चलो एहसासों को
दुपट्टे में बाँध लूं
तुम्हारी छुअन को
किनारी सा टांक लूं
लिपटे जो मुझसे
तो तुम नज़र आओ
काँधे से फिसलो तो
बाँहों में उतर जाओ
दांतों तले दबा लूं
तो हया से लगो
ऐसे बनो मेरा हिस्सा
कभी न जुदा से लगो
इतने रंग भर दो
के अम्बर को बाँट दूं
दुपट्टे की तरह तुमको
हर रंग में छांट लूं
कितनी तारीफ़ करू इस रचना की - अपार प्रतिभा है आपके अन्दर - यूँ ही लिखती रहें और हम पढ़ते रहें.
ReplyDeletebahut hi jyada pyaara....maan gaye aapko...
ReplyDeleteek kashish
ReplyDeleteek nayapan
kuchh baat to hai aapki lekhni men
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bahut achhi aur pathneey rachna hai
aabhaar
bahut khub
ReplyDeleteइतने रंग भर दो
के अम्बर को बाँट दूं
दुपट्टे की तरह तुमको
हर रंग में छांट लूं
shandar
bahtarin
वाह ! कमाल की पंक्तियाँ लिखी है!
ReplyDeleteकाँधे से फिसलो तो
ReplyDeleteबाँहों में उतर जाओ
इस एहसास से आगे क्या कहा जा सकता है
बहुत खूबसूरत
बहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... गजब का लिखा है
ReplyDeleteचलो एहसासों को
ReplyDeleteदुपट्टे में बाँध लूं
तुम्हारी छुअन को
किनारी सा टांक लूं ...वाह ! कमाल की पंक्तियाँ
....
बेहद सुन्दर. बधाई. निम्न पंक्तियों में नवीनता है --
ReplyDeleteतुम्हारी छुअन को
किनारी सा टांक लूं
Wah ! Kya kamal ke sundar ahsason se buni rachana...dil karta hai,ise mai odh lun!
ReplyDeleteचलो एहसासों को
ReplyDeleteदुपट्टे में बाँध लूं
तुम्हारी छुअन को
किनारी सा टांक लूं
shuruwat hi behad pyaare ehsaason ko liye hai ....
काँधे से फिसलो तो
बाँहों में उतर जाओ
bada roomani ehsaas hai
इतने रंग भर दो
के अम्बर को बाँट दूं
दुपट्टे की तरह तुमको
हर रंग में छांट लूं
kya baat hai ....... behad rumani tasavvur kiya hai aapne ...lazawaab
इतने रंग भर दो
ReplyDeleteके अम्बर को बाँट दूं
दुपट्टे की तरह तुमको
हर रंग में छांट लूं
क्या बात कही है...बहुत खूब..प्यारी सी रचना..
अतिसुन्दर!
ReplyDeleteकहने को कुछ सूझ ही नहीँ रहा।बस,बधाई!
jandar,shandar,damdar.narayan narayan
ReplyDeleteसुंदर और कोमल भावनाओं की बढ़िया अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteबहुत खूब..प्यारी सी रचना..
ReplyDeleteजी धन्यवाद. जी हाँ बकवास को "आफिसियल" करने को मैने ठाना है. आशा है आने वाली रचनाएँ आपको सोचने पर मजबूर करता रहेगा.
ReplyDeleteपद्मनाभ मिश्र
आपका ब्लॉग मैं पढ़ नहीं पा रहा हूँ .शायद फोन्ट सम्बन्धी दिक्कत है ,इसे दूर कीजिये
ReplyDeleteबहुत खूब कल्पना ... मीठा सा , हल्का सा एहसास लिए ...
ReplyDeleteदांतों तले दबा लूं
ReplyDeleteतो हया से लगो
ऐसे बनो मेरा हिस्सा
कभी न जुदा से लगो
अतिसुन्दर!बधाई!
इस रचना में बात है - नोटिस लिए जाने के क़ाबिल।
ReplyDeleteइतने रंग भर दो
ReplyDeleteके अम्बर को बाँट दूं
कोमल एहसास की अभिव्यक्ति!
कैसे-कैसे गजब के उपमान हैं कविता में! वाह!
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