१००% इस बार प्यार के लफड़े में नहीं पडूंगा ...अपने से मानो पक्का वादा कर रहा था वो , पर इस वादे को टूटने में ३० सेकेण्ड से भी कम समय लगा ...जब पीला दुपट्टा लहराती वो पास से गुज़र गई ...लगा जोर से चली हवा से खेत में खड़ी सरसों की फसल झूम उठी हो ....दिल इतनी जोर से धड़का की बस यही आखिरी पल है इसके बाद मैं और दुनिया दोनों ख़त्म ..निगाह उसकी पीठ पर तब तक चिपकी रही जब तक वो पूरी काया से एक पीले बिंदु में नहीं बदल गई .... कितनी खराब आदत है मेरी ..अगर किसी को देखता हूँ तो इतना डूब जाता हूँ की सामने वाले को एहसास होता है घूरने का ..
पर मैं घूर नहीं रहा होता ....कई बार झिडकी ...डांट खाने के बाद भी ये आदत सुधरती नहीं .... ये लडकिया कितनी रंगों से भरी होती है ..कई बार लगता है कुदरत के सारे रंग कितनी सहजता से लपेट लेती है अपने तन पर ...और हिस्सा बन जाती है प्रकृति का .
सावन में हरा ...बसंत में पीला ...और करवाचौथ में लाल हर रंग मौसम के साथ ... शायद हर दिन उत्सव सा मनाती है....
वैसे भी शायर आधे पागल होते है ..हर बात में रस और कविता बुन लेते है ..जबसे मेरे क्लास की लड़कियों को मेरे शायर होने का पता चला है बुरा नहीं मानती ..कहती है लिखने के लिए प्रेरणा चाहिए जब तक तुझे परमानेंट प्रेरणा नहीं मिलती तब तक ... ऐसे ही चला ...
बस कोई मुझे seriously लेता ही नहीं ... अगर इज़हार-ए-इश्क करता हूँ तो मज़ाक समझ लेती है ...
और मैं हंस पड़ी ..
वो बोला देखा तुमने भी मज़ाक में लिया ना मेरी बात को ..
१००% इस बार प्यार के लफड़े में नहीं पडूंगा
pyar ek lafda hi to hai .bahut achchhi prastuti .mere blog ''vicharonkachabootra'par aapka hardik swagat hai .
ReplyDeleteaisa laga jaise iss kahani ko Sonal ne nahi Mukesh ne apne sansmaran ke taur pe likh mara ho.......:)
ReplyDeleteek yuvak mann ko pahchan pane ke liye dhanyawad...:D
ek chatka hamare blog pe banta hai...:)
ReplyDeleteab jaldi se mera nimantran sweekar karen...
ऐसे लफड़े में पड़ना भी नहीं चाहिए!
ReplyDelete:) :) सच ही बेकार का लफड़ा है .
ReplyDeleteबिल्कुल सच कहा है ...।
ReplyDeletehaye wo dupatta ...... yahi aalam hai mast hawa ke jhonke ka
ReplyDeletehahahaha,......too good.. bade acche tareeke se likha hai aapne....
ReplyDeletesahi hai ,
ReplyDeletepyar ke lafde main kya padna,
वाह! बहुत बढिया।
ReplyDeleteदुपट्टों ने तो न जाने कितनों को शायर बना दिया है
ReplyDeleteसभी रंगों में सबसे अच्छी खुश्बू पीले रंग की ही होती भी है। मन मयूर हो गया ।बहुत अच्छी पोस्ट ।
ReplyDeleteइसे फुल सर्किल कहूँ या हार्ट!! जहाँ से शुरू किया,वहीं लाकर छोड़ा.. मार डाला!!
ReplyDeleteदुपट्टा बहकती हवा का आकार बता जाता है।
ReplyDeleteबिल्कुल सच कहा बेकार का लफड़ा है
ReplyDeleteबहुत बढिया।
फिर भी लफड़ा हो ही जाता है...
ReplyDeleteलफडे में पड ही गया ना आखिर :)
ReplyDeleteवो बोला देखा तुमने भी मज़ाक में लिया ना मेरी बात को ..
ReplyDeleteपीले बिन्दु को भी घूरते रहने की बात ही कुछ और होती है.. पीले बिन्दु तक तो लगभग सभी देखते हैं.. :)
ReplyDeleteहद है भई ... साला मज़ाक मज़ाक मे ज़िन्दगी मज़ाक बन कर रह जाती है ... १००% इस बार प्यार के लफड़े में नहीं पडूंगा ... इश्क़ की कसम !!
ReplyDeleteइस लफड़े में ही तो मज़ा है, इसलिए ये आखिरी बार... पीले दुपट्टा वाली... अगली बार से तौबा :-)
ReplyDeleteशायर लोगों को कोई सीरियसली नहीं लेता- ये बात सागर ने भी एक बार कही थी, तब हमने उससे कहा था कि तुम लोग सबसे प्यार जो जताने लगते हो :)
ReplyDeleteबात तो आपने सही कही, और जब दुपट्टा लहराएगा तो शायर के मन में कुछ तो ख़याल आएगा ही!
ReplyDeleteअब उस ख़याल को कोई इश्क समझे उस पीले दुपट्टे से या शायर की शाएरी से मुहब्बत! नज़र अपनी
अपनी!
लेकिन आपने चाँद पनक्तिओ में मजेदर बाकये का अफसाना बना दिया!