अबकी बारिश में क्या क्या होगा
हर कदम पर गड्ढा बना होगा
मौत को खुला आमंत्रण है
कदम कदम पे मेनहोल खुला होगा
घरो में नलों की टोटिया सूखी
सडको पे नदी- नालो का समां होगा
फ़रियाद करोगे भी तो किससे
प्रशासन तो सो रहा होगा
करनी पे शायद पछताए
भ्रष्ट नेता सुधर जाए
आज दिल्ली में खुला है पाताल का रास्ता
कल हर गली में खुला होगा
delhi me to ye nazare aam hain aaaj kal...
ReplyDeleteमौत को खुला आमंत्रण है
कदम कदम पे मेनहोल खुला होगा
mere hisaab se in dono panktiyon me "kaal " ka dosh hai ...
pahle misre ko bhi " bhavishya kaal " me hona chahiye ...jaise
" maut ko hoga khula amantran .... "
:)
baki delhi ki barish se khase pareshan dikh rahe hain log ....aap unki preshani ki poori bat karti nazar aa rahi hain
हा हा हा गुडगांव से दिल्ली .......बारिश में सब बने भीगी बिल्ली .......समझ गए हम । बांकी तो आतिश जी ने बता ही दिया है , कविता की समझ के अनुसार , । सही खाका खींचा है आपने
ReplyDeleteएक छोटा सा करेक्शन (क्षमा सहित)
ReplyDeleteमौत को खुला आमंत्रण है
कदम कदम पे मेनहोल (main hole) खुला होगा
.
“मौत देगी खुला आमंत्रण
कदम कदम पर मैनहोल (Man hole) खुला होगा”
.
आज दिन में कनॉट प्लेस में इसी नज़ारे से गुज़रा हूँ और मौत का आमंत्रण ठुकराया है...करनी पे शायद शर्माए, भ्रष्ट नेता सुधर भी जाए... समीक्षक होता तो कहता कि आपकी पंक्तियाँ वास्तविकता से कई लाइट ईयर दूर हैं... इतनी सी बारिश में ये नेता नहीं धुलकर साफ होते सोनल जी! पूरी गंगा जमुना मैली कर गए..कुछ हुआ??
barshat me bikhrao ka kala paksha.......
ReplyDeletebahut sundar!
meri 'sawan' poem b padiye.
काटता व्यंग।
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteteer nishane par hai sonal...keep going :)
ReplyDeleteसटीक व्यंग
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteराजभाषा हिन्दी के प्रचार प्रसार मे आपका योगदान सराहनीय है।
bahut khub sahi haal hai delhi ka...
ReplyDeletebaaki to swapnil ji ne bata hi diya hai.....
सोनल जी...
ReplyDeleteवाह....सुन्दर व्यंग....
दीपक....
बहुत सटीक!! सुन्दर!!
ReplyDeleteएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteपिछले कुछ दिनों से आपके ब्लाग पर आना ही नहीं हो पाया.ऐसा भी नहीं था कि आपकी रचनाओं को पढ़ने के लिए नहीं आ सकता था लेकिन....
ReplyDeleteखैर अभी-अभी पिछली तमाम रचनाओं को पढ़ गया हूं
आइने वाली रचना काफी खूबसूरत है. जिस रचना पर टिप्पणी कर रहा हूं वह तीखा व्यंग्य है.
आशा है आपके जीवन में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा होगा
एक बेहतरीन व्यंग्य साथ ही साथ एक यथार्थवादी रचना बरसात न हुई जैसे आफत बरस गई,यहाँ तो तीन दिन तक घरोंमे चार चार फीट तक पानी में रहना पड़ा,ओर सरकार ओर प्रशाशन की तो पोल खोल कर रख दी .
ReplyDeleteघरो में नलों की टोटिया सूखी
सडको पे नदी- नालो का समां होगा
फ़रियाद करोगे भी तो किससे
प्रशासन तो सो रहा होगा
बहुत जंचा,,, लिखते रहिये
बहुत सटीक!! सुन्दर!!
ReplyDeletesundar prastuti
ReplyDeleteबहुत सटीक!! सुन्दर!!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई।
लगता है जैसे मुनिसीपेलिटी का फोटो उतार दिया हो ... बहुत खूब ...
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