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Tuesday, March 12, 2013

होरी नाही खेलूंगी


होरी नाही खेलूंगी
श्याम सांवरे सांवरिया
बिगत बरस फागुन में
 तैने कारो रंग लगायो
चन्द्रबदन ते श्यामा कीन्ही
तोरे मन को भायो 
अलकन में उलझायो तैने
पलकन में अट्कायो 
बारह मास मैं रही बावरी
दूजो फागुन आयो
तोरी सूरत नाही देखूंगी
श्याम सांवरे सांवरिया

ललिता रंगी गुलाबी  तैने
रंगी विशाखा लाल
होरी बीते बरस बिताया
अब तक गाल गुलाल
मोसे तूने बैर निभाया
छोड़ अबीर गुलाल
श्यामल रंग लगाया मोहे
हाल किया बेहाल
गोवर्धन की सौं तू सुनले
घूंघट नाही खोलूंगी
श्याम सांवरे सांवरिया
होरी नाही खेलूंगी

21 comments:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (13-03-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
    सूचनार्थ |

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  2. होली की फुहार सी आनन्दित

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  3. ललिता रंगी गुलाबी तोने
    रंगी विशाखा लाल
    होरी बीते बरस बिताया
    अब तक गाल गुलाल ..

    वाह ... कान्हा का भी रंग उतर जाए तो वो होली ही क्या ...
    बहुरत सुन्दर रचना ...

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  4. Badhiya :)

    Brij bhasha sunne gunne ka apna hi maza h.. :)

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  5. aap to brij main bhi bahut achchha likh leti hain

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  6. very well written blog ...awesome.-***

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  7. "होरी बीते बरस बिताया
    अब तक गाल गुलाल"

    पर एक तरफ ते बात नाइ बनैगी सांवरिया मान जाइ तब न?

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  8. फागुनी रंग में रंगी सुन्दर रचना !

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  9. फाल्गुन में श्याम रंग में रंगी बहुत सुन्दर रचना...
    :-)

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  10. ऐसे हठ पर तो कान्हा और ही रीझ जायेंगे ।
    बहुत सुन्दर वर्णन ।

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  11. सांवरे ने लगाया भी रंग तो सांवला ही !
    बहुत बढ़िया !

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  12. kahe nahi khelogi hori kandha sang,jid tumhri nahi kandha ko bhave...
    sundr hath yog

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  13. सादर जन सधारण सुचना आपके सहयोग की जरुरत
    साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )

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  14. एक अलग रंग में रंगी रचना..

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  15. फागुना गईं तुम भी :)
    बहुत बढ़िया गीत है.

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  16. ललिता रंगी गुलाबी तोने
    रंगी विशाखा लाल
    होरी बीते बरस बिताया
    अब तक गाल गुलाल.

    सोनल जी आपने बहुत सुंदर फागुनी रंग में रंगा गीत लिखा है. बहुत बढ़िया.

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  17. सोनल जी बहुत ही सुन्दर रचना . . मुझे तो इसे गाने का मन हो आया ...किसी कवि ने कहा है की जब मन डोलता है तो कविता बनती है और जब ह्रदय डोलता है तो गीत बन जाता है ..ऐसा ही अनुभव हुआ आपका ये सुन्दर मनोहारी कृष्णा प्रेम से ओत प्रोत गीत गुनगुनाकर ...बहुत बहुत बधाई :-)

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  18. सुन्दर सात्विक अभिव्यक्ति.....साधू साधू |

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  19. अद्भुत भाव, अद्भुत शब्द चयन, उत्कृष्ट रचना ।

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  20. आपकी इस कविता मै श्री कृष्ण जी द्वारा राधा जी और गोपियों के होली खले जाने का बहुत ही सजीव चित्रण खा गया है जैसे मानो हमारे आँखों के सामने ही खेल रहे हो | Talented India News

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