Pages

Saturday, August 7, 2010

ये सावन मन भाये ना ...

ये सावन


मन भाये ना

बदरा तुमको

लाये ना

दूर बिदेस में

बैठे तुम

सौतन कहीं

लुभाए ना

बाट निहारे

नैन दुखे

पीर हमारी

कौन सुने

काली आँखे

काली रात

उसपर उस

डायन की घात

मन तो

ऐसा ऐसा है

जाने

कैसा कैसा है

कोई टोना

डाल ना दे

तुमको मुझसे

टाल ना दे

जितनी डाह

है प्रेम में

उतना तो

अगन जलाये ना

22 comments:

  1. virah ki ye tis ...kam shbdon ki sundar bangi...! :)

    ReplyDelete
  2. विरह का खूबसूरती से वर्णन किया है....

    ReplyDelete
  3. सोनल जी...

    पढ़कर के इस विरह-व्यथा को...
    हम भी हैं मुस्काये न...
    सच में बेदर्दी होगा वो...
    इस पर भी जो आये न...

    बहुत ही सुन्दर कविता....
    मन मोह लिया आपकी कविता ने...

    दीपक....

    ReplyDelete
  4. इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...............

    ReplyDelete
  6. Hi..

    Punah padhne ke liye aaya..kavita ko..

    Daah jalati hiy ko jitna..
    Utna agan jalaaye na..
    Bin jwala bhi dhu-dhu jalta..
    Kuchh bhi to bach paye na..

    Soutan ke jadu main priyatam..
    Kabhi kisi ka aaye na..
    Virah bhale ho priyatam se par..
    Soutan le kar aaye na..

    Bahut sundar kavita likhi hai aapne..

    Deepak..

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर अभिव्‍यक्ति !!

    ReplyDelete
  8. सावन में विरह..विरह में संदेह और संदेह में प्रेम... प्रेम में यादें..यादों का सावन... सावन में विरह...
    सोनल जी इसके आगे क्या कहूँ!!

    ReplyDelete
  9. उम्दा पोस्ट-सार्थक लेखन के लिए शुभकामनाएं

    आपकी पोस्ट वार्ता पर भी है

    ReplyDelete
  10. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर...!!

    ReplyDelete
  12. शानदार.. बहुत ही शानदार
    इस रचना को आप किसी साहित्यिक पत्रिका भी में भेजिए.. पक्के में छपेगी.
    गजब का लिखा है आपने.
    सुंदर-सरल और दिल में उतरने लायक

    ReplyDelete
  13. क्या बात है!!!!!
    विरह वेदना..... कहानी हो या कविता, सभी विधाओं में आप निपूण हैं!
    शुभकामनाएँ!
    ===============
    फिल्लौर फ़िल्म फेस्टिवल!!!!!

    ReplyDelete
  14. शानदार क्या बात है आप कि कला अभूतपूर्व है

    ReplyDelete
  15. मंगलवार 10 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार

    http://charchamanch.blogspot.com/

    ReplyDelete
  16. वाह .. सावन से भी शिकवा ... बहुत सुंदत पंक्तियाँ लखी हैं आपने ..

    ReplyDelete