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Monday, May 3, 2010

हर रंग में छांट लूं ...

चलो एहसासों को

दुपट्टे में बाँध लूं

तुम्हारी छुअन को

किनारी सा टांक लूं



लिपटे जो मुझसे

तो तुम नज़र आओ

काँधे से फिसलो तो

बाँहों में उतर जाओ



दांतों तले दबा लूं

तो हया से लगो

ऐसे बनो मेरा हिस्सा

कभी न जुदा से लगो



इतने रंग भर दो

के अम्बर को बाँट दूं

दुपट्टे की तरह तुमको

हर रंग में छांट लूं

23 comments:

  1. कितनी तारीफ़ करू इस रचना की - अपार प्रतिभा है आपके अन्दर - यूँ ही लिखती रहें और हम पढ़ते रहें.

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  2. bahut hi jyada pyaara....maan gaye aapko...

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  3. ek kashish
    ek nayapan
    kuchh baat to hai aapki lekhni men
    -
    -
    bahut achhi aur pathneey rachna hai
    aabhaar

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  4. bahut khub

    इतने रंग भर दो

    के अम्बर को बाँट दूं

    दुपट्टे की तरह तुमको

    हर रंग में छांट लूं

    shandar

    bahtarin

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  5. वाह ! कमाल की पंक्तियाँ लिखी है!

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  6. काँधे से फिसलो तो
    बाँहों में उतर जाओ
    इस एहसास से आगे क्या कहा जा सकता है
    बहुत खूबसूरत

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  7. बहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... गजब का लिखा है

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  8. चलो एहसासों को

    दुपट्टे में बाँध लूं

    तुम्हारी छुअन को

    किनारी सा टांक लूं ...वाह ! कमाल की पंक्तियाँ
    ....

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  9. बेहद सुन्दर. बधाई. निम्न पंक्तियों में नवीनता है --
    तुम्हारी छुअन को
    किनारी सा टांक लूं

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  10. Wah ! Kya kamal ke sundar ahsason se buni rachana...dil karta hai,ise mai odh lun!

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  11. चलो एहसासों को

    दुपट्टे में बाँध लूं

    तुम्हारी छुअन को

    किनारी सा टांक लूं


    shuruwat hi behad pyaare ehsaason ko liye hai ....

    काँधे से फिसलो तो

    बाँहों में उतर जाओ

    bada roomani ehsaas hai

    इतने रंग भर दो

    के अम्बर को बाँट दूं

    दुपट्टे की तरह तुमको

    हर रंग में छांट लूं

    kya baat hai ....... behad rumani tasavvur kiya hai aapne ...lazawaab

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  12. इतने रंग भर दो
    के अम्बर को बाँट दूं
    दुपट्टे की तरह तुमको
    हर रंग में छांट लूं
    क्या बात कही है...बहुत खूब..प्यारी सी रचना..

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  13. अतिसुन्दर!
    कहने को कुछ सूझ ही नहीँ रहा।बस,बधाई!

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  14. सुंदर और कोमल भावनाओं की बढ़िया अभिव्यक्ति !

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  15. बहुत खूब..प्यारी सी रचना..

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  16. जी धन्यवाद. जी हाँ बकवास को "आफिसियल" करने को मैने ठाना है. आशा है आने वाली रचनाएँ आपको सोचने पर मजबूर करता रहेगा.
    पद्मनाभ मिश्र

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  17. आपका ब्लॉग मैं पढ़ नहीं पा रहा हूँ .शायद फोन्ट सम्बन्धी दिक्कत है ,इसे दूर कीजिये

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  18. बहुत खूब कल्पना ... मीठा सा , हल्का सा एहसास लिए ...

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  19. दांतों तले दबा लूं
    तो हया से लगो
    ऐसे बनो मेरा हिस्सा
    कभी न जुदा से लगो

    अतिसुन्दर!बधाई!

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  20. इस रचना में बात है - नोटिस लिए जाने के क़ाबिल।

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  21. इतने रंग भर दो

    के अम्बर को बाँट दूं
    कोमल एहसास की अभिव्यक्ति!

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  22. कैसे-कैसे गजब के उपमान हैं कविता में! वाह!

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