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Thursday, March 22, 2012

सुन री सखि ................. जब होए अँधियारा


सुन री सखि .................
जब होए अँधियारा
घर से बाहर मत निकलो
बड़ा शहर अंधियारी सड़के
घर से बाहर मत निकलो
पढ़ी लिखी  भई सयानी
कौन भरम में जीती हो
नर्स बनो या बनो पायलट
सारे काज कर लेती हो
सूरज डूबे तुम छुप जाओ
घर से बाहर मत निकलो
बढे देश तो बढोगी तुम भी
आसमान छू लोगी तुम 
आठ के बाद मुझको बतलाओ
घर कैसे पहुँचोगी तुम
थानेदार भी हाँथ जोड़ते
घर से बाहर मत निकलो ....
सुन री सखि

28 comments:

  1. सुरक्षा की दृष्टि से लिखी अच्छी रचना ... आज के हालात पर सटीक व्यंग झलकता है

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  2. आज नारी की सुरक्षा पर जो प्रश्नचिन्ह लग रहा है उस पर शानदार व्यंग्य्।

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  3. घर से बाहर जाने की आवश्यकता न हो तो घर से सुरक्षित कुछ भी नहीं।

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    1. प्रवीण जी , घर पर होने वाले अपराधो की संख्या बाहर होने वाले अपराधो से ज्यादा है

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    2. बिलकुल सही कहा...........
      आरुषी के साथ क्या हुआ...हम सभी जानते हैं...

      बहुत गहन लेखन सोनल जी...

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  4. well knitted...d truth of now a days life.

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  5. सार्थकता लिए हुए सटीक लेखन ।

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  6. आपको नव संवत्सर 2069 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ----------------------------
    कल 23/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  7. घर में भी कौन सा सुरक्षित हैं .

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    1. @ शिखा वार्ष्णेय ,
      सन्न रह गया आपकी यह लाइन पढ़ कर , अचानक यह लाइने बन गयीं ....

      न जाने आप किस रक्षा की बात करते हैं
      जिधर देखू उधर खूंख्वार नज़र आते है !

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  8. गुडगाव की पुलिस की कैर नहीं आज ... सटीक टिपण्णी और चुटकी ली है आज के हालात पे ...

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  9. शर्मनाक हम सबके लिए ....
    अच्छा सन्देश मगर दरिंदगी शर्मिंदा नहीं होती !
    शुभकामनायें आपके लिए !

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  10. sunder si ,pyari si .........sandesh deti rachna

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  11. यार्थार्थ को दर्शाती अभिवयक्ति.....

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  12. bahut saarthak sandesh deti hui vyangatmak rachna.

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  13. सत्य कथन....
    सार्थक रचना...

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति| नवसंवत्सर २०६९ की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  15. बहुत कुछ बोल देती है रचना...
    सादर।

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  16. सीधे सच्चे शब्दों में सादगी से कहा, एक कटु सच ! बहुत सुन्दर !!!

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  17. बहुत ही सटीक व्यंग्य
    पर पंक्तियाँ व्यथित भी करती हैं...

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  18. हमारी व्यवस्था और नारी सशक्‍तिकरण का नारा बुलंद करने वालों पर स्टीक व्यंग्य!

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  19. यही बंदोबस्त है अब लोकतंत्र में एक वी आई पी की हिफाज़त में तीन से चार पुलिस वालें हैं और एक लाख औरतों के पीछे ?घर से रात बिरात निकलने की मनाही .बहुत खूब .

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