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Friday, February 25, 2011

मैं जितना पास आउंगी तुम उतना ज़ुल्म ढाओगे

मुझे उम्मीद है तुमसे
के मेरा दिल दुखाओगे
मैं जितना पास आउंगी
तुम उतना  जुल्म ढाओगे
मेरे सपने मेरी बातें
तुम्हे फ़िज़ूल लगते है
बिछा दूं फूल जितने भी
तुम्हें बबूल  लगते है
मिलता है सुकूं तुमको
बहे जो दर्द  आँखों से
सदियों से हुआ गायब
रूमानी चाँद  रातों से
बचे जो आस  के तारे
फूंककर उन्हें बुझाओगे
मेरे लिखे वो महके ख़त
अपने हांथों से जलाओगे
मैं जितना पास आउंगी
तुम उतना ज़ुल्म ढाओगे


37 comments:

  1. अरे हुल्म की भी उम्मीद करना पड़ता थोड़ी है जिसे देखो वही जुल्म किये जा रहा है.... इतना सस्ता है जुल्म भी ना मेरी तो मनमोहन सिंह से गुजारिश है की जरा जुल्म को भी महंगा कर दें ... जुल्म करने वाले थोड़े कम हो जायेंगे....

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  2. तभी कहते हैं न कि दूर रहने से प्यार - मुहब्बत बनी रहती है ...

    एहसास को सुन्दर शब्द दिए हैं

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  3. mere sapne tumhen fizul lagte hain... tumne sapne nahin dekhe to julm hi karoge

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  4. ओह!करारा प्रहार किया है प्रीत पर और अहसासो को जीकर शब्दो मे ढाला है…………मन को छू गयी आपकी रचना।

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  5. भावुक कर गयी, बहुधा यही होता है।

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  6. बचे जो आस के तारे
    फूंककर उन्हें बुझाओगे

    in do line me puri kavita ya aapke ahsas ka sar chupa hai.

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  7. ओह हो हो ..क्या गज़ब का प्रावाह है..और क्या दर्द .बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ हैं सोनल.

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  8. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (26.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  9. door rahne mein hi bhalayee hai.. jo kaanta chubhe use ukhad fenkene mein hi bhalayee hai..................................................!!!!!!!!!!!!!??????????

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  10. अमां(गुहार) नहीं है ये
    दिल की सदा है
    वफा की अदा है ये
    सजा भी मजा है

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  11. बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..बहुत सुन्दर

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  12. आज तो बस "उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ!!!!!!!!!" ही कह पाएँगे!!

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  13. मैं जितना पास आऊँगी तुम उतना जुल्म ढाओगे.

    बहुत ही उम्दा रचना है आपकी.
    दर्द की तर्जुमानी बहुत अच्छी लगी.
    सलाम.

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  14. ek behtreen lay badhdhh kavita
    ek ek shabd dard se labrez
    subhkamnaye

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  15. priy se itna ulaahna
    tauba :)

    kya andaaj hai rachna ka
    bahut khoob

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  16. मेरे सपने मेरी बातें
    तुम्हे फ़िज़ूल लगते है
    बिछा दूं फूल जितने भी
    तुम्हें बबूल लगते है

    बहुत बढ़िया अंदाज़ में शिकवा-गिला किया है आपने...........

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  17. मैं जितना पास आउंगी तुम उतना जुल्म ढाओगे...
    दूर से तो सब अच्छे ही लगते हैं ...

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  18. impressed....lajwab...kahne me samarth hai kavita jo kahna chahti hai ye.

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  19. मुझे उम्मीद है तुमसे
    के मेरा दिल दुखाओगे
    मैं जितना पास आउंगी
    तुम उतना जुल्म ढाओगे

    बहुत सुन्दर विचार युक्त कविता है |

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  20. मुझे उम्मीद है तुमसे
    के मेरा दिल दुखाओगे
    मैं जितना पास आउंगी
    तुम उतना जुल्म ढाओगे.......

    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !

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  21. बहुत सुंदर कविता है,
    भावों को शब्दों का सुंदर रुप दिया है आपने।

    आभार

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  22. मैं जितना पास आऊँगी तुम उतना जुल्म ढाओगे.

    बहुत ही उम्दा रचना है आपकी.... आभार*****

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  23. इतनी निराशा भी ठीक नहीं।

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  24. बहुत सुंदर कविता है|धन्यवाद|

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  25. अक्सर ऐसा ही होता है , करीब आने पर कद्र घटती जाती है औए व्यक्ति for granted लेने लगता है । इसलिए एक निश्चित दूरी से ही दुआ सलाम बेहतर है । सार्थक रचना के लिए बधाई ।

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  26. मेरे सपने मेरी बातें
    तुम्हे फ़िज़ूल लगते है
    बिछा दूं फूल जितने भी
    तुम्हें बबूल लगते है
    शिकायत करने का अंदाज अच्छा लगा , बहुत सुंदर .बधाई...

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  27. waah....kya style mein likhi hai yaara.....kamaal ki nazm hai.....lajawaab !

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  28. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 01-03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  29. बहुत भावपूर्ण...वाह!

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  30. रचना का आरम्भ बहुत अच्छा लगा परन्तु बीच में लय और और गहराई कम हो गई अन्त में फ़िर बेहतर हुई. इस रचना को यदि थोडा और मांजा जाता तो एक अत्यन्त सशक्त रचना के रूप में उभरती... लिखती रहिये... और लिख कर तुरन्त पोस्ट करने के लोभ से बचें... कुछ समय पास रख कर उसे संवारे और फ़िर पोस्ट करे... यह मेरे विचार मात्र हैं... इसे अन्यथा न लें

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  31. Really this is very heart touching feeling exploring here....thanks a lot 4 being with us in this way !!!!

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  32. वाह सोनल जी.. भावपूर्ण और गंभीर अर्थ से भरी यह कविता छू गयी मन को..

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  33. सुन्दर भाव अभिव्यक्ति

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  34. मेरे सपने मेरी बातें
    तुम्हे फ़िज़ूल लगते है
    बिछा दूं फूल जितने भी
    तुम्हें बबूल लगते है


    क्या अदा है उलाहने की। जय हो जी जय हो!!

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