राधे सांवरी होय
(1)
श्याम सजे
ज्यो गोपिका
धरा अनूठा रूप
सांवल तन
घूँघर मुखपर
लीला रची अनूप
(2)
टेसू भिगोया
केसर भिगोई
और पिसाई भांग
मोरपंख धर
राधा सजी ज्यों
मोहन घनश्याम
(3)
नित्य नवल
रास रचाए
राधे तेरो श्याम
फाग चढ़े
बौरा गया
सबरा गोकुलधाम
(4)
श्याम छवि निरख
राधे सांवरी होय
सांवरे के तन पे
रंग चढ़े ना कोय
फागुन आ गयो रे ...........:)
ReplyDeleteटेसू भिगोया
ReplyDeleteकेसर भिगोई
और पिसाई भांग
मोरपंख धर
राधा सजी ज्यों
मोहन घनश्याम
वाह फागुन आ गया है ... होली के रंग ओर राधा कृष्ण की मनुहार ... मनमोहक क्षणिकाएं सभी ..
aisa lag raha hai ki vrindavan panhuch gaye.
ReplyDeleteबहुत ही कोमल और भक्ति भरी पंक्तियाँ..
ReplyDeleteकान्हा तो बस कान्हा है .....।
ReplyDeleteभक्ति करो तो प्रेम उपजता है ,प्रेम करो तो भक्ति ....।
आनंदमय | जय श्री राधे |
ReplyDeleteबौरा गया सगळा गोकुल धाम !
ReplyDeleteफागुन में राधा कृष्ण और प्रेम की मिठास और मौसम का एहसास एक साथ !
बहुत खूब !
बहुत प्यारी पंक्तियाँ.
ReplyDeleteश्री कृष्ण जी की लीलाए वाकई निराली है | और आपकी इस कविता मई जो उसका वर्णन किया गया है वह बहुत ही मोहक है | Talented India News
ReplyDeleteश्री कृष्ण जी की सुन्दरता का बखान आपने जिस प्रकार आपने अपनी कविता में किया है वह बहुत ही रोचक है| और उनकी लीलाए भी काफी मनमोहक होती है | Talented India News
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