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Tuesday, December 4, 2012

हरि अनंत हरी कथा अनंता !!!


जीवन का आरम्भ क्या है पर जीवन का अंत क्या है ..आप कहेंगे वो भी पता है ,और मैं कहूँगी जो आप सोच रहे है वो सरासर गलत है अच्छा इस सवाल को ऐसे पूछती हूँ एक नारी के जीवन का अंत क्या है उद्देश्य क्या है ... कृपया आपके मन में उठ रही भाषण की स्क्रिप्ट अपने पास फोल्ड कर के रख लीजिये ...बघारने के लिए हमारे पास भी बहुत बड़ा ज्ञान का पिटारा है :-) और वो ही बघारने जा रहे है .

कल टी वी देखते हुए हमें जीवन के परम सत्य की प्राप्ति हुई वो तो पतिदेव आ गए वरना मोक्ष भी मिल गया होता ...

हर नारी के जीवन का अंतत: उद्देश्य ससुराल में हो रहे षड़यंत्र झेलना,छुपकर सुनना और फाइनली खुद षड़यंत्र रचना ही है यकीन नहीं आता तो गौर फरमाइए, हम जानते है आप सब भी जितनी बुराई कर ले पर दिमाग उन सजी धजी बहुओं में लगा रहता है, अरे मुझपर आँखे मत तरेरिये अगर मैंने भी नहीं देखा होता तो ये पोस्ट नहीं चेप रही होती :-)

 ये दुनिया दो तरह के लोगों से बनी है जो पहले जो सास-बहु ,बहन-बेटी सिरिअल पसंद करते है और दुसरे जो नापसंद करते है पर दोनों ही प्रेम और घृणा से ही सही पर देखते ज़रूर है।
अब मेरे जैसा दूसरी कैटेगरी वाला प्राणी इस विषय पर दूसरी पोस्ट लिख रहा है तो मतलब यही है ना देखते तो है ना :-)

पहली पोस्ट  टीवी मेरी तौबा.

अब बहनों ,बहुओं और उनके रिश्तेदारों हांथो में अक्षत लो और कुछ देवियों के बलिदान की कहानी संक्षेप में सुनो .( नायिकाओ/सीरियल के नाम नहीं दे रही हूँ आप सब समझदार हो , अभी जेल जाने का मूड नहीं है )

(1)
पहले -  एक खूंखार डाकू आँखों में गहरे काजल के साथ बदले की आग ,होंठों पर लिप्ग्लास के साथ गलियाँ ,जीवन का मकसद बदला- बदला -बदला !
बाद में -शादी ,आँखों में आंसू ,करवाचौथ का व्रत ,भारी साड़ियाँ जेवर ,षड़यंत्र झेलना,छुपकर सुनना और फाइनली खुद षड़यंत्र रचना।

(2)
पहले- एक आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की बेटी ,जीवन का मकसद प्रशासनिक सेवा में जाना ,देश के लिए कुछ करना।
बाद में -शादी ,आँखों में आंसू ,करवाचौथ का व्रत ,भारी साड़ियाँ जेवर ,षड़यंत्र झेलना,छुपकर सुनना और फाइनली खुद षड़यंत्र रचना।

(3)
पहले- एक दबे कुचले तबके से ,मकसद अपने परिवार को हर संकट से उबारना।
बाद में -शादी ,आँखों में आंसू ,करवाचौथ का व्रत ,भारी साड़ियाँ जेवर ,षड़यंत्र झेलना,छुपकर सुनना और फाइनली खुद षड़यंत्र रचना।

भैया हरि  अनंत हरी कथा अनंता .... तो आप कुछ भी कर लो कोई भी मकसद तय कर लो फाइनली जीवन का उद्देश्य करवाचौथ का व्रत रखना और सजधज के रहना ही है
(ये सुविचार-कुविचार सब मेरे अपने ही है और इनका रोज़ रोज़ टीवी पर चलने वाली कहानियो से पूरा सम्बन्ध है )

18 comments:

  1. ha ha ha....
    good one ...

    i'm deeply touched :-)

    anu

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  2. कल तो करवाचौथ के एपिसोड देखकर हमारे घर में भी संसद बैठ गयी थी और अच्छे खासे शोर शराबे के बाद बिना नतीजा निकले बर्ख्वास्त भी हो गयी तो ये है आज के सीरियल्स की महिमा दिमाग को बंद करो ताला लगाओ और बैठ जाओ जो होता है उसे सिर्फ़ देखो ना सुनो , ना समझो और ना जीवन में उतारो बस अपना टाइम पास करो :)

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  3. शुभकामनाएं आदरेया-
    बढ़िया प्रस्तुती ||

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    1. करने को तो बहुत है, पर बढ़िया यह काम ।

      आस-पास जो भी रहे, जीना करो हराम ।

      जीना करो हराम, सामने मधु की गोली ।

      पीछे हों षड्यंत्र, जहर जीवन में घोली ।

      धारावाहिक सार, चलो सब सजे संवरने ।

      कोई भी त्यौहार, बहू को सारे करने ।।

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  4. सोनल जी..वाकई ..ढूँढना पड़ेगा ..ऐसी खतरनाक औरतें कहाँ मिलाती हैं... औरत शब्द के मायने ही बदल दिए है इन सीरिअल्स ने

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  5. मुझे सबसे मजेदार लगता है उनका पूरे मेकअप और भारी जेवरों के साथ सोना :P

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  6. लाख टके की सत्यता बयान कर दी आपने |

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  7. aur mujhe achha lagta h full make up me bhi itra k kehna.. "bas 2 minute wait karo, m abhi taiyaar ho k aati hu".. are behen aur kitta taiyar hgogi?? :'(

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  8. देखती तो हूँ मैं भी और सोचती हूँ कि कितना दिमाग लगाती है ये षड़यंत्र रचने में , इनके दिमाग का प्रयोग देश की अर्थव्यवस्था अथवा अन्य व्यवस्थाओं में लगा होता तो भारत जाने कहा होता !
    इनकी नारी की परिभाषा यही है ...शादी , करवा चौथ , उसका पति मेरा होगा आदि आदि !
    कहाँ गए उड़ान , हम लोग , बुनियाद जैसे धारावाहिक बनाने वाले :(

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  9. वाह ... क्‍या बा‍त कही है आपने ... बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  10. टीवी में न कथा का आदि है, न अनंत है..

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  11. बहुत खूब
    अरुन शर्मा
    www.arunsblog.in

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  12. बढिया प्रस्तुति

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  13. गुमराह करने वाली कथाएं केवेल TV पर ...

    :D ;P heheh :))

    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html

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  14. सच तो यही है ये सब धारावाहिक गुमराह करने के लिए हैं ... हहीकत से कोसों दूर ...

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