कोई तो गिला होगा किसी ने कहा होगा
मसला भरे बाज़ार ऐसे नहीं उछला होगा
लहू के ताज़ा निशां आँख के मुहाने पर
दर्द कोई सरहद तोड़ कर निकला होगा
दरख्त के मानिंद छाया दिया करता था
खुन्नस में तुमने ही रास्ता बदला होगा
सूखे मोम की लकीरें देहरी पर निढाल
कल इंतज़ार तन्हा यहाँ पिघला होगा
दिखाकर चमकीले सितारे बुझाए चराग
तेरा मसीहा भी नीयत से उथला होगा
koi to bahana hoga...:)
ReplyDeletebahut behtareen...
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 27/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह लाजवाब शानदार पंक्तियाँ
ReplyDeleteदरख्त के मानिंद छाया दिया करता था
ReplyDeleteखुन्नस में तुमने ही रास्ता बदला होगा..
वाह .. किसी ने उसका पक्ष भी तो रक्खा ... मज़ा आया ये शेर पढ़ने के बाद ...
कारण तो कुछ होता है,
ReplyDeleteनहीं व्यर्थ जग रोता है।
दरख्त के मानिंद छाया दिया करता था
ReplyDeleteखुन्नस में तुमने ही रास्ता बदला होगा
woww...bahut khooob
हाँ कुछ तो जरूर ही होगा ..
ReplyDeleteबहुत खूब
पीड़ितों को सच्ची श्रद्धांजलि
ReplyDeleteसूखे मोम की लकीरें देहरी पर निढाल
ReplyDeleteकल इंतज़ार तन्हा यहाँ पिघला होगा
दिखाकर चमकीले सितारे बुझाए चराग
तेरा मसीहा भी नीयत से उथला होगा
बहुत ही शानदार
लहू के ताज़ा निशां आँख के मुहाने पर
ReplyDeleteदर्द कोई सरहद तोड़ कर निकला होगा
दरख्त के मानिंद छाया दिया करता था
खुन्नस में तुमने ही रास्ता बदला होगा
सूखे मोम की लकीरें देहरी पर निढाल
कल इंतज़ार तन्हा यहाँ पिघला होगा
एक से बढ़कर एक
बहुत उम्दा ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना जो आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
umda rachna
ReplyDeleteअति सुन्दर.
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeleteलहू के ताजा निशान आँख के मुहाने पर ...
ReplyDeleteआँसू के लिए चुने बिम्ब ने दर्द की इंतिहा बता दी !
बहुत खूब !
कहा किसी ने और यकीन किया तुमने ,
ReplyDeleteजरूर तुम्हारे पहलू में कोई 'और' रहा होगा ।
चकाचक!
ReplyDeleteलाजवाब !!!
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