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Thursday, March 15, 2012

एक नया वादा कर ले


अपनी तन्हाइयों का
मुझसे सौदा कर ले
आज दिल कहता है
एक  नया वादा कर ले
बहुत हुए रेशमी साए
जुल्फों के तेरे शानो पर
सपनीली  आँखों को चल
धूप में सूखा कर ले
वफ़ा मिली भी मुझे
और निभाई भी दिल से
क्यों ना किसी लम्हा
दिल से कोई धोखा कर ले 
महंगी है दुनिया बहुत
महंगे है जीने के सवाल
खुद इन ख्वाहिशो को
थोडा सा सस्ता कर ले
बलिस्त भर कम पड़ जाते है
मेरी पहुँच से तारे-आसमां 
ज़रा नीचे एड़ी के
एक टुकड़ा हौसला रख दे

20 comments:

  1. जीने के लिए खुद से वादे करने पड़ते हैं ...तन्हाइयों का सौदा करना पड़ता है ...
    अच्छी रचना ...

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  2. महंगे है जीने के सवाल
    खुद इन ख्वाहिशो को
    थोडा सा सस्ता कर ले bahut khub ..behtreen likha hai aapne

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  3. एक टुकड़ा हौसला ....बस यही तो चाहिए ... सुंदर प्रस्तुति

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  4. महंगी है दुनिया बहुत
    महंगे है जीने के सवाल
    खुद इन ख्वाहिशो को
    थोडा सा सस्ता कर ले

    बहुत खूबसूरत....

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  5. चाहे तारे तोड़ना, तोड़ ना मेरी चाह ।

    रख इक टुकड़ा हौसला, वाह वाह भी वाह ।।

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    1. चाहे तारे तोड़ना, तोड़ ना मेरी चाह ।

      रख इक टुकड़ा हौसला, वाह वाह भई वाह ।।

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  6. बहुत खूब!! बालिश्त भर की हील??? ज़रा संभल के!!

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  7. आप आयें --
    मेहनत सफल |

    शुक्रवारीय चर्चा मंच
    charchamanch.blogspot.com

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  8. bahut pyaari rachna,bdhai aap ko :) kafi dinon se mere blog par aana nahi hua,kabhi aaiye

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  9. ज़रा नीचे एड़ी के
    एक टुकड़ा हौसला रख दे
    क्या बात है ..नई सोच .सुन्दर .

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  10. बहुत अच्छी कविता लगी ...अल्फाज़ कम हैं तारीफ करने के लिए !!!

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  11. एड़ी के नीचे हौंसला ...बहुत कल्पनाशील हैं आप ...

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  12. ज़रा नीचे एड़ी के
    एक टुकड़ा हौसला रख दे

    वाह! वाह! बहुत खूब कहा है...

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  13. बहुत सुन्दर प्रस्‍तुति..

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  14. वाह क्या उड़ान है .

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