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Saturday, June 5, 2010

मेरे बिना (कहानी)

शाम से अब तक तीन डिब्बी सिगरेट फूंक चुका हूँ ,मुह का स्वाद इतना कडुवा हो चुका है की सामान्य में मुह का स्वाद कैसा होता है याद ही नहीं ...शायद यही कडवाहट मेरी रगों में भी घुल गई है, बिना झुंझलाए बात नहीं कर पाता हूँ, विधि दो तीन बार खाने को पूछ चुकी है, प्लेट चम्मच की आवाज़ आ रही है शायद वो खाना खा रही है ...मेरे बिना ....


दो बज रहे है,कमरे में अन्धेरा है नीली रौशनी फैली है,एक कोने में सिमट कर लेटी है ,विधि हमेशा से ऐसे ही सोती है ,मेरे बिना कभी सोने नहीं जाती थी ,मान कर मनुहार कर कैसे भी लैपटॉप बंद करवा देती,पिछली बार कितनी बुरी तरह झिड़क दिया था ,सहम कर चली गई थी आँखों में दर्द उतर आया था मैंने अनदेखा कर दिया, पता नहीं सोई है या बहाना कर रही है..... नहीं सो चुकी है वो

मेरे बिना........

सुबह आँख देर से खुली ,विधि कमरे में नहीं है ..पता नहीं क्यों उठ कर उसको देखने लगा टेबल पर चिट्ठी पड़ी है ...विधि की तरह अल्पभाषी ... पर सटीक

"जानती हूँ तुम परेशान हो ,पर तुम्हारे बताये बिना तो नहीं जान पाउंगी, इस तरह तुम अपने आप को और मुझे दोनों को तकलीफ दे रहे हो ,सुख का समय साथ बिताया है हमने, फैसला तुम्हारा है,इस दौर का सामना कैसे करना है ... मेरे साथ या मेरे बिना ."



तुम्हारे बिना कभी नहीं ...विधि , मैं बुदबुदाता हुआ विधि को बाहों में भर लेता हूँ

17 comments:

  1. कमाल के सेंटीमेंट्स है..

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  2. यही तो है असली प्यार.. पढ़ कर रोम-रोम रोमांचित हो गया..

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  3. वाह्………क्या खूब अन्दाज़-ए-बयाँ है…………बहुत ही बढिया प्रस्तुति।

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  4. बढ़िया जी बहुत बढ़िया।

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  5. bahut pyara.....craft ne sentiments ko aur samanya si kahani ko umda kar diya hai ...gud job ji

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  6. बहुत खूबसूरती से भावनाओं को उकेरा है...

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  7. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 06.06.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  8. bahut khub



    फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई

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  9. बहुत ही बढिया प्रस्तुति।

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  10. Hi..

    Tere bina..
    Wah.. Pyaar ki ek sukhad anubhuti hui aapki yah kahani padh kar..

    Jeevan sathi jo kahlata..
    Sukh-dukh main saathi hota..
    Har pal, har kshan sang hai rahta..
    Dard ka sahbhagi hota..

    Bhahut sundar prastuti..

    DEEPAK..

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  11. mere bina..
    bahut hi badhiya title aur bhi achhi kahani
    Manoj K
    manojkhatrijaipur.blogspot.com

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  12. bahut hi sundar kahaani our utani hi acchi prastuti.....badhaai.

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  13. Tere bina... Beswadi ye ratiya....
    Par Vidhi to chali gayee thi, to use baahon mein kaise bhara.....
    Zor daal raha hoon dimaag par, subah tak samajh aa hi jayega....
    Behatareen!

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  14. कम शब्दों में लिखी बेहतरीन कहानी .....

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  15. छोटी किंतु भावनाओं से ओत-प्रोत ...... बहुत सुंदर कहानी ...

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  16. बहुत सुन्दर ...

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