Pages

Wednesday, August 22, 2012

बंजर दिन बंजर रात ...

बंजर दिन
बंजर रात
सूनी आँखे
सूनी बरसात
कोरे कागज़
कोरी किस्मत
मौन अधर
कैसे हो बात
शब्द अधूरे
सन्दर्भ अधूरे
छितरे रिश्ते
बिखरे ख्वाब
मौन घाव
मुखर वेदना
कठिन घडी
कैसे हो पार



18 comments:

  1. एक लहर पर दूजी लहर
    फेन फेन हैं सारे ख्वाब
    किसको कैसे रोकूँ मैं
    लौट जाती है हर लहर

    ReplyDelete
  2. छोड निराशा
    पतवार घुमा
    काट के धारा
    पार लगा.......

    सुन्दर!!!!!!
    अनु

    ReplyDelete
  3. बहुत खूब ... छोटे छोटे शब्दों से सागर मैथ दिया ... भावप्रधान रचना ... लाजवाब ...

    ReplyDelete
  4. हो जायेगी ये घडी भी पार ..जो आज है कल नहीं था, न कल होगा.
    बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति.

    ReplyDelete
  5. प्रभावी रचना...स्पष्ट थाप...

    ReplyDelete
  6. बेहद सशक्‍त भाव ...

    ReplyDelete
  7. pehli baar aapki rachna se gujra hoon,iss achchhi rachna ke liye badhai.

    ReplyDelete
  8. पंक्तियाँ सूक्ष्म ,
    भाव वृहद |

    ReplyDelete
  9. कल 24/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  10. छोटे-छोटे शब्दों में कह डाला जीवन का सार

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  12. गागर में सागर

    ReplyDelete
  13. बहुत सुन्दर रचना..
    बेहतरीन:-)

    ReplyDelete
  14. गागर में सागर ..

    ReplyDelete
  15. मैंने आपका ब्लॉग देखा ... शब्दों का समागम काफी बढ़िया है ...बस ऐसे ही लिखते रहें और कभी फुर्सत मिले तो http://pankajkrsah.blogspot.com पे पधारें आपका स्वागत है ..

    ReplyDelete