लाठी कल बरसाई थी
इस बरस पड़ेंगे पाँव सखी
पीर ना मद्धम होने पाए
ताजे रखो घाव सखी
जूती सर पर पड़ी हमारी
रख जूती पर पाँव सखी
छीनेगे पतवार हमारी
खुद खेवेंगे नाव सखी
पीड़ा हुई सब की सांझी
दिल्ली या उन्नाव सखी
मरी कोख में या बस पर
था वहशत का भाव सखी
ये गिरगिट बदलेंगे रंग
समझो सारे दांव सखी
छोड़े जिंदा फिर डस लेंगे
है बिच्छू सा स्वभाव सखी
बांटने वाले आज समझ ले
एक है सारा गाँव सखी
मरी कोख में या बस पर
ReplyDeleteथा वहशत का भाव सखी ..sach hai ...sahi bhaaw diye aapen is rachna mein
उम्दा पंक्तियाँ .
Delete"बांटने वाले आज समझ लें
ReplyDeleteएक है सारा गाँव सखी..."--यह एक होने का वृहत्तर अहसास ही इन गिरगिटों को असली रंग का अहसास करायेगा शायद और यह दृढ़ता -
"छीनेगे पतवार हमारी
खुद खेवेंगे नाव सखी "-- ही उन्हें सबक देगी।
सुंदर और दृढ़ संकल्प
ReplyDeleteनववर्ष की ढेरों शुभकामना!
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि आज दिनांक 01-01-2013 को मंगलवारीय चर्चामंच- 1111 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत खूब!
ReplyDeleteआज के वक़्त पर सटीक वार करती अभिव्यक्ति
ReplyDeleteछीनेगे पतवार हमारी
खुद खेवेंगे नाव सखी .....
आशा है,दामिनी की पीडा और बलिदान समाज व व्यवस्था के नज़रिये
ReplyDeleteको बदल पाए.
good - the shoe IS sitting on the head these days.....@ जूती सर पर पड़ी हमारी
ReplyDeleteरख जूती पर पाँव सखी
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
ReplyDeleteमंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.
sahi kaha sakhi ab sabko jaagna hoga---------nav varsh ki shubhkamna
ReplyDeleteपीड़ा हुई सब की सांझी
ReplyDeleteदिल्ली या उन्नाव सखी ...
सच है पूरे देश की पीड़ा साझी करनी होगी ... तभी क़ानून में भी बदलाव संभव होगा ...
आपको २०१३ की शुभकामनाएं ...
bilkul!!!
ReplyDeleteअर्थभरे भावो से भरी कविता..
ReplyDeleteसटीक
ReplyDelete"बांटने वाले आज समझ ले
ReplyDeleteएक है सारा गाँव सखी"
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति | प्रशंसनीय और सराहनीय |
ReplyDeleteतमाशा-ए-ज़िन्दगी
अद्भुत ! इस दृढ़ता और आत्म-विश्वास से भरी हुँकार को नमन।
ReplyDeletebahut sahi
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteRastogi G very nice.
ReplyDeleteOnly a woman can feel the pain of woman.
how to get your love back
दामिनी औए निर्भय जैसी घटनाओ को देखकर लगता है की अब बहुत हुआ | बलात्कात के दोषियों को बिना किसी समय गवाए तुरंत फासी की सजा होनी चाहिए वो बिच मैदान मे | जिससे दुसरो लोगो को भी सबक मिले | Talented India News
ReplyDeleteyeah its true only girl can feel this Kahaniya
ReplyDelete