जब कविता रचनी होती है
मत पूछो क्या क्या करते है
हर लम्हा हर पल हम
किस वेदना** से गुज़रते है
भावो से मिलते शब्द चुने
लय गति के संयोजन से
तुक मिला मिला कर गीत बुने
सार्थक रचने के प्रयोजन से
कभी लगा पहली पंक्ति हलकी
अंतिम वाली भारी है
माध्यम पंक्ति स्वयं बन गई
जिसके हम बलिहारी है
रचना को ठेल ब्लॉग पर
राहत की साँसे भरते है
आप जब कुछ लिखते है
तो क्या ऐसा ही करते है
**यहाँ प्रसव वेदना लिखना चाह रही थी
"रचना को ठेल ब्लॉग पर
ReplyDeleteराहत की साँसे भरते है"
बढिया रचना
सचमुच एक तृप्ति सी मिलती है
प्रणाम स्वीकार करें
मन की अवस्था कभी हल्की, कभी भारी होती है तो शब्द भी कभी हल्के कभी गहरे कभी उथले होते हैं,
ReplyDeleteपर जब दर्द या प्यार का असर गहरा होता है तो हर शब्द सीप से निकलते हैं
वाह...कविता की सारी वेदना व्यक्त कर दी...
ReplyDeleteaisa hi hota hai..kavita jab rachna hoti hai.......bahut badhiya.
ReplyDeleteवेदना @ प्रसव वेदना
ReplyDeleteरचनाधर्मिता प्रसव वेदना से कम तो नहीं
सुन्दर अभिव्यक्ति प्रदान की आपने
कमोबेश यही प्रक्रिया होती होगी हर रचनाकार की
Hi..
ReplyDeleteKavita Bhavon ki abhivyakti,
Kavita Shabdon se aasakti..
Kavita ahsaaron ka tana..
Kavita anubhuti ka bana..
Kavita man ka sangeet madhur..
Kavita man ki hai meet mukhar..
Kavita saundarya ka bodh dikhe..
Kavita shabdon ka shodh dikhe..
Kavita antarman ki vani..
Kavita aankhon ka hai paani..
Kavita .....
Kavita......
(soochi ananat hai)
Sundar kavita..
DEEPAK..
यही शायद रचना प्रक्रिया है...बस, इसके बाद पकाना होता है...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.
haan sonal....dil ki baat keh di :)
ReplyDeleteमन की बात कह दी सुन्दर तरीके से ,,,यही तरीका है कविता के जन्म का ,,,,विचार, कल्पना और कुछ सत्य, यही एक सुन्दर कविता के मुख्य पहलू है
ReplyDeleteachha likha he kavita rachte samay ke bare me
ReplyDeleteहाँ जी, बिलकुल ऐसा ही करते हैं!
ReplyDeleteकाफी हद तक सही लेकिन
ReplyDelete"रचना को ठेल ब्लॉग पर
राहत की साँसे भरते है"
से सहमत नहीं क्योंकि मैं ऐसा नहीं करता.