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Monday, August 16, 2010

ये धोखा है प्यार नहीं

एक कच्ची सी नज़्म लिखी


जो पकने को तैयार नहीं

मैं शमा बनी वो परवाना

वो जलने को तैयार नहीं

आहें भी भरी आंसू भी बहे

दिल मिलने को तैयार नहीं

आज़ादी दी और पंख दिए

वो उड़ने को तैयार नहीं

सब जग छोड़ा जिनकी खातिर

वो जुड़ने को तैयार नहीं

पर्वत से अकड़े बैठे है

वो झुकने को तैयार नहीं

हमको पक्का यकीन है

ये धोखा है प्यार नहीं

41 comments:

  1. आज़ादी दी और पंख दिए
    वो उड़ने को तैयार नहीं
    ..... aisa kyo hai ?? ye prashn hamesha rahega ...!! kyo na prashno ko hi uttar bana liya jaye ....to shayad jeewan ke naye mayne mil jaye !!!

    bahut sundar rachna ....achhi lagi!!
    mere blog par bhi padharen !!

    Jai HO Mangalmay Ho

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  2. एक उम्दा रचना
    अपनी बात को पूरी शिद्दत और कहीं भीतर तक पैठ बनाने की कला कोई आपसे सीखें

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  3. इस बार के ( १७ अगस्त , मंगलवार ) साप्ताहिक चर्चा मंच पर आप विशेष रूप से आमंत्रित हैं ...आपके लिए कुछ विशेष है ....आपकी उपस्थिति नयी उर्जा प्रदान करती है .....मुझे आपका इंतज़ार रहेगा....शुक्रिया

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  4. ekdam pakka sonal...ye nazm badi hi pyrai hai..aur man chhakne ke liye teyaar nahi :)

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  5. Hi...

    Jo pyaar kisi se karta hai..
    wo na yun hi ghabrata hai...
    apne priyatam ke kahne par...
    apna sarvasv lutata hai...

    hai sahi aaklan tera ye...
    ye dhokha hai, yah pyaar nahin...
    tera ye samarpan vyarth raha...
    jisko dil se sweekar nahin..

    Sundar Bhav...

    Laibadh...hamesha ki tarah...

    Deepak...

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  6. बहुत खूबसूरत ..
    एहसास की श्रृंखला सी ..

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  7. आपसे ऐसी सशक्त रचना की ही उम्मीद होती है.

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  8. अब जब इतना गहरा यकीन है तो बात सही ही होगी...वैसे भी एक कहावत है कि कोई छोड़ कर जाना चाहे तो उसे जाने दो... अगर वो तुम्हारा है तो लौटकर आएगा और तुम्हारा नहीं है तो उसका जाना ही बेहतर... अच्छी रचना, अच्छे इल्ज़ाम..लेकिन फ़ैसला उसका जवाब सुने बग़ैर …!!

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  9. बेहद खूबसूरत नज़्म्।

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  10. aap to meri fav. poet hogain hain
    aisi koi kavita nhi hai apki jo mujhe pasand na aai ho
    iss bar bhi aapne dil jeet liya inn shabdo k jadoo se

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  11. वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर !

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  12. प्यार की डालें तो झुकने को तैयार रहती हैं।

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  13. sonal behn aadaab, aap ke chnd alfaaz or zindgi ki schchaayi kaa ehsaas bhut khub he . akhtar khan akela kota rajsthan

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  14. हमको पक्का यकीन है

    ये धोखा है प्यार नहीं
    उम्दा प्रस्तुति।

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  15. sach mein bahut dino baad itni umdaah kavita padhne ko mili...
    ise baar baar padhne ka mann kiya...

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  16. bahut bhavpoorn rachna! jho jhuke nahi.. mite nahi.. badle nahi.. wo pyar nahi.. badhiya!

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  17. कविता बहुत सुंदर है....

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  18. पर्वत से अकड़े बैठे हैं ...
    धोखा है ये प्यार नहीं ...
    वाह !

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  19. सुंदर रचना से रूबरू करने के लिए धन्यबाद.

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  20. सुंदर प्रस्तुति!


    “कोई देश विदेशी भाषा के द्वारा न तो उन्नति कर सकता है और ना ही राष्ट्रीय भावना की अभिव्यक्ति।”

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  21. हमको पक्का यकीन है

    ये धोखा है प्यार नहीं....


    बहुत सुंदर पंक्तियाँ...

    सुंदर कविता...

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  22. बहुत सुन्दर रचना ........लाजवाब

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  23. अच्छा जी... इतनी तोहमतें लगा दीं तो फ़िर प्यार कहां रहेगा

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  24. अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं। बहुत सुन्दर रचना है।

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  25. मोहतरमा सोनल रस्तोगी जी
    क्या बात है !
    अच्छी रचना लिखी है ।

    सब जग छोड़ा जिनकी खातिर
    वो जुड़ने को तैयार नहीं

    काश ! प्यार के रंग में भीगी इस रचना का शीर्षक और समापन दिल को सुक़ून और राहत देने वाला होता ।

    कुछ इस तरह …
    मा'लूम मुझे है मेरे सिवा
    किसी और से उनको प्यार नहीं


    सच बताएं , कैसा लगा ?
    शस्वरं पर आपका हार्दिक स्वागत है , अवश्य आइएगा …
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  26. बहुत खूब ... ये रचना लाजवाब है ... बधाई ..

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  27. सही पहचाना लेकिन सच को हजम कर पाना मुश्किल है ना ?

    सुंदर अभिव्यक्ति.

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  28. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !

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  29. एक कच्ची सी नज़्म लिखी


    जो पकने को तैयार नहीं

    मैं शमा बनी वो परवाना

    वो जलने को तैयार नहीं

    वाह क्या बात कही है ...एकदम दिल में उतरती सी.

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  30. Bahut bhadiya....kya baat hai!!
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

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  31. एक एक पंक्ति मन को छू गयी..

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  32. पर्वत से अकड़े बैठे है
    वो झुकने को तैयार नहीं
    हमको पक्का यकीन है
    ये धोखा है प्यार नहीं

    बहुत सुन्दर .बधाई!!

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  33. चलो जल्‍दी समझ आ गया कि‍ धोखा क्‍या है, बधाई हो बच गये।

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  34. कैसे लिख लेती हैं आप ऐसी दिल को छू लेने वाली कवितायें, कम और सरल शब्दों में, इतने गहन भाव समेटे। अत्यन्त सुन्दर प्रस्तुति ।

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