सलवटें चेहरे पर
साफ़ नज़र आती है
करवट बदलकर
जब रात गुज़र जाती है
दिल को निचोड़ते है
ख़ामोशी के जोर से
आँखों की कोरों पर
बूँद छलक जाती है
सुलगती है सांसें
चारो पहर रात दिन
दर्द की स्याही चेहरे पर
यूँही तो नहीं उभर आती है
झटक कर दूर करते है
तेरा साया तेरी यादें
तस्वीर मेरी अक्सर
मुझपे ही बिफर जाती है
साफ़ नज़र आती है
करवट बदलकर
जब रात गुज़र जाती है
दिल को निचोड़ते है
ख़ामोशी के जोर से
आँखों की कोरों पर
बूँद छलक जाती है
सुलगती है सांसें
चारो पहर रात दिन
दर्द की स्याही चेहरे पर
यूँही तो नहीं उभर आती है
झटक कर दूर करते है
तेरा साया तेरी यादें
तस्वीर मेरी अक्सर
मुझपे ही बिफर जाती है
दर्द की स्याही उभरने के लिए
ReplyDeleteसोच को जिन्दा और
खुद को मरना पड़ता है |
शायद,
इश्क करना पड़ता है --
(कृपया दिल पर न लें,
तुरंत, जो ध्यान आता है
लिखा जाता है )
nice meodious poetry
ReplyDeleteFantastic expressions!
ReplyDeleteRegards.
बहुत सुन्दर भाव भरे हैं।
ReplyDeleteसोनल जी! इसे कहते हैं दर्द का स्केच!!
ReplyDeleteदिल को निचोड़कर भाव भरे जाएँगी तो ऐसी शानदार रचनाएँ ही सामने आएँगी - बधाई
ReplyDeletebhavpravan kavita....uttam rachana
ReplyDeleteवाह ... क्या बात है ... बहुत खूब !!
ReplyDeletetumharee kalam bahut kuch kah jati hai...
ReplyDeleteवक्त की या दर्द की सलवटें।
ReplyDeleteटपक पड़ते हैं आंसू
ReplyDeleteआंखों के कोर से
दिल को निचोड़ते जब
खामोशी के शोर से
मन की पीड़ा छलका दी है ..
ReplyDeletebahut accha sonal ji
ReplyDeleteओह हो हो तो तुम लय बद्ध नज़्म भी गज़ब की लिखती हो.
ReplyDelete‘सलवटें चेहरे पर साफ नज़र आती हैं
ReplyDeleteकरवटें बदलकर जब रात गुज़र जाती है’
क्या बात है...बहुत सुन्दर रचना
muddat baad online aayi hoon....aur jaisa mood tha, bilkul vaisi nazm padhne ko mil gayi.....mmmuuuaahhhhhhh.......luv u
ReplyDeletehmmmm
ReplyDeletedard ubhar hi aata hai lavzon mein aksar
Naaz
तस्वीर मेरी अक्सर
ReplyDeleteमुझपे ही बिफर जाती है
क्या खूब कहा है....
nice....bahut sundar rachna.....
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल ३० - ६ - २०११ को यहाँ भी है
ReplyDeleteनयी पुरानी हल चल में आज -
सच कहा कभी-कभी रात यूं ही गुजर जाती है....
ReplyDeleteखूबसूरत भाव....
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच
bahut sunder shabd sanyojan diya hai apni bhaavnaao ko.
ReplyDeleteआपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके पोस्ट की है हलचल...जानिये आपका कौन सा पुराना या नया पोस्ट कल होगा यहाँ...........
ReplyDeleteनयी पुरानी हलचल
आपकी इस कविता ने मन को मोह लिया है और कुछ भीगा सा कही रुक सा गया है .. बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति ,...
ReplyDeleteआभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html