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Wednesday, December 29, 2010

अरे बाबा सब झोलम-झोल

तोड़ो गुल्लक
निकालो सिक्के
चन्दा जैसे
गोल गोल
पिछला साल
गया खर्चीला
इस बरस तो
तोल के बोल
मीठे खट्टे
तीखे तीखे
जिए कितने
पल अनमोल
हिसाब निन्यानबे का
मिलता ही नहीं
अरे बाबा
सब झोलम-झोल

21 comments:

  1. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

    http://urvija.parikalpnaa.com/2010/12/blog-post_29.html

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  2. :) :)
    तोल कर बोलने का सार्थक सन्देश .

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  3. सब झोलमझोल
    बढिया रचना
    अच्छी लगी

    प्रणाम

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  4. वाह वाह वाह वाह्……।

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  5. साल भर जो खर्च किया, जो पाया, हिसाब भी नहीं रख पाया।

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  6. बढ़िया ...

    सब झोलम-झोल

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  7. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (30/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  8. बहुत सुन्दर..नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  9. गहरे अर्थ लिये लाइट सी कविता..
    :)

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  10. "तोल मोल के बोल" । अच्छी प्रस्तुति । आपको नववर्ष की शुभकामनाएं

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  11. बहुत सुन्दर..नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  12. सब झोलम झोल
    तोल मोल के बोल ...
    सुन्दर !

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  13. सब झोलम-झोल baki sab tol ke bol. badiya hai ji

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  14. सुंदर प्रस्तुति.आभार
    सादर,
    डोरोथी.

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  15. achhee rachna है ... सब kuch ही jholam-jhol है ....

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