"लिखना जरूरी है क्या उसने सिगरेट के धुएं से छल्ला बनाते हुए कहा"
"तुम्हारे लिए जैसे सांस लेना ज़रूरी है वैसे ही मेरे लिए लिखना"
"कैसा महसूस करते हो कोई रचना जब स्वरुप लेती है" ,अब वो एक पत्रकार की तरह बात कर रही थी
बहुत उलझा हुआ,करेक्टरहै ये प्रिया भी ,आज तक समझ नहीं पाया ,अगर उसके पंख होते तो शायद अब तक आसमान में होती एक आज़ाद परिंदे में और उसमें बस पंखो का ही अंतर था, एक डाल से दूसरी बिना किसी क्षोभ के गिल्ट के ,
"जीवन नदी की तरह है इसपर जितने पुल और बाँध बनोगे इसकी गति उतनी मंथर होगी और एक दिन जीवन समाप्त "
बाप रे लेखक तो मैं नाम का हूँ अगर वो अपने ख़याल लिखने लगे तो रातो-रात स्टार बन जाए .................
रात से याद आया उसको रात बहुत पसंद है, अँधेरी सूनसान, कहती है अपने को जानने का सही मौक़ा मिलता है रात को ...नीरव, इन्ही नीरवता भरी रातों में जब हम दोनों एकाकार होते है तब मुझे उसके मन में पसरा सन्नाटा और करीब से दिखता है हाँ मैं देख सकता हूँ ,सब साफ़ साफ़
वो ऐसी क्यों है हमेशा पुछा पर नहीं जान पाया ...हस देती "तुम मेरा वर्तमान हो ना तो अतीत के पीछे क्यों पड़ते हो,कब्र खोदकर सड़ी बदबूदार लाश बाहर मत निकालो वर्तमान भी मुश्किल हो जाएगा."
पर मैं इस चंचल नदी का स्त्रोत जानना चाहता था,ऐसी मुझे कभी कोई नहीं मिली ,इतनी निर्लिप्त की उसके इस निर्लिप्त स्वरुप से निकलने का मन ही ना करे ..गज़ब का आकर्षण, हफ़्तों बिता दिये उसके साथ सोते जागते पर मोह बढता गया ,और साथ में जिज्ञासा भी.
उसने कुछ शर्ते रखी थी साथ आने से पहले , कभी अतीत पर कोई सवाल नहीं करना ,रिश्ते में बाँधने की कोई कोशिश मत करना....
मुझे अक्सर वो शिवानी की नायिका सी लगती ..खूबसूरत,स्वतंत्र, रहस्यमयी
कई बार मैंने उसे कहा चल मैं तेरी कहानी लिखता हूँ ,उसका जवाब हमेशा एक था जिस दिन मेरी कहानी लिखो हमारे रिश्ते पर समाप्त लिख देना.
अब मेरी जिज्ञासा इस हद तक बढ़ गई थी की मैं उसकी सभी वर्जनाओं को भी पार करना चाहता था आखिर ऐसा क्या है उसके अतीत में ????
उस रहस्यमयी के कमरें में इतिफाक से कहूं या जानकर...कलम ढूंढते हुए कुछ तसवीरें कुछ पन्ने हाँथ लग गए,और सच अनावृत हो गया..मैंने सच में एक कब्र खोद दी थी जिसमें से इतनी सड़ांध उठ रही थी की सांस घुटने लगी ...और वो तो इस सड़ांध के साथ जी रही थी ...
"कम उम्र में व्याह दी गई थी,दो गर्भपात, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना. जीवन साथी बेहद शक्की,घर से बाहर जाता तो ताला लगाकर,मायके मित्रों से सारे सम्बन्ध ख़त्म करवा दिए..... ये नरक चलता रहता एक दिन एक्सिडेंट के बाद बिल्लाख बिलख कर रोई ,दुनिया उसके आंसू दुःख के समझ रही थी ,उसको विशवास नहीं हो रहा था की अब वो आज़ाद थी..."
तभी वो अब किसी बंधन में पढ़ना नहीं चाहती ..एक दम दिल में आया उसको गले से लगाकर कहूं मैं हूँ ना,मैं तुम्हारे जीवन में खुशियाँ लाउंगा,जो चाहो जैसा चाहो,मैं साथी बनूँगा ....
"नहीं माने ना तुम " वो सामने खड़ी थी ,मुस्कुराते हुए ..मैंने सोचा उसको गुस्सा होना चाहिए था पर वो तो हस रही थी ...
"तुमने आखिर समाप्त लिख ही दिया ना " उसने कुछ तल्ख़ स्वर में कहा और तेज़ क़दमों से निकल गई ....
उस रहस्यमयी को रोकने के लिए मैंने हाँथ तो उठाया पर रोक नहीं पाया ...
बढ़िया प्रस्तुति।
ReplyDeleteओह ! ये क्या हुआ……………कुछ वेदना ऐसी होती हैं जिन्हे आकार नही देना चाहिये ………………निशब्द कर दिया।
ReplyDeletebahut hi sundar...
ReplyDeleteलाजवाब ......बहुत बहुत बढ़िया ...दिल को छु जाने वाली .बहुत करीब महसूस किया
ReplyDeleteओह! वो रहस्यमयी!!
ReplyDeleteबहुत खूब!
कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
ReplyDeleteमन को छू गयी यह रहस्यमयी।
ReplyDeleteरहस्यमयी की दुःख भरी कथा ...!
ReplyDeleteकुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
ReplyDeleteरहस्यमयी की दुःख भरी कथा ...!
choo jane walee hatha.........
ReplyDeleteshayad iseeliye ye kahavat charitarth hai........
doodh ka jalaa chach bhee fook fook kar peeta hai...........
मुझे अक्सर वो शिवानी की नायिका सी लगती ..खूबसूरत,स्वतंत्र, रहस्यमयी
ReplyDelete:)बहुत खूब.
"उसने कुछ शर्ते रखी थी साथ आने से पहले , कभी अतीत पर कोई सवाल नहीं करना ,रिश्ते में बाँधने की कोई कोशिश मत करना...."
ReplyDeleteकोई निभा पाता है ,यह??....और उसने भी समाप्त लिख दिया उस रिश्ते पर...
सुन्दर कहानी
सच में रहस्यमयी.........
ReplyDeleteसचमुच रहस्यमयी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कहानी ...रहस्यमयी सी
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है.....एक रहस्यमय संसार का आभास होता है ...पर अंत कुछ जमा नही....
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति |बधाई
ReplyDeleteआशा
मार्मिक और संवेदनशील....
ReplyDeleteदर्द के एहसास में छिपी खुशी को समझने की लिए उस दर्द को जानना बहुत ज़रूरी है जो कोई जीता है .... बहुत मार्मिक लिखा है ...
ReplyDeletebahut hi shaandaar
ReplyDeletelikhne kaa tareekaa bahut hi badhiya...jitani bhi prasansaa ho kam hai.....badhiya post.
ReplyDeleteकहानी में ट्विस्ट है,मजा आ गया । शानदार ।
ReplyDeletebohot bohot khoobsurat...simply awesome...
ReplyDeletekhaas baat asal kahaani nahin, aapke kahaani kehne ka tareeka hai. its jus amazing
कैसी अजब और उलझी हुई बुनावट है ज़िन्दगी की ...
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है. शुभकामनाएं
क्या खूब,, आनंद आया,
ReplyDeleteअगर यह कहूँ की आज तक की आपकी सबसे उत्तम रचना तो अतिशयोक्ति नहीं होगा, मेरी इस बात को आप हर अगली पोस्ट में झूठ कर दीजियेगा, फिर तो परम आनन्द होगा..
मनोज
"उसने कुछ शर्ते रखी थी साथ आने से पहले , कभी अतीत पर कोई सवाल नहीं करना ,रिश्ते में बाँधने की कोई कोशिश मत करना...." dil ko chune vale shbd he, bht khub rchna..... SHUBHKAMNAE
ReplyDeletevery nice post badhai sonalji
ReplyDeletejo baahar se jitna hansta hai utna hi vo bheetar gahre ghaav sanjoye rakhta hai. shayad isi liye hansta hai, isi dar se ki kahin logo ko uske ghaav na dikhayi de jaye. shayed apne dard k shor ka dabane ke liye hansi ka athaas lagata hai.
ReplyDeleteMindblowing!
ReplyDeletethank You Dost