फागुन की बतिया
(1)
सुन पिया
भई बावरी
टूटे काहे अंग
चले हवा
देह दुखे
मुख मलिन
ढंग बेढंग
(2)
ओ गोरी
सुन बावरी
सब फागुन
का खेल
भोर -सांझ
में बने नहीं
मौसम ये बेमेल
(3)
सुन पिया
सखि काहे
प्रीत की है
ये चाल
वैद ही इसमें
रोग दे
इस कारन
तू बेहाल
(4)
सखि की
माने सुमुखि
साजन की
माने नाहि
लगे जो
गले पिया के
रोग सभी
मिट जाए
पिया संग खेलूं होरी...जबरदस्त लिखा है
ReplyDeleteहोली पर बढ़िया क्षणिकाएं ..... होली की शुभकामनायें
ReplyDeleteसुन्दर....
ReplyDeleteखूब खेलिए होली....
शुभकामनाएँ..
भीगी भीगी होली में रंगों से तरबतर शुभकामनाएं...
ReplyDelete:).. holi ki shubhkamnayen...
ReplyDeletefagun ka asar dikh gaya!! shabdo me:)
wah bahut sundar
ReplyDeleteरंगों की छोटी छोटी पुड़ियों से बरसते शब्द
ReplyDelete"लगे जो
ReplyDeleteगले पिया के
रोग सभी
मिट जाए"
आपकी तमन्ना पूरी हो सोनल......:))
बहुत सुंदर लिखा है।
अबीर , गुलाल छिटक छिटक पड़ा है क्षणिकाओं में ..
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 -03 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete..रंग की तरंग में होली की शुभकामनायें .. नयी पुरानी हलचल में .
बहुत ही सुन्दर दोहे .. पिया के रंग में होली के रंग नज़र आ रहे अहिं ... लाजवाब ..
ReplyDeleteहोली की मधुर मंगल कामनाएं ...
सोनल जी सुंदर बिलकुल आपकी ही तरह
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteआपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर
बहुत ही खूबसूरत...होली की शुभकामनायें |
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ReplyDeleteबहूत -बहूत सुंदर रचना...
होली पर्व कि ढेर सारी शुभ कामनाये
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bahut hi badhiya.....fagun ayo re
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियाँ!
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ.....
ReplyDeleteभाव प्रधान दोहे हैं.
ReplyDeleteबधाई.
- विजय तिवारी "किसलय"
बहुत खूबसूरत.....
ReplyDeleteबतियां लाजवाब !
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