सुनो !
भारत भाग्य विधाताओ
शहीदों की चिताओं से
दूर रखना काले हाँथ
कलंकित करेंगे शहादत ,
तुम्हारे शरीर से उठती
सड़ांध दम घोट देगी
उनकी आत्माओ का
तुम तुष्टिकरण में रहो
देसी विदेसी आकाओं के
ना तुम्हारा आँगन रोया
ना सूनी हुई तुम्हारी देहरी
तुम बस गिनो गिन्नियां
बंद आँखों से लगातार
लथपथ चेहरे मत देखो
हम फिर सौंप देंगे
तुम्हारे हाँथ बागडोर
अपने भविष्य की
क्योंकि खो चुके है
अपनी आवाज़ शक्ति
और
स्व:
हकीकत बयाँ करती रचना !!
ReplyDeleteहकीकत को रूबरू करती सार्थक रचना.
ReplyDeleteआदत पड़ गयी है , कल ५ मरे जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता | अभी करते रहेंगे लंच उसी देश के प्रधानमंत्री के साथ !!!!
ReplyDeleteक्रोध भरी अभिव्यक्ति ... पर विवशता भी लिए है ...
ReplyDeleteऐसे हालात का क्या किया जाए ..
क्या किया जाय ऐसे लोगों का यार. हमलोगों से चुपचाप इनकी बकवास सुनते नहीं बनता और लड़ो तो खुद का मूड खराब होता है. इनके ऊपर तो कोई असर पड़ने से रहा. अब सारी उम्मीद अगली पीढ़ी से है. ये लोग तो सड़े हुए दिमाग वाले हैं.
ReplyDeleteवाकई इन लोगों के आगे बैठकर बीन बजाने से भी कोई फायदा नहीं..
ReplyDeleteरोष और क्षोभ ...
ReplyDeleteपर किसे दिखता है ये सब ,,,,
ReplyDeleteशहादत पर रोटियाँ सेंकने वालों पर करारा व्यंग्य
सत्य बाँचती पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहुत गुस्सा है ! खूब है!
ReplyDeleteआपके कविताये पड़कर कभ कभी ऐसा लगता है किसी को बहुत कड़क शब्दों में जवाब दिया गया है की बस अब बहुत हो गया | अब बदलाव का समय है और तुम बदल जाओ वरना तुम्हारी खैर नहीं | Talented India News
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