(शीतला माता ,गुडगाँव )
देवी के दिन इन दिनों का अलग ही उत्साह रहता है एक नारी के जीवन में ,इतनी शक्ति महसूस होती है इनदिनों पूछो मत हर उम्र में अलग रंग लाता है ये त्यौहार ,साल में दो बार, बचपन में जहाँ हलवा पूरी,दही जलेबी,रंगीन चुनरी और चमचमाते और खनखनाते सिक्को का आकर्षण ,तरुणाई में नौ दिन के व्रत ,देवी उपासना और सुरगा सप्तशती का पाठ.
साल के बाकी दिनों से कितना विरोधाभास दीखता है समाज में इन दिनों ,जहाँ साल भर लड़कियों को हे द्रष्टि से देखा जाता है वहीँ इनदिनों ढूंढ मच जाती है कन्याओं के लिए ...वाह रे समाज ,जिनका पैर पूजन करते है उन्ही के घर में पैदा होने पर उदासी का माहौल बना लेते है ( सोच बदल रही है पर मंजिल अभी भी दूर है ).
इन दिनों माँ अपनी कृपा के सारे द्वार खोल देती है जितना मांगो उससे ज्यादा मिलता है , रोज़ की उठापठक बस हाँथ जोड़कर काम चला लेते है कम से कम नवरात्र के बहाने ही सही साल में दो बार,थोड़ा आध्यात्मिक हो जाते है तो मन को शान्ति मिल जाती है .
आप सभी को नवरात्र बहुत बहुत शुभ हो
sonal..tumhe bhi shubhkanayen..!
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति....
ReplyDeleteनवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।
aapko bhi bahut bahut shubhkamnayen!!
ReplyDeleteJai Ho Mangalmay HO
rupam dehi jayam dehi yasho dehi dwisho jahi
ReplyDeleteआध्यात्मिक होने के मौके तो बहुत आते हैं .... अपना समाज जो हर किसी को मौका देता है ... पर नवरात्रि की धूम अलग ही है .
ReplyDeleteनवरात्रि की शुभकामनाएं
ReplyDeletesonal jee aap ko bhi navratree ki shubhkaamnayen . mata kripa banayen rakhen
ReplyDeleteआपको भी नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनाएं..
ReplyDeleteमुझे ही पता है कितनी हिम्मत जुटा कर कह रहा हूँ.... पर शायद आप 'धार्मिक' को 'आध्यात्मिक' से कन्फ्यूज़ कर रही हैं!
ReplyDeleteअग्रिम क्षमा याचना सहित,
आशीष
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प्रायश्चित
आपको बहुत बहुत शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत शुभकामनायें आप सबको।
ReplyDeleteनवरात्री की शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteनवरात्र बहुत बहुत शुभ हो
ReplyDeleteबचपन में जहाँ हलवा पूरी,दही जलेबी,रंगीन चुनरी और चमचमाते और खनखनाते सिक्को का आकर्षण ,तरुणाई में नौ दिन के व्रत ,देवी उपासना और सुरगा सप्तशती का पाठ.
ReplyDeleteso tru...kitna maza aata tha na sikke, kai kai baar sikke ginte the ;)
bohot bohot shubhkaamnaayein aapko aur sabhiko
bahut sundar badhai
ReplyDeleteVery Good
ReplyDeleteJitendra Rastogi
हिन्दू धर्म का नारी के प्रति रवैया बड़ा ही खूबसूरत रहा है. एक तरफ उसे देवी बना दिया, तो दूसरी तरफ उसकी हालत पशुओं से बदतर कर दी. पर शायद ऐसी हालत अंतिम 500 सालों में हुई है. उसके पहले नारी का पुरुष के बराबर ही सम्मान था.
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