

  1. (1)सेर, (2)सवा सेर, (3) डेढ़ सेर ...... (५) पता नहीं कितना ~ सेर

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  2. sateek,yatharth, sundar rachna, badhai

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  3. उफ़ आखिरी से तो सीधा रीड पर ही वार किया है.
    क्या बोलूं ..निशब्द.

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  4. हो गए हैं हम गूंगे बहरे निश्चेष्ट .... हर क्षणिकाओं की अपनी खासियत , अपना दर्द है ...
    पीढ़ी डर पीढ़ी रीढ़ की हड्डी
    गिरवी रखते रखते
    देखो नई नस्ल
    बिना इसके पैदा होने लगी - बहुत ही बढ़िया

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  5. गुस्सा, आग, अंगारे !
    4 और 5 बहुत खतरनाक है. चुनौती देता हुआ. बहुत सशक्त है. चोट लगती है. लगनी भी चाहिए. सच के पास है.

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  6. सारे उद्वेलित करते दुखती रग पर हाथ धरते

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  7. गजब, कटाक्ष की तीव्रता नहीं माप सकता।

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  8. पकडे गए इन दुश्मनों ने,
    भोज सालों है किया |
    मारे गए उन दुश्मनों की
    लाश को इज्जत दिया ||
    लाश को ताबूत में रख
    पाक को भेजा किये |
    पर शिकायत यह नहीं कि
    आप कुछ बेजा किये ---
    राम-लीला हो रही |
    है सही बिलकुल सही ||

    रेल के घायल कराहें,
    कर्मियों की नजर मैली |
    जेब कितनों की कटी,
    लुट गए असबाब-थैली |
    तृन-मूली रेलमंत्री
    यात्री सब घास-मूली
    संग में जाकर बॉस के
    कर रहे थे अलग रैली |
    राम-लीला हो रही |
    है सही बिलकुल सही ||

    नक्सली हमले में उड़ते
    वाहनों संग पुलिसकर्मी |
    कूड़ा गाडी में ढोवाये,
    व्यवस्था है या बेशर्मी |
    दोस्तों संग दुश्मनी तो
    दुश्मनों से बड़ी नरमी ||
    राम-लीला हो रही |
    है सही बिलकुल सही ||

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  9. हर-हर बम-बम
    बम-बम धम-धम |

    थम-थम, गम-गम,
    हम-हम, नम-नम|

    शठ-शम शठ-शम
    व्यर्थम - व्यर्थम |

    दम-ख़म, बम-बम,
    तम-कम, हर-दम |

    समदन सम-सम,
    समरथ सब हम | समदन = युद्ध

    अनरथ कर कम
    चट-पट भर दम |

    भकभक जल यम
    मरदन मरहम ||
    राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |

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  10. झिंझोड देने वाली क्षणिकाएँ ... अंतिम क्षणिका ने सब कह दिया ...

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  11. सोनल जी!
    कुछ भी कहा अगर तो आपका कहा नहीं छू सकता.. अंतिम क्षणिका ने तो सचमुच झकझोर दिया!
    मन भर आया!!

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  12. very well describe the situation touching!!1

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  13. hamara durbhagya hai yeh hamle.......

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  14. सोचने पर मजबूर करनेवाली नज़्म है...

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  15. वेदना भी और कटाक्ष भी..

    बहुत सटीक..

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  16. sagar ki baat jaisi hi meri baat

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  17. आम जन के क्रोध की सटीक अभिव्यक्ति

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  18. दुखती रग को छेडती हुई पोस्ट
    लाजवाब

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  19. अंतिम क्षणिका ने सब कह दिया ....सटीक अभिव्यक्ति

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  20. अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  21. मन को छू लेने वाली कविता। बहुत खूब।

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  22. behad acchi aur maarmik rachna sonal ji... Ravikar ji.. apka likha bhi behad pasand aaya...

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  23. क्या गज़ब की क्षणिकाएं हैं ... बहुत तीखी ... तल्ख़ और सटीक ... दूसरी और अंतिम वाली में तो बस सोचता ही रह गया ...

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  24. पहले ये रचनाएँ पढी ... फिर ब्लॉग की और भी बहुत सारी पढ़ी ... बहुत अच्छी लगी ..

    बधाई ...

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  25. सोनल जी नमस्ते बहुत सुंदर और गहन कवितायें बधाई

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  26. सिस्टर, आपने बहुत ही बेहतरीन तरह से लिखा है. इतना अच्छा लिखा है की दिल पर वार कर गया. २ नाक पर......... बहुत ही जबर्दश्त है. शुक्रिया मेरे ब्लॉग पर भी पधार कर मार्ग दर्शन देने की कृपा करें
    http://bantinihal.blogspot.com/

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  27. बेबसी, स्वार्थ, कायरता, कब किसका हिसाब होगा किसे पता

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  28. एक से बढकर एक.....कमाल कर दिया आपने ....

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  29. This is absolutely fantabulous...........ONE OF THE BEST.

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