मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
Monday, January 3, 2011
उफ़ ये अलसाई सी सुबह !
एक अलसाई सुबह
गर्म रजाई सी सुबह
जब छेड़ा था तुमने
कितना शरमाई थी सुबह
लट को हटाया जब फूंक से
गालो पर उभर आई थी सुबह
माथे पर तेरे चुम्बन से
किस्मत पर इतराई थी सुबह
किसी के आने की आहट से
तकिये के नीचे दबाई थी सुबह
कितनी हडबडाकर तुमने
गालो से मिटाई थी सुबह
नए साल में जाने से
थोडा हिचकिचाई थी सुबह
लगी जब तुम्हारे गले
मेरे मन भाई थी सुबह
उफ़ ये अलसाई सी सुबह !
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कहानी
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किसी के आने की आहट से
ReplyDeleteतकिये के नीचे दबाई थी सुबह
कितनी हडबडाकर तुमने
गालो से मिटाई थी सुबह
उफ़... कितनी प्यारी सी सुबह !!!
bhai...ye alsai to nahi...badi rooomani subah hai ...hehe..pyari pyari nazm hai... :)
ReplyDelete... kyaa baat hai !!
ReplyDeleteनए साल की अलसाई सी सुबह ... बहुत लालावाब है ये सुबह ... आपको नया साल बहुत बुत मुबारक ..
ReplyDeleteनए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
सुन्दर कविता लाई,
ReplyDeleteवह सुबह अलसाई।
वाह वाह बडी मनमोहक सुबह है ये तो…………दिल खुश कर गयी।
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
एक अलसाई सुबह
ReplyDeleteगर्म रजाई सी सुबह
जब छेड़ा था तुमने
कितना शरमाई थी सुबह
लट को हटाया जब फूंक से
गालो पर उभर आई थी सुबह
माथे पर तेरे चुम्बन से
किस्मत पर इतराई थी सुबह
किसी के आने की आहट से
तकिये के नीचे दबाई थी सुबह
बहुत सुंदर रचना...
बहुत ही खूबसूरत शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeletebahut badhiya post.आप को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ..
ReplyDeleteएक अलसाई सुबह
ReplyDeleteगर्म रजाई सी सुबह
जब छेड़ा था तुमने
कितना शरमाई थी सुबह
बहुत ही खूबसूरत शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
आपकी कविताओं में अहसास अपने चरम पर होते हैं.बहुत ही सुखद लगता है पढ़ना.
ReplyDeleteक्या बात है!! सुबह का कोई रूप नहीं छोड़ा आपने!!
ReplyDeleteसोनल जी, यह अलसाई सुबह मुबारक हो।
ReplyDelete---------
मिल गया खुशियों का ठिकाना।
वैज्ञानिक पद्धति किसे कहते हैं?
सोनल जी,
ReplyDeleteनमस्ते!
मैं तो शर्म के मारे कुछ कह ही नहीं पा रहा हूँ.
आप अपने आप समझ लो.... हा हा हा!!!
न्यू ईअर में मेरे अलावा, होप, हैल्थ एंड हैप्पीनेस आपके रफ़ीक रहें!
आशीष
---
हमहूँ छोड़ के सारी दुनिया पागल!!!
एक अलसाई सुबह
ReplyDeleteगर्म रजाई सी सुबह
बहुत खूब .. बहुत खूबसूरत सुबह .. बहुत सुन्दर एहसास
bahut hi khoob likha hai .. aise hi likhte rahiyega taaki hum bhi padne ke liye aate rahein..
ReplyDeleteLyrics Mantra
Ghost Matter
Music Bol
uff aapkee ye alsaai subah hame bhi jhakjhor gayee...:)
ReplyDeletebahut pyari rachna...
aapki rachna ne follow karne ko majboor kar diya..:)
बहुत ही खूबसूरत शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeletenye saal per ek gudgudati khoobsurat si kavita.badhai wish you a happy new year
ReplyDeleteबहुत समय बाद किसी ब्लॉग पे इतनी खूबसूरत और रोमांटिक कविता पढ़ने को मिली...
ReplyDeleteएक अलसाई सुबह
ReplyDeleteगर्म रजाई सी सुबह
जब छेड़ा था तुमने
कितना शरमाई थी सुबह
.....सुन्दर मोहक चित्रण ...नव वर्ष की शुभकामना
बधाई इस काव्यमय गुनगुनी नव वर्ष की सुबह की .
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत सुबह है
ReplyDeleteबधाई
माथे पर तेरे चुम्बन से
ReplyDeleteकिस्मत पर इतराई थी
कितनी हडबडाकर तुमने
गालो से मिटाई थी
वह बहुत खूब लिख आपने
अनूठी सुबह - बहुत खूब - नव वर्ष २०११ की शुभकामनाएं
ReplyDeleteawwww.....so so sooooo sweet, lovely piece di, bohot pyaari nazm hai, kya kahun, mmmuuahhhh
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