अपनी तन्हाइयों का
मुझसे सौदा कर ले
आज दिल कहता है
एक नया वादा कर ले
बहुत हुए रेशमी साए
जुल्फों के तेरे शानो पर
सपनीली आँखों को चल
धूप में सूखा कर ले
वफ़ा मिली भी मुझे
और निभाई भी दिल से
क्यों ना किसी लम्हा
दिल से कोई धोखा कर ले
महंगी है दुनिया बहुत
महंगे है जीने के सवाल
खुद इन ख्वाहिशो को
थोडा सा सस्ता कर ले
बलिस्त भर कम पड़ जाते है
मेरी पहुँच से तारे-आसमां
ज़रा नीचे एड़ी के
एक टुकड़ा हौसला रख दे
जीने के लिए खुद से वादे करने पड़ते हैं ...तन्हाइयों का सौदा करना पड़ता है ...
ReplyDeleteअच्छी रचना ...
महंगे है जीने के सवाल
ReplyDeleteखुद इन ख्वाहिशो को
थोडा सा सस्ता कर ले bahut khub ..behtreen likha hai aapne
एक टुकड़ा हौसला ....बस यही तो चाहिए ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteमहंगी है दुनिया बहुत
ReplyDeleteमहंगे है जीने के सवाल
खुद इन ख्वाहिशो को
थोडा सा सस्ता कर ले
बहुत खूबसूरत....
चाहे तारे तोड़ना, तोड़ ना मेरी चाह ।
ReplyDeleteरख इक टुकड़ा हौसला, वाह वाह भी वाह ।।
चाहे तारे तोड़ना, तोड़ ना मेरी चाह ।
Deleteरख इक टुकड़ा हौसला, वाह वाह भई वाह ।।
बहुत खूब!! बालिश्त भर की हील??? ज़रा संभल के!!
ReplyDeleteआप आयें --
ReplyDeleteमेहनत सफल |
शुक्रवारीय चर्चा मंच
charchamanch.blogspot.com
Bhaut badhiya sahab jiiiiiiiii
ReplyDeletebahut khoob..
ReplyDeletemotivating..
bahut pyaari rachna,bdhai aap ko :) kafi dinon se mere blog par aana nahi hua,kabhi aaiye
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है..
ReplyDeleteज़रा नीचे एड़ी के
ReplyDeleteएक टुकड़ा हौसला रख दे
क्या बात है ..नई सोच .सुन्दर .
बहुत अच्छी कविता लगी ...अल्फाज़ कम हैं तारीफ करने के लिए !!!
ReplyDeleteएड़ी के नीचे हौंसला ...बहुत कल्पनाशील हैं आप ...
ReplyDeleteज़रा नीचे एड़ी के
ReplyDeleteएक टुकड़ा हौसला रख दे
वाह! वाह! बहुत खूब कहा है...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteक्या बात है! :)
ReplyDeleteवाह क्या उड़ान है .
ReplyDeletebeautiful Ma'am
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