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Monday, February 28, 2011

मैं तुमको पहचानता हूँ

 मुझे आज भी गुमां है
मैं तुमको   पहचानता हूँ
तुम्हारी बोलिया सुनकर
तुम्हारा शहर जानता  हूँ
तेरी पायल की आवाजें
तेरी सीढ़ी से मेरे दर तक
उन्हें सुनने की चाहत में
मैं हर शब जागता हूँ
तुम्हारे इत्र की खुशबू
जो खस सी ख़ास होती थी
उसी जादू की  ख्वाहिश में
दुआ दिन रात मांगता हूँ
मेरी  हर नज़्म फीकी है
नमक तुमसे ही आता था
उन बे-स्वाद मिसरों के वास्ते
तुम्हारा स्वाद मांगता हूँ 
तुम्हीं ने तो तो सौपे थे
वो काले धागे नज़र वाले
उनकी गाँठ खोलने को
तुम्हारा साथ चाहता हूँ


32 comments:

  1. "...तुम्हीं ने तो तो सौपे थे
    वो काले धागे नज़र वाले
    उनकी गाँठ खोलने को
    तुम्हारा साथ चाहता हूँ "

    ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं.

    सादर

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  2. मेरी हर नज़्म फीकी है
    नमक तुमसे ही आता था
    उन बे-स्वाद मिसरों के वास्ते
    तुम्हारा स्वाद मांगता हूँ
    क्या बात है क्या बात है क्या बात है ....नमक तो चाहिए ही चाहिए.

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  3. तेरी पायल की आवाजें
    तेरी सीढ़ी से मेरे दर तक
    उन्हें सुनने की चाहत में
    मैं हर शब जागता हूँ
    bahut achhe

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  4. बहुत सुन्दर नमकीन सी नज़्म

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  5. वाह सोनल जी क्या बात है
    बेहतरीन प्रस्तुती
    सच बिना इस नमक के कविता अधुरी ही रहती है

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  6. सिर्फ नमकीन ही नहीं और भी कई जाइके/स्वाद है इस छोटी सी नज्म में - बहुत कुछ परोसा है सोनल जी ने - बहुत सुंदर

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  7. ग़ज़ब का रोमाण्टिसिज़्म है... ऐसा लगा
    अपने आप रातों में, चिलमने सरकती हैं,
    चौंकते हैं दरवाज़े, सीढियाँ धडकती हैं,अप्ने आप!!

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  8. तेरी पायल की आवाजें
    तेरी सीढ़ी से मेरे दर तक
    उन्हें सुनने की चाहत में
    मैं हर शब जागता हूँ ..

    बहुत सुन्दर....

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  9. बहुत सुन्दर नज्म है|धन्यवाद|

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  10. सुभालअल्लाह , नजर न लग जाय। बहुत सुन्दर रचना। प्रेमपूर्ण।

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  11. अच्‍छी रचना।
    ''मेरी हर नज़्म फीकी है
    नमक तुमसे ही आता था''
    बेहतरीन लाईनें।
    बधाई हो आपको।

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  12. सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .

    क्या सच में तुम हो???---मिथिलेश


    यूपी खबर

    न्यूज़ व्यूज और भारतीय लेखकों का मंच

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  13. सरल और स्पष्ट रचना

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  14. बहुत ही सुन्दर रचना.
    काले धागे की गाँठ मत खोलियेगा,कविता को नज़र लग जायेगी.
    सलाम.

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  15. उनकी गाँठ खोलने को
    तुम्हारा साथ चाहता हूँ

    बहुत बढ़िया!

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  16. बहुत खूब ....शुभकामनायें !

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  17. तेरी पायल की आवाजें
    तेरी सीढ़ी से मेरे दर तक
    उन्हें सुनने की चाहत में
    मैं हर शब जागता हूँ ..

    सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .

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  18. इतनी खूबसूरत ख्वाहिश....
    पूरी होनी ही चाहिए!
    आमीन!
    आशीष

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  19. क्या बात है ....शुरू करते ही आनंद आ गया !
    हार्दिक शुभकामनायें !!

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  20. कुछ रचनाएँ बार बार पढने को दिल चाहता है ....यह ऐसी ही है !

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  21. amazing nazm sonal ji

    kayi baar padh liya , ek do lines ne seedhe dil par asar kiya .. kya kahun .. ab shabd nahi hai ..
    salaam

    -----------
    मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
    आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
    """" इस कविता का लिंक है ::::
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
    विजय

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  22. दिल को छू गयी रचना। शुभकामनायें।

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  23. मेरी हर नज़्म फीकी है
    नमक तुमसे ही आता था
    उन बे-स्वाद मिसरों के वास्ते
    तुम्हारा स्वाद मांगता ....wah hriday sparshi rachna..bahut khoob Sonal

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  24. उम्दा...नमकीन
    स्वाद आया पढकर...
    पहली उपस्थिति स्वीकार करें।

    डा.अजीत
    www.shesh-fir.blogspot.com
    www.meajeet.blogspot.com

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  25. मेरी हर नज़्म फीकी है
    नमक तुमसे ही आता था

    ye mua namak hai hi aisee chij jaha jata hai...usse chatpata kar deta hai..:D:D

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