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Friday, October 1, 2010

चले जाओ यहाँ से तुम

बुझा दो चांदनी को तुम



के मेरा जिस्म जलता है


हवा के सर्द झोकों  से


आँख में दर्द तिरता है


सुलग उठे जो तारे भी


पिघल के छुप गए बादल


छुपा दो नर्म फूलो को


झलक से नील पड़ता है


लगा दो पाबंदी हसने पे


औ curfew गीत गाने पे


कोई कोयल जो गर कूके


कानो में सीसा पिघलता है


तुम्हारे प्यार के किस्से


तुम्हारी चाशनी बातें


चले जाओ यहाँ से तुम


के मेरा दम भी घुटता है














27 comments:

  1. ............
    आप की रचना चोरी हो गयी है ...... यहाँ पर देख लीजिये
    http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_3643.html

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  2. अब ब्लॉगजगत में ये भी देखना पड़ेगा ..आपने चोरी की इसका मतलब मेरी ये कविता चुराने लायक है ..
    अच्छा तो नहीं लगा पर ..कोई बात नहीं,पेड़ पर लगा फूल इश्वर के चरणों में चढ़े या नारी के बालों में अंतत: रहता है उस पेड़ का ही है ,आप कविता चुरा सकते है पर प्रतिभा नहीं

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  3. ghazab hai rachna ....phoolon se neel padta hai ...hmmm...bhai aisi berukhi kisi ko kisi se na ho ....shaandar hai nazm ...flow bahut umda hai

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  4. मार डालिए तो बेहतर,
    की मौत में भी एक मज़ा है,
    हो गर ऐसी कमबख्त शायरी,
    तो मर मिटना तो बनता है ..

    बहुत उम्दा.. लिखते रहिये ...

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  5. चोरी और ऊपर से सीना जोरी का इस से बड़ा एक्साम्पल नहीं देखा मैंने..
    लिखा अच्छा है.. पर बचाया जाना भी ज़रूरी है

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  6. shandaar kavita sonal ji,

    u shud be thankful to banti-chor sahab ji,

    ki unhe laga ki is kavita ko churana chahiye

    hahahahahaha

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  7. बुझा दो चांदनी को तुम



    के मेरा जिस्म जलता है


    हवा के सर्द झोकों से


    आँख में दर्द तिरता है
    vaah....bahut badhiya kavita....badhai. sachmuch kavita churaane laayek hai.

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  8. यह कैसी वेदना है ???????? पढ़ कर बस आह ही कर पाए ...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  9. बुझा दो चांदनी को तुम
    के मेरा जिस्म जलता है
    चले जाओ यहां से नुम
    के मेरा दम भी घुटता है
    भवनाओं को शब्दों में ढालने की उत्तम क्षमता आपमें है ...बधाई।

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  10. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  11. बुझा दो चांदनी को तुम
    के मेरा जिस्म जलता है
    हवा के सर्द झोकों से
    आँख में दर्द तिरता है

    बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ हैं...बधाई !

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  12. तुम्हारे प्यार के किस्से


    तुम्हारी चाशनी बातें


    चले जाओ यहाँ से तुम


    के मेरा दम भी घुटता है
    bahut kuch hai isme

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  13. गहरे भाव। दिल को छू गयी अभिव्यक्ति। शुभकामनायें

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  14. दर्द भरे जलते हुए भावों को सुंदरता से सजाया है.

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  15. बहुत सुन्दर........ दिल को छू गयी!!!

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  16. दिल को छू गयी अभिव्यक्ति। शुभकामनायें

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  17. totally awesome.....aap bohot hi kamaal ki imagination rakhti hai....great to read u

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  18. तुम्हारे प्यार के किस्से
    तुम्हारी चाशनी बातें
    चले जाओ यहाँ से तुम
    के मेरा दम भी घुटता है

    कमाल कर गयी यह पंक्तियाँ...
    एक अच्छी रचना के लिए बधाई.

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  19. बुझा दो चांदनी को तुम
    के मेरा जिस्म जलता है
    चले जाओ यहां से नुम
    के मेरा दम भी घुटता है ...

    दर्द उभर कर आ रहा है ... प्रेम में अक्सर ऐसा होता है ... पर मौसम ज़रूर बदलता है ...

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  20. बहुत गहन अभिव्यक्ति!

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  21. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

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