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Thursday, March 14, 2013

सुनो ! भारत भाग्य विधाताओ


सुनो !
भारत भाग्य विधाताओ
शहीदों की चिताओं से
दूर रखना काले हाँथ
कलंकित करेंगे शहादत ,

तुम्हारे शरीर से उठती
सड़ांध दम घोट देगी
उनकी आत्माओ का
तुम तुष्टिकरण में रहो
देसी विदेसी आकाओं के

ना तुम्हारा आँगन रोया
ना सूनी हुई तुम्हारी देहरी
तुम बस गिनो गिन्नियां
बंद आँखों से लगातार
लथपथ चेहरे मत देखो

हम फिर सौंप देंगे
तुम्हारे हाँथ बागडोर
अपने भविष्य की
क्योंकि खो चुके है
अपनी आवाज़ शक्ति
और
स्व:

11 comments:

  1. हकीकत बयाँ करती रचना !!

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  2. हकीकत को रूबरू करती सार्थक रचना.

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  3. आदत पड़ गयी है , कल ५ मरे जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता | अभी करते रहेंगे लंच उसी देश के प्रधानमंत्री के साथ !!!!

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  4. क्रोध भरी अभिव्यक्ति ... पर विवशता भी लिए है ...
    ऐसे हालात का क्या किया जाए ..

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  5. क्या किया जाय ऐसे लोगों का यार. हमलोगों से चुपचाप इनकी बकवास सुनते नहीं बनता और लड़ो तो खुद का मूड खराब होता है. इनके ऊपर तो कोई असर पड़ने से रहा. अब सारी उम्मीद अगली पीढ़ी से है. ये लोग तो सड़े हुए दिमाग वाले हैं.

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  6. वाकई इन लोगों के आगे बैठकर बीन बजाने से भी कोई फायदा नहीं..

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  7. रोष और क्षोभ ...
    पर किसे दिखता है ये सब ,,,,

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  8. शहादत पर रोटियाँ सेंकने वालों पर करारा व्यंग्य

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  9. सत्य बाँचती पंक्तियाँ

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  10. बहुत गुस्सा है ! खूब है!

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  11. आपके कविताये पड़कर कभ कभी ऐसा लगता है किसी को बहुत कड़क शब्दों में जवाब दिया गया है की बस अब बहुत हो गया | अब बदलाव का समय है और तुम बदल जाओ वरना तुम्हारी खैर नहीं | Talented India News

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