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Friday, January 28, 2011

शायद तुम्हारी दादी भी यही कहानिया सुनाती होंगी


कोई तो कहे की मेरे
ख्वाब सारे सच है
चाँद पर बुढ़िया
मौत के बाद बने
तारे सच है
होते है उड़ने वाले
कालीन कहीं पर
राजकुमारी के बाल
सच में लगते है
ज़मीन पर 
चूमते ही प्रिंस के
जागती है राजकुमारी
किसी बाग़ में अब  भी
खेलती है परिया सारी
शायद मेरे बचपन
के साथ गुम हो गए 
मेरे तकिये के नीचे से
सपने चोरी हो गए
किसी और को भी
मन भाती होंगी
शायद तुम्हारी दादी भी
यही कहानिया सुनाती होंगी

28 comments:

  1. ye "shaayad" hee to sabse badi tees hai...bahut pyaari pyaari nazm hui hai...

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  2. हाँ सच ही दादी ऐसी ही कहानियां सुनाती है :) और ये कहानियां फिर सपने दिखाती हैं और ये सपने जीना मुश्किल कर देते हैं..
    प्यारी सी नज़्म.

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  3. सोचा की बेहतरीन पंक्तियाँ चुन के तारीफ करून ... मगर पूरी नज़्म ही शानदार है ...आपने लफ्ज़ दिए है अपने एहसास को ... दिल छु लेने वाली रचना ...

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  4. बिल्कुल बच्चों की तरह मासूम कविता और उतने ही मासूम सवालात! इनका जवाब ही असली ख़ज़ाना है!!

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  5. बचपन की सारी कहानियाँ याद आ गयीं ...सुन्दर प्रस्तुति

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  6. मैं मानता हूँ सारी बातें सच हैं.....उसी दृष्टिकोण से देखिये.....और खीर का कटोरा भर भर के खाइए ये मान के की चाँद पे बहुत खीर है......
    और वहाँ एक बुधिया कपास काटती है....ऐसा भी सुना है....

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  7. पूरी रचना भावपूर्ण और अर्थपूर्ण है ...बचपन को समेटे ....

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  8. शायद तुम्हारी दादी भी यही कहानिया सुनाती होंगी ..
    हाँ मेरी दादी यही कहानी सुनती थीं...मेरी नानी भी सुनती हैं यही कहानी चाँद पर बुढ़िया..
    जानता हूँ झूठ हैं ये किस्से..
    लेकिन शाम का धुंधलापन और चाँद का जादू यकीं दिलाता है इनके होने का...

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  9. bahut khub:)
    sach me aapne dadi ki kahaniyon ke dwara dadi ki yaaad dila di..........:)

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  10. shooooo shweeeet.....haan, shayad yahi kahaniyaan thi......bohot bohot acchi nazm......

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  11. बचपन की याद दिलाती हुई, बचपन सी मासूम कविता के लिए बधाई

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  12. सच कोई कहे... बहुत सुंदर !!

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  13. शायद तुम्हारी दादी भी
    यही कहानिया सुनाती होंगी
    ....बचपन में बहुत कहानी सुनी पर अपने बच्चों को सुनाने का समय अब नहीं मिल पाता.... और आजकल के बच्चे भी तो पुराणी कहानियां सुनने को तैयार नहीं ....... याद दिला दी आपने बचपन के भूली बिसरी कहानियां .......आभार

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  14. बचपन की कहानियां तो उन यादों की धरोहर हैं जो हम अपने बच्चों को विरासत में देते हैं...

    बहुत प्यारी

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  15. शायद मेरे बचपन
    के साथ गुम हो गए
    मेरे तकिये के नीचे से
    सपने चोरी हो गए

    बचपन की सारी बातें न जाने कहाँ गुम हो गयीं.....
    खूबसूरत कविता!

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  16. जी बचपन की दुनिया में पहुँचा दिया आपने .... बहुत लाजवाब लम्हों को समेट कर लिखी रचना ...

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  17. Sach hain..! Saare sach hain.. :)

    Beautiful writing... :)

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  18. बहुत खूब ... ....!
    शुभकामनायें

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  19. हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
    प्रिय हिंदी ब्लॉगर बंधुओं ,
    आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संगोष्ठी को संपोषित किया जा सके इस सन्दर्भ में औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.

    संगोष्ठी की तारीख भी निश्चित हो गई है (२०-२१ जनवरी २०१२ ) संगोष्ठी में अभी पूरे साल भर का समय है ,लेकिन आप लोगों को अभी से सूचित करने के पीछे मेरा उद्देश्य यह है क़ि मैं संगोष्ठी के लिए आप लोगों से कुछ आलेख मंगा सकूं.
    दरअसल संगोष्ठी के दिन उदघाटन समारोह में हिंदी ब्लागगिंग पर एक पुस्तक के लोकार्पण क़ी योजना भी है. आप लोगों द्वारा भेजे गए आलेखों को ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जायेगा . आप सभी से अनुरोध है क़ि आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें .
    आप सभी के सहयोग क़ी आवश्यकता है . अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें


    डॉ. मनीष कुमार मिश्रा
    के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय
    गांधारी विलेज , पडघा रोड
    कल्याण -पश्चिम
    pin.421301
    महाराष्ट्र
    mo-09324790726
    manishmuntazir@gmail.com
    http://www.onlinehindijournal.blogspot.com/ http://kmagrawalcollege.org/

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  20. सोनल जी, आपकी रचनाओं - खासकर कविताओं ने शब्द की अक्षरता पर मेरे भरोसे को और सुदृढ़ किया है तथा स्वयं कविता की अतिजीविता के प्रति आश्वस्त भी | यों तो कविता शब्दों में ही लिखी जाती है, पर आपने शब्दों का प्रयोग प्रतीकों के रूप में भी जिस तरह किया है, वह प्रभावित करता है | आपकी रचनाओं को पढ़ कर मैंने जाना कि भाषा अगर मनुष्य का सबसे क्रांतिकारी अविष्कार है - जो वह है - तो उसकी कल्पना, साहस, अतिजीविता और अध्यात्म का सबसे ज्वलंत और अमिट प्रतीक शब्द है |

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  21. बचपन की याद दिलाती सुन्दर कविता.

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  22. बहुत ही बढ़िया और मासूम कविता.
    शुभ कामनाएं

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  23. बचपन की याद दिलाती हुई, बचपन सी मासूम कविता के लिए बधाई|

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  24. masoomiyat ki ek nai misal , mubarak ho

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  25. सोती सुन्दरी कहानी याद आ गयी!

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