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Tuesday, March 26, 2013

होली है


काका बौराते फिरे
काले करके बाल
कोई नवयौवना
रंग दे अबके साल

बत्तीसी सेट किये
काकी रही मुसकाय
फागुन सजी फुहार
देवर नाही आय

ससुराल साली बसे
वे जीजा मालामाल
पास पडोसी ताक रहे
दिल में बड़ा मलाल

फ़गुआये भये  बावरे 
खूब चढ़ाई भांग 
चुनर ओढ़ बाबा रचे 
नार नवल का स्वांग 

जो रोये सो रो रहे 
जो गाये सो गाये 
नौटंकी घर घर सजी 
कौन किसे समझाए 

कोई छेड़े राग भैरवी 
कोई छेड़े राग मल्हार 
होली है में डूब गया 
सारा सुर संसार 


18 comments:

  1. बहुत खूब । होली की शुभकामनाएं ।

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  2. :) :) :)

    हैप्पी वाली होली !!!!

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  3. बहुत खूब .. मजेदार:-)

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  4. होली की महिमा न्यारी
    सब पर की है रंगदारी
    खट्टे मीठे रिश्तों में
    मारी रंग भरी पिचकारी
    ब्लोगरों की महिमा न्यारी …………होली की शुभकामनायें

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  5. होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  6. ये तो गजब गजब लिखा! वाह बधाई!
    दुबली-पतली सुन्दर कविता होली की!

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  7. :):) बहुत बढ़िया ..हैप्पी होली .

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  8. आपको होली कि हार्दिक शुभकामनायें और बधाई !!

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  9. :-) sonal is great..

    keep smiling

    love
    anu

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  10. होली की मस्ती के दिलचस्प नज़ारे पेश करती आपकी कविता- पर्व की शुभकामनाऐं

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  11. sunder rachna

    आपको और आपके परिवार को
    होली की रंग भरी शुभकामनायें

    aagrah hai mere blog main bhi padharen

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  12. बहुत सुन्दर, होली की शुभकामनायें।

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  13. जो रोये सो रो रहे
    जो गाये सो गाये
    नौटंकी घर घर सजी
    कौन किसे समझाए ...

    हा हा ... होली की मस्ती छन रही है ...
    मज़ा आ गया इस हास्य में ...
    आपको होली की मंगल-कामनाएं ...

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  14. होली की हार्दिक शुभकामनाएँ
    latest post धर्म क्या है ?

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  15. बहुत सुन्दर ! होली की शुभकामनायें :)

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  16. जैसे जैसे होली करीब आ रही है, वैसे वैसे मन में उत्साह बढता जा रहा है| आपकी कविता में होली में जो होली की जल्किया बताई गई हे वह काफी मनमोहक और हास्य पूर्ण है | Talented India News

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