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Friday, November 19, 2010

मैं काजल हो जाती हूँ

 
मुझे जलना भा रहा है
मैं तो यूँही जल जाती हूँ 
तुम शमा बनोगे बोलो ना
मैं परवाना हो  जाती हूँ
तेरी खुशबू मन को भाये
मुझे मस्त करो और बहकाए
तुम कली बनो और इठलाओ
मैं भंवरा बन मंडराती हूँ
इतनी दीवानी चाहत में
मुझको मेरा होश नहीं
तुम मुक्त पवन के झोके से
और मैं आँचल हो  जाती हूँ
तुम हो प्यासे मैं रस से भरी
फिर रहे अधूरे अधूरे क्यों
तुम फैला दो अपनी बाहें
और मैं बादल हो जाती हूँ
तुम कितने भोले भाले से
जी भर देखूं तो नज़र लगे
मुझको भर लो तुम आँखों  में
और मैं काजल हो जाती हूँ
 
 
 
 

27 comments:

  1. ्बेहद भावभीनी रचना…………सुन्दर भाव्।

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  2. वाह वाह वाह...क्या बात कही...

    भावभरी बहुत ही सुन्दर रचना...वाह !!!

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  3. prem ka madhuray babrbas hi beh raha hai..

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  4. हमें भी पढ़ना भा रहा है, मैं कुछ और बन गयी तो फिर कविताई कौन करेगा, इसलिए मैं शायर ही रहूँ तो ठीक, और मैं यूँ ही ताज़ा ताज़ा लिखती रहूँ तो बेहतर ...

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  5. मुझको भर लो तुम आँखों में
    और मैं काजल हो जाती हूँ
    अनुभूति की यह अवस्था और खूबसूरती से कहे गये सुन्दर भाव

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  6. ghzb bhaav hen bs pdhte rhen ko ji chahta he or ehsaas men hm kho jate hen . akhtar khan akela kota rajsthan

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  7. बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

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  8. bahut bhavbheenee sunder abhivykti prem kee dil par cha gayee.....
    Wah kya baat hai....... pyar ho to aisa.......

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  9. उफ्फ! क्या बात है ... बहुत ही सुन्दर रचना है !

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  10. बहुत सुन्दर..............गहरी अभिव्यक्ति.............

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  11. सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  12. वाह ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....मनाभयी
    दुआएँ भी दर्द देती है

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  13. 3/10

    बहुत हल्की रचना
    शुरूआती पंक्तियाँ ही बोझिल हैं

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  14. तुम हो प्यासे मैं रस से भरी
    फिर रहे अधूरे अधूरे क्यों
    तुम फैला दो अपनी बाहें
    और मैं बादल हो जाती हूँ ...

    PREM MEIN DOOB KAR HI AISA LIKHA JA SAKTA HAI ... ACHHAA LIKHA HAI ...

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  15. भावभरी बहुत ही सुन्दर रचना

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  16. सुंदर अभिव्यक्ति..धन्यवाद

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  17. bolo n banoge shama .. main ban jaun parwana ...
    ab iske baad kaun sa imtahaan? !

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  18. अच्छी रचना .............

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  19. @Ustaad Ji
    आपकी rating सर आँखों पर ...ये रचना मैंने किसी के लिए लिखी नहीं थी मेरे दिल से निकली थी और जिसके लिए निकली थी उसको भा गई

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  20. जलकर बना काजल आँखों में लगकर औरों को जलाता है।

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  21. वाह ...
    सुन्दर रचना...

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  22. आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ........

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  23. यह रचना भी तो जानदार है।

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