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Friday, July 29, 2011

सडको पर खर्च होती ज़िन्दगी


भले ही हमने सड़क पर जन्म नहीं लिया
और पले भी नहीं किसी फुटपाथ पर
पर बिता रहे है बेशकीमती हिस्सा ज़िन्दगी का 

चमकीली पथरीली काली सडको पर
खर्च करते हुए बे-भाव 

अपनी अलसाई सुबहें और धूसर शामें
काला धुँआ सोखते हुए फेफड़ों में

तकरीबन बहरे हो चुके है
सुन-सुनकर होर्न का चीखना
 तभी तो सड़क पर लहुलूहान
जिस्मों की चीखे नहीं सुनाई देती
सारे आवेग ,कुंठाए ,आक्रोश क्षोभ
रख देते है एक्सीलेटर पर
भागते चले जाते है दिशाहीन से
जाम में फसे हुए चिपट जाते है
प्रेत से आवेग और कुंठाए
 चीखते है बकते  है गालियाँ
मारने दौड़ते अनजान लोगों को
यही सड़क बन जाती है रणक्षेत्र
बलि होते निर्दोष असहाय
सड़क पार करते करते पार कर जाते है
अपने जीवन की रेखा

22 comments:

  1. तकरीबन बहरे हो चुके है
    सुन-सुनकर होर्न का चीखना
    तभी तो सड़क पर लहुलूहान
    जिस्मों की चीखे नहीं सुनाई देती
    apne andar ki awaaz bhi ab nahi sunaai deti

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  2. बहुत ही जीवंत चित्र खींचा है...दौड़ती भागती ट्रैफिक का हिस्सा बने लोगो के मनोभावों का.

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  3. सटीक लिखा है ..हर इंसान बस इस दौड में शामिल है दिशाहीन सा ..

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  4. kay baat he Sonal ji!
    aapki ye rachna hakikat me ek chalchitr sa kheench gayi,


    badhai!

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  5. ek katu satya bayan kar diya sonal ji

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  6. बहुत सुन्दर विचारों में नयापन लिए हुए बेहतरीन प्रस्तुति

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  7. बहुत बेहतरीन प्रस्तुति|

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  8. सड़कों पर खर्च होती जिंदगी की झलक बहुत ही जीवंत है ।

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  9. सच में, जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा सड़कों पर ही बीत जाता है।

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  10. sahi baat likhi hai.. sach much hum sadkon per paida to nahi hue magar apni zindgi ka ek bahut bada hissa sadkon per he bita rahe hain..

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  11. sahi kaha aapne sonal ji

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  12. आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 01-08-2011 को चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर सोमवासरीय चर्चा में भी होगी। सूचनार्थ

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  13. vibhast par aaj ka yatharthv ujagar kartee rachana......

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  14. बेहतरीन प्रस्तुति|

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  15. सटीक लिखा है ..

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  16. आम जीवन से जुड़ी कविता .....

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  17. sahee soch hai..aur mann ko jhakjhor deti hai...


    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

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  18. मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
    एस .एन. शुक्ल

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  19. संवेदनहीन समाज को आइना दिखाती संवेदन शील प्रस्तुति

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  20. बहुत ही अच्छा लिखा .... साथ इस तस्वीर ज़िन्दगी की हक़ीक़त को बयां कर रही है

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