मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
वाह क्या बात है। आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है कल (22/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर अवगत कराइयेगा। http://charchamanch.blogspot.com
ye pyar nahi sirf aakarshan ya vasna ho sakti hai.prem to ishwar ka vardan hai;deta samne vale ko sammaan hai;jo luta de apne bhi pran; usko hi diya ja sakta hai premi/premika ka naam
bahut badhiya kavita.....
ReplyDeleteवाह, क्या बात है!
ReplyDeletenishabd,
ReplyDeletebadhai Sonal ji
main mantr mugdh ho gaya hun,, aapki is shailly ko dekhakr
ek bar fir se badhai
waah bahut khub kam lafzon mein gahri baat
ReplyDeletejeyyyyyyyy baat! :)
ReplyDeleteबेदर्दी से प्यार परिभाषित किया आपने।
ReplyDeletekya bat hai bahut sundar
ReplyDeleteआँचल दागदार है जिसके नाम से ...
ReplyDeleteहंसकर कहता है ...ये प्यार है ...
दर्द है दबा -दबा ..
प्यार है खफा -खफा ...!
वाह क्या बात है।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (22/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
व्यथा भरी अभिव्यक्ति!!
ReplyDeletebhn sonl ji bhut khub andaaz men rusvaayi kaa byaan kiya he mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteकतई नहीं! अगर यही प्यार है तो दुनिया में कोई प्यार का नाम नहीं लेगा!!
ReplyDeletekabhi nahi. pyar do aatamao ka milan hai do jismo ka nahi. dil ke ehsas ko ubharati hui ek sunder kavita.
ReplyDeleteअरे यह तो सच कह दिया आपने, दामन दागदार कर जाता है..
ReplyDeleteBaat to sahi hai...yahi to pyar hai..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.............मन को छू गई............
ReplyDeleteअरे नहीं, यह प्यार नहीं है....अगर है तो यह तो बहुत खतरनाक है..
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteथोड़े और सुंदर शब्दों में असरदार बानगी.
ReplyDeleteरूसवाई स्वयं परिभाषित नही है
ReplyDeleteरचना बेहद सुन्दर
bahut khoob ..bilkul yahi pyaar hai :)
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना !!
ReplyDeletebeautiful...
ReplyDeletebahut khoob ..
ReplyDeleteवाह ! बहुत ही खूबसूरत एहसास !
ReplyDeleteha ha ha.....na jaane kya kya naam hai...lekin aapki nazar se dekhna achcha laga :-)
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता..
ReplyDeletehaan yahi pyaar hai
ReplyDeletebahut hi badhiyaa...
ReplyDeleteye pyar nahi sirf aakarshan ya vasna ho sakti hai.prem to ishwar ka vardan hai;deta samne vale ko sammaan hai;jo luta de apne bhi pran; usko hi diya ja sakta hai premi/premika ka naam
ReplyDelete5.5/10
ReplyDeleteखुबसूरत क्षणिका
मौलिक सोच के रचनाकार कम ही होते हैं.
आपके लेखन में कुछ बात तो है जो औरों से जुदा है.
आपसे अपेक्षाएं बढ़ गयी हैं.
क्या बात है ....
ReplyDeleteये तो सच है ... इसी का नाम प्यार है ... बेहद उम्दा ...
bahut hi achchha!
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