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Thursday, March 29, 2012

चलो कुछ भूल जाएँ ......

इंसा पैदा हुए थे हम
हुए ना जाने कब विषधर
किसी अंधियारे कोने में
केंचुली छोड़ आयें
चलो कुछ भूल जाएँ  ...... 

उम्र बीती जिरह करते
जब भी उगला ज़हर उगला
किसी गुमनाम पीर पर
ज़हर का तोड़ पाए
चलो कुछ भूल जाएँ ..........
 
युग बदले ना तू बदला
रहा उथले का तू उथला
किसी गंगा में यूँ डूबें
के  मुक्ति पा ही जाए
चलो कुछ भूल  जाएँ............
 
बड़ी  रंजिश सहेजी हैं 
तुमने अपनी किताबों में
किसी पार्क की बेंच पर
इरादतन छोड़ आयें
चलो कुछ भूल जाएँ ....
 
मनभर  बोझ  लेकर
सफ़र कैसे करोगे तय
मंजिल पास में ही है
अंत आसाँ बनाये
चलो सब  भूल जाएँ ....

16 comments:

  1. न भूले अब कुछ हम तो चलना आसान नहीं होगा
    घिर जाएँ दीवारों के बीच
    उससे पहले चलो ....

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  2. excellent....excellent....
    बड़ी रंजिश सहेजी हैं
    तुमने अपनी किताबों में
    किसी पार्क की बेंच पर
    इरादतन छोड़ आयें
    चलो कुछ भूल जाएँ ..

    बहुत खूबसूरत नज़्म.....
    लाजवाब!!!

    अनु

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  3. काश कि इतना आसान होता भूलना.
    बहुत सुन्दर भाव.--

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  4. उड़ने के लिये हल्का होना आवश्यक है।

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  5. भूलना आसान नहीं है ...कोशिश तो की जा सकती है ...सुंदर प्रस्तुति

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  6. चलो सब भूल जाएँ
    काश!!!

    सुंदर प्रस्तुति!

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  7. किसी पार्क की बेंच पर
    इरादतन छोड़ आयें ...

    Kaash k bhul jana aasan hota.. :(

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  8. Kash hum sab kuch Bhool paate.....

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  9. हाँ कुछ तो भुलाया जा सकता है।

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  10. भूलाया तो जा सकता है, पर विषधर बनना नहीं भूलना चाहिए…… मनुर्भव: इंसान बनने की ओर लौटना चाहिए…………… अच्छी प्रस्तुति ………आभार

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  11. जाने इस आसान अंत तक कब पाहुचेगा काफिला....
    सुंदर प्रस्तुति...
    सादर।

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  12. आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया....बहुत बेहतरीन प्रस्‍तुति...!

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  13. काश ऐसा कर पायें,
    चलो सब भूल जाएँ ....

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  14. वाह ...बहुत ही बढिया।

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  15. इंसा पैदा हुए थे हम
    हुए ना जाने कब विषधर
    किसी अंधियारे कोने में
    केंचुली छोड़ आयें
    चलो कुछ भूल जाएँ ......


    काश भुलाने से सब कुछ ठीक हो पाता. बहुत सुंदर विचारों को पेश करती खूबसूरत कविता.

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  16. बड़ी रंजिश सहेजी हैं
    तुमने अपनी किताबों में ...

    इस रंजिश को यूं छोड़ना आसान नहीं होता ... पर अहगर छोड़ दिया तो जीवन आसान भी हो जाता है ... बहुत लाजवाब रचना ..

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