मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
्वाह! गज़ब ! बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
अच्छी रचना है." आँखों मेंअबतक ज़िंदा है दर्द पगी पनीली आँखें"बहुत बढ़िया.
आँखों मेंअबतक ज़िंदा हैदर्द पगीपनीली आँखेंवाह!! बहुत खूब
in aankhon mein yun hi bhaw janamte rahen
उसकी आँखेंगहरी आँखेंदरवाजे पेठहरी आँखे खूबसूरत कविता !
वाह! बहुत सुन्दर!
भूल सकता है भला कौन ये न्यारी आँखें!!
दरवाजे पे ठहरी आँखे awwwesome....!!बरस बीते अबतक सीलीbohot bohot bohot sweeet si, just super lovely nazm dear....luv u
अति सुन्दर सोनल जीअभिवादन सहित साजिद उस्मानी
वह .. क्या बात है ... तेरी आँखों के सिवा दुनिया में ... सुंदर कविता ...
कहूँ आज क्या, शब्द नहीं हैं,रोना पर प्रारब्ध नहीं है,मन से मन को बाँधे बैठे,शेष जगत उपलब्ध नहीं है?
bouth he aacha post hai aapka ... read kar ke aacha lagaa ji..Dear Friends Pleace Visit My Blog Thanx... Lyrics MantraMusic Bol
पनीली आँखें..क्यों?? बहुत सुन्दर कविता.
Sunder kavita k liye badhai....http://amrendra-shukla.blogspot.com
aankhon ke raaj.....aur aapkaa bayaan.... kyaa baat...kyaa baat....kyaa baat....
मार्मिक
करिश्मे सब आंखों के हैंप्याजो की जवानी
ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
ReplyDelete्वाह! गज़ब ! बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteअच्छी रचना है.
ReplyDelete" आँखों में
अबतक ज़िंदा है
दर्द पगी
पनीली आँखें"
बहुत बढ़िया.
आँखों में
ReplyDeleteअबतक ज़िंदा है
दर्द पगी
पनीली आँखें
वाह!! बहुत खूब
in aankhon mein yun hi bhaw janamte rahen
ReplyDeleteउसकी आँखें
ReplyDeleteगहरी आँखें
दरवाजे पे
ठहरी आँखे
खूबसूरत कविता !
वाह! बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteभूल सकता है भला कौन ये न्यारी आँखें!!
ReplyDeleteदरवाजे पे
ReplyDeleteठहरी आँखे
awwwesome....!!
बरस बीते
अबतक सीली
bohot bohot bohot sweeet si, just super lovely nazm dear....luv u
अति सुन्दर सोनल जी
ReplyDeleteअभिवादन सहित
साजिद उस्मानी
वह .. क्या बात है ... तेरी आँखों के सिवा दुनिया में ...
ReplyDeleteसुंदर कविता ...
कहूँ आज क्या, शब्द नहीं हैं,
ReplyDeleteरोना पर प्रारब्ध नहीं है,
मन से मन को बाँधे बैठे,
शेष जगत उपलब्ध नहीं है?
bouth he aacha post hai aapka ... read kar ke aacha lagaa ji..
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पनीली आँखें..क्यों?? बहुत सुन्दर कविता.
ReplyDeleteSunder kavita k liye badhai....
ReplyDeletehttp://amrendra-shukla.blogspot.com
aankhon ke raaj.....aur aapkaa bayaan.... kyaa baat...kyaa baat....kyaa baat....
ReplyDeleteमार्मिक
ReplyDeleteकरिश्मे सब आंखों के हैं
ReplyDeleteप्याजो की जवानी