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Wednesday, June 2, 2010

जब कविता रचनी होती है

जब कविता रचनी होती है


मत पूछो क्या क्या करते है

हर लम्हा हर पल हम

किस वेदना** से गुज़रते है


भावो से मिलते शब्द चुने

लय गति के संयोजन से

तुक मिला मिला कर गीत बुने

सार्थक रचने के प्रयोजन से


कभी लगा पहली पंक्ति हलकी

अंतिम वाली भारी है

माध्यम पंक्ति स्वयं बन गई

जिसके हम बलिहारी है


रचना को ठेल ब्लॉग पर

राहत की साँसे भरते है

आप जब कुछ लिखते है

तो क्या ऐसा ही करते है



**यहाँ प्रसव वेदना लिखना चाह रही थी

12 comments:

  1. "रचना को ठेल ब्लॉग पर
    राहत की साँसे भरते है"

    बढिया रचना
    सचमुच एक तृप्ति सी मिलती है

    प्रणाम स्वीकार करें

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  2. मन की अवस्था कभी हल्की, कभी भारी होती है तो शब्द भी कभी हल्के कभी गहरे कभी उथले होते हैं,
    पर जब दर्द या प्यार का असर गहरा होता है तो हर शब्द सीप से निकलते हैं

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  3. वाह...कविता की सारी वेदना व्यक्त कर दी...

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  4. aisa hi hota hai..kavita jab rachna hoti hai.......bahut badhiya.

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  5. वेदना @ प्रसव वेदना
    रचनाधर्मिता प्रसव वेदना से कम तो नहीं
    सुन्दर अभिव्यक्ति प्रदान की आपने
    कमोबेश यही प्रक्रिया होती होगी हर रचनाकार की

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  6. Hi..

    Kavita Bhavon ki abhivyakti,
    Kavita Shabdon se aasakti..
    Kavita ahsaaron ka tana..
    Kavita anubhuti ka bana..
    Kavita man ka sangeet madhur..
    Kavita man ki hai meet mukhar..
    Kavita saundarya ka bodh dikhe..
    Kavita shabdon ka shodh dikhe..
    Kavita antarman ki vani..
    Kavita aankhon ka hai paani..
    Kavita .....
    Kavita......
    (soochi ananat hai)

    Sundar kavita..

    DEEPAK..

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  7. यही शायद रचना प्रक्रिया है...बस, इसके बाद पकाना होता है...

    बहुत बढ़िया.

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  8. haan sonal....dil ki baat keh di :)

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  9. मन की बात कह दी सुन्दर तरीके से ,,,यही तरीका है कविता के जन्म का ,,,,विचार, कल्पना और कुछ सत्य, यही एक सुन्दर कविता के मुख्य पहलू है

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  10. achha likha he kavita rachte samay ke bare me

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  11. हाँ जी, बिलकुल ऐसा ही करते हैं!

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  12. काफी हद तक सही लेकिन
    "रचना को ठेल ब्लॉग पर
    राहत की साँसे भरते है"
    से सहमत नहीं क्योंकि मैं ऐसा नहीं करता.

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