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Monday, December 31, 2012

रख जूती पर पाँव सखी !


लाठी कल बरसाई थी
इस बरस पड़ेंगे पाँव सखी
पीर ना मद्धम होने पाए
ताजे रखो घाव सखी
जूती सर पर पड़ी हमारी
रख जूती पर पाँव सखी
छीनेगे पतवार हमारी 
खुद खेवेंगे नाव सखी
पीड़ा हुई सब की सांझी
दिल्ली या उन्नाव सखी
मरी कोख में या बस पर
था वहशत का भाव सखी
ये गिरगिट बदलेंगे रंग
समझो सारे दांव सखी
छोड़े जिंदा फिर डस लेंगे
है बिच्छू सा स्वभाव सखी
बांटने वाले आज समझ ले
एक है सारा गाँव सखी








23 comments:

  1. मरी कोख में या बस पर
    था वहशत का भाव सखी ..sach hai ...sahi bhaaw diye aapen is rachna mein

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  2. "बांटने वाले आज समझ लें
    एक है सारा गाँव सखी..."--यह एक होने का वृहत्तर अहसास ही इन गिरगिटों को असली रंग का अहसास करायेगा शायद और यह दृढ़ता -
    "छीनेगे पतवार हमारी
    खुद खेवेंगे नाव सखी "-- ही उन्हें सबक देगी।

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  3. सुंदर और दृढ़ संकल्प

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  4. नववर्ष की ढेरों शुभकामना!
    आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि आज दिनांक 01-01-2013 को मंगलवारीय चर्चामंच- 1111 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  5. आज के वक़्त पर सटीक वार करती अभिव्यक्ति
    छीनेगे पतवार हमारी
    खुद खेवेंगे नाव सखी .....

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  6. आशा है,दामिनी की पीडा और बलिदान समाज व व्यवस्था के नज़रिये
    को बदल पाए.

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  7. good - the shoe IS sitting on the head these days.....@ जूती सर पर पड़ी हमारी
    रख जूती पर पाँव सखी

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  8. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
    जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
    ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
    इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.

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  9. sahi kaha sakhi ab sabko jaagna hoga---------nav varsh ki shubhkamna

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  10. पीड़ा हुई सब की सांझी
    दिल्ली या उन्नाव सखी ...

    सच है पूरे देश की पीड़ा साझी करनी होगी ... तभी क़ानून में भी बदलाव संभव होगा ...
    आपको २०१३ की शुभकामनाएं ...

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  11. अर्थभरे भावो से भरी कविता..

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  12. "बांटने वाले आज समझ ले
    एक है सारा गाँव सखी"

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  13. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति | प्रशंसनीय और सराहनीय |
    तमाशा-ए-ज़िन्दगी

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  14. अद्भुत ! इस दृढ़ता और आत्म-विश्वास से भरी हुँकार को नमन।

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  15. This comment has been removed by the author.

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  16. Rastogi G very nice.
    Only a woman can feel the pain of woman.

    how to get your love back

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  17. दामिनी औए निर्भय जैसी घटनाओ को देखकर लगता है की अब बहुत हुआ | बलात्कात के दोषियों को बिना किसी समय गवाए तुरंत फासी की सजा होनी चाहिए वो बिच मैदान मे | जिससे दुसरो लोगो को भी सबक मिले | Talented India News

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  18. yeah its true only girl can feel this Kahaniya

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