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Monday, February 25, 2013

किसी ने कहा होगा


कोई तो गिला होगा किसी ने कहा होगा
मसला भरे बाज़ार ऐसे नहीं उछला होगा
लहू के ताज़ा निशां आँख के मुहाने पर 
दर्द कोई सरहद तोड़ कर निकला होगा 
दरख्त के मानिंद छाया दिया करता था 
खुन्नस में तुमने ही रास्ता बदला होगा 
सूखे मोम की लकीरें देहरी पर निढाल 
कल इंतज़ार तन्हा  यहाँ पिघला होगा 
दिखाकर चमकीले सितारे बुझाए चराग 
तेरा मसीहा  भी नीयत से उथला होगा

18 comments:

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 27/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  2. वाह लाजवाब शानदार पंक्तियाँ

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  3. दरख्त के मानिंद छाया दिया करता था
    खुन्नस में तुमने ही रास्ता बदला होगा..

    वाह .. किसी ने उसका पक्ष भी तो रक्खा ... मज़ा आया ये शेर पढ़ने के बाद ...

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  4. कारण तो कुछ होता है,
    नहीं व्यर्थ जग रोता है।

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  5. दरख्त के मानिंद छाया दिया करता था
    खुन्नस में तुमने ही रास्ता बदला होगा

    woww...bahut khooob

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  6. हाँ कुछ तो जरूर ही होगा ..
    बहुत खूब

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  7. पीड़ितों को सच्ची श्रद्धांजलि

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  8. सूखे मोम की लकीरें देहरी पर निढाल
    कल इंतज़ार तन्हा यहाँ पिघला होगा
    दिखाकर चमकीले सितारे बुझाए चराग
    तेरा मसीहा भी नीयत से उथला होगा

    बहुत ही शानदार

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  9. लहू के ताज़ा निशां आँख के मुहाने पर
    दर्द कोई सरहद तोड़ कर निकला होगा
    दरख्त के मानिंद छाया दिया करता था
    खुन्नस में तुमने ही रास्ता बदला होगा
    सूखे मोम की लकीरें देहरी पर निढाल
    कल इंतज़ार तन्हा यहाँ पिघला होगा

    एक से बढ़कर एक

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  10. बहुत उम्दा ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई

    आज की मेरी नई रचना जो आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है

    ये कैसी मोहब्बत है

    खुशबू

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  11. लहू के ताजा निशान आँख के मुहाने पर ...
    आँसू के लिए चुने बिम्ब ने दर्द की इंतिहा बता दी !
    बहुत खूब !

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  12. कहा किसी ने और यकीन किया तुमने ,
    जरूर तुम्हारे पहलू में कोई 'और' रहा होगा ।

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