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Wednesday, March 7, 2012

फागुन की बतिया


(1)
सुन पिया
भई बावरी
टूटे काहे अंग
चले हवा
देह दुखे
मुख मलिन
ढंग बेढंग

(2)

ओ गोरी
सुन बावरी
सब फागुन
का खेल
भोर -सांझ
में बने नहीं
मौसम ये बेमेल


(3)
सुन पिया
सखि काहे
प्रीत की है 
ये चाल
वैद ही इसमें
रोग दे
इस कारन
तू बेहाल


(4)
सखि की
माने सुमुखि
साजन की
माने नाहि
लगे जो
गले पिया के
रोग सभी
मिट जाए

22 comments:

  1. पिया संग खेलूं होरी...जबरदस्त लिखा है

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  2. होली पर बढ़िया क्षणिकाएं ..... होली की शुभकामनायें

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  3. सुन्दर....

    खूब खेलिए होली....
    शुभकामनाएँ..

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  4. भीगी भीगी होली में रंगों से तरबतर शुभकामनाएं...

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  5. :).. holi ki shubhkamnayen...
    fagun ka asar dikh gaya!! shabdo me:)

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  6. wah bahut sundar

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  7. रंगों की छोटी छोटी पुड़ियों से बरसते शब्द

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  8. "लगे जो
    गले पिया के
    रोग सभी
    मिट जाए"
    आपकी तमन्ना पूरी हो सोनल......:))
    बहुत सुंदर लिखा है।

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  9. अबीर , गुलाल छिटक छिटक पड़ा है क्षणिकाओं में ..

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  10. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 -03 -2012 को यहाँ भी है

    ..रंग की तरंग में होली की शुभकामनायें .. नयी पुरानी हलचल में .

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  11. बहुत ही सुन्दर दोहे .. पिया के रंग में होली के रंग नज़र आ रहे अहिं ... लाजवाब ..
    होली की मधुर मंगल कामनाएं ...

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  12. सोनल जी सुंदर बिलकुल आपकी ही तरह

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  13. बहुत ही बढ़िया
    आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सादर

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  14. बहुत ही खूबसूरत...होली की शुभकामनायें |

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  15. *********************************
    बहूत -बहूत सुंदर रचना...
    होली पर्व कि ढेर सारी शुभ कामनाये
    ***********************************

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  16. सुन्दर पंक्तियाँ!

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  17. वाह ...बहुत ही बढिया।

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  18. बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ.....

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  19. भाव प्रधान दोहे हैं.
    बधाई.
    - विजय तिवारी "किसलय"

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  20. बहुत खूबसूरत.....

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