मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
बैरी साजन
बैरी फागुन
स्वांग रचाए
नित नित मो से
क्षण में तपे क्षण में बरसे
सौं धराये
नित नित मो से
ना वो माने
ना मैं हारी
रंग चढ़ाए
नित नित मो पे
वो मुस्काये
तो मैं बलि जाऊं
मान कराये
नित नित मो से बैरी साजन
बैरी फागुन ....
बेहद उम्दा भाव ... बढ़िया रचना ... बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteAti sundar rachna
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
बैरी साजन..बैरी फागुन...दोनों के रंग में रंग जायें
होली की खुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteसुन्दर अभिवयक्ति..
ReplyDeleteमान कराये
ReplyDeleteनित नित मो से
क्या बात है...बड़ी प्यारी रचना है
बहुत बेहतरीन....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
:):) अच्छी रचना ....
ReplyDeletesunder ,rang se saji rachna.........
ReplyDeleteहोली का रंगा चढ़ा हुआ है..
ReplyDeleteअरे क्या बात है ..फागुन चढ ही गया है.
ReplyDeleteपिया बावरी ... बहुत खूब!
ReplyDelete"वो मुस्काये
ReplyDeleteतो मैं बलि जाऊं
मान कराये
नित नित मो से
बैरी साजन
बैरी फागुन ...."
होली के रंग में डूबी, प्यार-मनुहार भरी प्यारी कविता।
rangon ki fuhaar si pyaari rachna.
ReplyDeleteफागुन तो झुलाता है मन को ... रंगों को खिलाता है जीवन में ...
ReplyDeleteभाव पूर्ण रचना है ...
होली के रंग...अपने साजन के संग ......बहुत खूब
ReplyDeleteहोली की शुभकानाएं
"प्यारी सी"
ReplyDelete"होली की खुमारी सी"
रचना पढ़ कर बहुत अच्छा लगा...
बहुत सी शुभकामनाएँ होली की...