मुझे जलना भा रहा है
मैं तो यूँही जल जाती हूँ
तुम शमा बनोगे बोलो ना
मैं परवाना हो जाती हूँ
तेरी खुशबू मन को भाये
मुझे मस्त करो और बहकाए
तुम कली बनो और इठलाओ
मैं भंवरा बन मंडराती हूँ
इतनी दीवानी चाहत में
मुझको मेरा होश नहीं
तुम मुक्त पवन के झोके से
और मैं आँचल हो जाती हूँ
तुम हो प्यासे मैं रस से भरी
फिर रहे अधूरे अधूरे क्यों
तुम फैला दो अपनी बाहें
और मैं बादल हो जाती हूँ
तुम कितने भोले भाले से
जी भर देखूं तो नज़र लगे
मुझको भर लो तुम आँखों में
और मैं काजल हो जाती हूँ
्बेहद भावभीनी रचना…………सुन्दर भाव्।
ReplyDeleteवाह वाह वाह...क्या बात कही...
ReplyDeleteभावभरी बहुत ही सुन्दर रचना...वाह !!!
prem ka madhuray babrbas hi beh raha hai..
ReplyDeleteहमें भी पढ़ना भा रहा है, मैं कुछ और बन गयी तो फिर कविताई कौन करेगा, इसलिए मैं शायर ही रहूँ तो ठीक, और मैं यूँ ही ताज़ा ताज़ा लिखती रहूँ तो बेहतर ...
ReplyDeleteमुझको भर लो तुम आँखों में
ReplyDeleteऔर मैं काजल हो जाती हूँ
अनुभूति की यह अवस्था और खूबसूरती से कहे गये सुन्दर भाव
ghzb bhaav hen bs pdhte rhen ko ji chahta he or ehsaas men hm kho jate hen . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
ReplyDeletebahut bhavbheenee sunder abhivykti prem kee dil par cha gayee.....
ReplyDeleteWah kya baat hai....... pyar ho to aisa.......
उफ्फ! क्या बात है ... बहुत ही सुन्दर रचना है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..............गहरी अभिव्यक्ति.............
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteLay bahut achhi hai... :)
ReplyDeleteवाह ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....मनाभयी
ReplyDeleteदुआएँ भी दर्द देती है
3/10
ReplyDeleteबहुत हल्की रचना
शुरूआती पंक्तियाँ ही बोझिल हैं
तुम हो प्यासे मैं रस से भरी
ReplyDeleteफिर रहे अधूरे अधूरे क्यों
तुम फैला दो अपनी बाहें
और मैं बादल हो जाती हूँ ...
PREM MEIN DOOB KAR HI AISA LIKHA JA SAKTA HAI ... ACHHAA LIKHA HAI ...
भावभरी बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति..धन्यवाद
ReplyDeletebolo n banoge shama .. main ban jaun parwana ...
ReplyDeleteab iske baad kaun sa imtahaan? !
अच्छी रचना .............
ReplyDelete@Ustaad Ji
ReplyDeleteआपकी rating सर आँखों पर ...ये रचना मैंने किसी के लिए लिखी नहीं थी मेरे दिल से निकली थी और जिसके लिए निकली थी उसको भा गई
जलकर बना काजल आँखों में लगकर औरों को जलाता है।
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ........
ReplyDeletethe hight of LUV Unlimited
ReplyDeleteयह रचना भी तो जानदार है।
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