ये सावन
मन भाये ना
बदरा तुमको
लाये ना
दूर बिदेस में
बैठे तुम
सौतन कहीं
लुभाए ना
बाट निहारे
नैन दुखे
पीर हमारी
कौन सुने
काली आँखे
काली रात
उसपर उस
डायन की घात
मन तो
ऐसा ऐसा है
जाने
कैसा कैसा है
कोई टोना
डाल ना दे
तुमको मुझसे
टाल ना दे
जितनी डाह
है प्रेम में
उतना तो
अगन जलाये ना
virah ki ye tis ...kam shbdon ki sundar bangi...! :)
ReplyDeleteविरह का खूबसूरती से वर्णन किया है....
ReplyDeleteबेहद उम्दा रचना !
ReplyDeleteसोनल जी...
ReplyDeleteपढ़कर के इस विरह-व्यथा को...
हम भी हैं मुस्काये न...
सच में बेदर्दी होगा वो...
इस पर भी जो आये न...
बहुत ही सुन्दर कविता....
मन मोह लिया आपकी कविता ने...
दीपक....
इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...............
ReplyDeleteHi..
ReplyDeletePunah padhne ke liye aaya..kavita ko..
Daah jalati hiy ko jitna..
Utna agan jalaaye na..
Bin jwala bhi dhu-dhu jalta..
Kuchh bhi to bach paye na..
Soutan ke jadu main priyatam..
Kabhi kisi ka aaye na..
Virah bhale ho priyatam se par..
Soutan le kar aaye na..
Bahut sundar kavita likhi hai aapne..
Deepak..
भय बिनु प्रीत न होय गोपाला!
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteबड़ी कोमल रचना।
ReplyDeleteसावन में विरह..विरह में संदेह और संदेह में प्रेम... प्रेम में यादें..यादों का सावन... सावन में विरह...
ReplyDeleteसोनल जी इसके आगे क्या कहूँ!!
उम्दा पोस्ट-सार्थक लेखन के लिए शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपकी पोस्ट वार्ता पर भी है
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
bahut khoob...........
ReplyDeletevikal mora manwa......sawan ke viyogi ehsaas
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...!!
ReplyDeleteशानदार.. बहुत ही शानदार
ReplyDeleteइस रचना को आप किसी साहित्यिक पत्रिका भी में भेजिए.. पक्के में छपेगी.
गजब का लिखा है आपने.
सुंदर-सरल और दिल में उतरने लायक
क्या बात है!!!!!
ReplyDeleteविरह वेदना..... कहानी हो या कविता, सभी विधाओं में आप निपूण हैं!
शुभकामनाएँ!
===============
फिल्लौर फ़िल्म फेस्टिवल!!!!!
शानदार क्या बात है आप कि कला अभूतपूर्व है
ReplyDeleteमंगलवार 10 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/
शुभकामनाएं।
ReplyDeleteवाह .. सावन से भी शिकवा ... बहुत सुंदत पंक्तियाँ लखी हैं आपने ..
ReplyDelete